Heart Attack: मेनोपॉज के बाद बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा, जानें क्या है इसका कारण और किन बातों का रखें ख्याल
मेनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में कई बदलाव आते हैं जिसकी मुख्य वजह एक खास हार्मोन की कमी होती है। इस कारण से महिलाओं के शरीर में काफी परेशानियां होती हैं जिसमें हार्ट डिजीज का खतरा भी शामिल है। इसलिए मेनोपॉज के बाद अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होती है। जानें महिलाओं में क्यों मेनोपॉज के बाद हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
By Swati SharmaEdited By: Swati SharmaUpdated: Sun, 18 Feb 2024 07:10 PM (IST)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Heart Attack: जीवन के हर पराव में महिलाओं के शरीर में काफी बदलाव आते हैं। इन बदलावों में एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण परिवर्तन मेनोपॉज के दौरान आता है। मेनोपॉज एक नेचुरल क्रिया है, जिसमें एक साल यानी 12 महीनों तक महिलाओं को माहवारी (पीरियड्स) नहीं होते हैं। औसतन मेनोपॉज की उम्र 51 साल मानी जाती है, यानी 45-55 साल की उम्र के बीच ज्यादातर महिलाओं को मेनोपॉज होता है। इस दौरान शरीर में कई बदलाव होते हैं, जिसकी एकमात्र वजह है, हार्मोन्स में परिवर्तन। हार्मोन्स लेवल में बदलाव होने की वजह से मेनोपॉज के दौरान, हॉट फ्लैश, मूड स्विंग्स जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
क्यों जरूरी है एस्ट्रोजन?
मेनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में एक बहुत महत्वपूर्ण हार्मोन एस्ट्रोजन की मात्रा कम होने लगती है। यह हार्मोन शरीर में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें रिप्रोडक्शन के अलावा, स्किन को ड्राई होने से बचाना, हड्डियों और दांतो को मजबूत बनाना, कॉग्नीटिव हेल्थ और हार्ट हेल्थ शामिल हैं। इस हार्मोन की कमी की वजह से इन सभी पर प्रभाव पड़ता है। जैसा कि आप समझ सकते हैं कि एस्ट्रोजन की मात्रा कम होने की वजह से दिल पर काफी गहरा प्रभाव पड़ता है, जिस कारण से हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हार्ट अटैक का खतरा पहले से अधिक हो जाता है। इसका कारण एस्ट्रोजन लेवल कम होना है।
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