Menopause बढ़ा सकता है महिलाओं में Heart Attack का खतरा, इन तरीकों से रखें दिल का ख्याल
मेनोपॉज के कारण महिलाओं के शरीर में कई बदलाव आते हैं। इसके लक्षणों की वजह से रोज का जीवन भी प्रभावित होता है। हॉट फ्लैश मूड स्विंग्स जैसे लक्षणों के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं मेनोपॉज महिलाओं में हार्ट डिजीज का रिस्क कई गुणा बढ़ जाता है। इस आर्टिकल में हम इसके कारण और बचाव के तरीकों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Menopause and Heart Attack: मेनोपॉज एक नेचुरल प्रक्रिया है, जो महिलाओं में औसतन 51 साल की उम्र में होता है। मेनोपॉज यानी एक साल तक पीरियड्स न आना। अगर किसी महिला को एक साल तक पीरियड्स नहीं आते, तो उस प्वॉइंट को Menopause कहा जाता है। मेनोपॉज होना नॉर्मल बात है, जिसके कारण शरीर में काफी बदलाव होते हैं।
इनकी वजह से महिलाओं को काफी तकलीफ का सामना भी करना पड़ता है। मेनोपॉज के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजेन लेवल कम होने लगता है और यही कारण है कि महिलाओं के शरीर में बदलाव होने लगते हैं। मेनोपॉज के बाद महिलाओं में Heart Disease का खतरा भी बढ़ने लगता है। लेकिन ऐसा क्यों होता है। इस आर्टिकल में हम इसका कारण और इससे बचाव के तरीकों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। आइए जानें कैसे मेनोपॉज महिलाओं की हार्ट हेल्थ को प्रभावित कर सकता है।
क्यों बढ़ जाता है हार्ट डिजीज का खतरा?
मेनोपॉज के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजेन हार्मोन का लेवल कम हो जाता है। यह हार्मोन न केवल रिप्रोडक्शन के लिए बल्कि, सेहत से जुड़ी और भी कई फंक्शन्स के लिए जरूरी होता है। एस्ट्रोजेन हार्मोन हड्डियों की मजबूती, स्किन की नमी, कॉग्नीटिव हेल्थ और हार्ट हेल्थ के लिए आवश्यक होता है। आपको बता दें, कि एस्ट्रोजेन कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है।
लेकिन इसका स्तर घटने की वजह से ऐसा होने में परेशानी हो सकती है। इसकी वजह से महिलाओं की आर्टरीज में फैट इकट्ठा होना शुरू हो जाता है, जो एस्ट्रोजेन का लेवल कम होने के कारण होता है। आर्टरीज में फैट बढ़ने के कारण, उनमें ब्लॉकेज हो सकती है और कई कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का खतरा बढ़ने लगता है। इसलिए मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ने लगता है।
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कैसे रखें मेनोपॉज के बाद हार्ट का ख्याल?
- हेल्दी डाइट खाएं- हार्ट हेल्थ के लिए हेल्दी डाइट फॉलो करना बेहद जरूरी है। इसलिए अपनी डाइट में फाइबर से भरपूर फूड्स को शामिल करें। ये कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता है। साथ ही, एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन, मिनरल्स और प्रोटीन से भरपूर फूड्स शामिल करें। अपनी डाइट में प्रोसेस्ड फूड्स, जंक फूड्स आदि को शामिल करें। इसलिए अपनी डाइट का खास ख्याल रखें।
- एक्सरसाइज करें- एक्सरसाइज करने से कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद मिलती है। इसलिए रोज कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें। एरोबिक एक्सरसाइज हार्ट हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसलिए वॉकिंग, जॉगिंग, रनिंग, स्विमिंग जैसी एक्टिविटीज करें।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड वाले फूड्स खाएं- अपनी डाइट में ओमेगा-3 फैटी एसिड को जरूर शामिल करें। साल्मन, टूना, मैकरेल जैसी फैटी फिश और बादाम, अखरोट जैसे नट्स को अपनी डाइट में शामिल करें। ओमेगा-3 फैटी एसिड गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने और इंफ्लेमेशन कम करने में मदद करते हैं। इसलिए अपनी ओमेगा-3 फैटी एसिड जरूर शामिल करें।
- ज्यादा चीनी और नमक से परहेज करें- ज्यादा नमक और चीनी की वजह से भी दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। नमक ज्यादा खाने की वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, जो दिल के लिए हानिकारक होता है। ऐसे ही ज्यादा चीनी खाने के कारण इंफ्लेमेशन बढ़ सकता है। साथ ही, डायबिटीज का खतरा भी बढ़ता है, जो हार्ट डिजीज का रिस्क फैक्टर है।
- स्मोकिंग न करें और शराब न पीएं- शराब और स्मोकिंग की वजह से दिल की बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। कई स्टडीज में भी यह बात सामने आ चुकी है कि शराब की वजह से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है और स्मोकिंग ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचाता है। इसलिए इनसे दूरी बनाकर रखें।
- वजन कंट्रोल करें- वजन ज्यादा होने के कारण कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने लगता है। इसलिए हेल्दी वजन मेंटेन करने की कोशिश करें। अगर आपका ज्यादा है, तो कुछ किलो कम करने से भी कोलेस्ट्रॉल लेवल में काफी फर्क नजर आएगा।
- डॉक्टर से सलाह लें- आप अपने डॉक्टर से सलाह लेकर हार्मोन थेरेपी या दवाओं की मदद भी ले सकते हैं। इसके अलावा, अगर आपको डायबिटीज या हाइपरटेंशन जैसी कोई बीमारी है, तो उन्हें भी कंट्रोल करने की कोशिश करें।