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क्या है Obsessive Compulsive Disorder, जानें कैसे करता है ये व्यक्ति को प्रभावित और क्या है इसका इलाज

इन दिनों लोग कई तरह की मानसिक समस्या (Mental Health) का शिकार हो रहे हैं। ओसीडी (OCD) यानी कि ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive Compulsive Disorder) इन्हीं समस्याओं में से एक है। इस समस्या में व्यक्ति अपने ऊपर ही डाउट करने लगता है और फिर उन्हें एंग्जायटी डिप्रेशन डर आदि महसूस होता है। आइए जानते हैं इस समस्या से जुड़ी कुछ जरूरी बातें।

By Jagran News Edited By: Harshita Saxena Updated: Sat, 25 May 2024 08:33 AM (IST)
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क्या ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (Picture Credit- Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। ओसीडी (OCD) यानी कि ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive Compulsive Disorder) एक प्रकार का डाउट डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति इंसान अपने विचार, सोच, आदतें, यादें, भविष्य हर बात पर डाउट करने पर मजबूर करता है। यह एक गंभीर मानसिक विकार (Mental Health Disorder) है, जिसमें इंसान हर समय चीजों को साफ करते रहता है या फिर ऑर्गेनाइज कर रहता है। ये एक प्रकार का मानसिक रोग है और हर इंसान में इसके अलग-अलग लक्षण देखने को मिल सकते हैं।

हालांकि, मानसिक रोग ((Mental Health) के प्रति सामाजिक स्टिग्मा और नकारात्मक सोच के कारण ओसीडी से पीड़ित लोग इस बारे में खुल कर बात करने से कतराते हैं। ओसीडी में कोई भी बात आपके ऊपर दो तरीके से कंपल्शन यानी दबाव डाल सकती है। पहला व्यावहारिक और दूसरा मेंटल। आइए जानते हैं इन दोनों कंपल्शन और इस समस्या के बारे में विस्तार से-

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व्यावहारिक कंपल्शन

व्यावहारिक कंपल्शन में आप शारीरिक रूप से ओसीडी को अपने व्यवहार में जीते हैं, जैसे हर समय हाथ धोना, हर लक्षण को गूगल करना, अपने प्रियजनों से तसल्ली करना कि वे आपको प्यार करते हैं, अपनी गलतियों को बार-बार स्वीकार करना, हर चीज को एक विशेष पैटर्न या ऑर्डर में रखना और ऐसा न होने पर उलझन महसूस करना।

मेंटल कंपल्शन

मेंटल कंपल्शन में इंसान अपने अंतर्मन में अपने ही विचारों से लड़ते रहता है, अपने किसी अनुभव के बारे में बारीकी से परीक्षण करते हैं, विचारों में ही अपने प्रॉब्लम के सॉल्यूशन खोजते हैं या फिर बहस करते हैं, ओवरथिंक करने के कारण शरीर में झनझनाहट महसूस करना और फिर सिर भारी होना। ऐसी स्थिति में इंसान को खुद के ऊपर भरोसा नहीं रह जाता है।

आइए समझते हैं कि कैसे चलती है ओसीडी की साइकिल-

  • पहले किसी भी काम के प्रति ऑब्सेशन महसूस होती है। न चाहते हुए भी बार-बार स्थिति को देखने और ठीक करने की तीव्र इच्छा होती है।
  • इसके कारण एंग्जायटी, डिप्रेशन, डर, चिंता और गुस्से के भाव एकसाथ पनपना शुरू होते हैं।
  • फिर अपने इन इमोशन को बाहर निकालने के लिए इंसान स्थिति को ठीक करने की कोशिश करता है।
  • इसके बाद थोड़ी देर के लिए उसे एंग्जायटी और गुस्से से शॉर्ट टर्म रिलीफ महसूस होता है।
  • फिर किसी अगली स्थिति को देखने और महसूस करने पर इस साइकिल को फ्यूल मिल जाता है और ये रिपीट हो जाती है।
ओसीडी के दौरान गुस्सा, डर, पछतावा, उदासी, बेचैनी, शर्म, गिल्ट और चिंता जैसे लक्षण महसूस होते हैं। ये सभी इमोशन एक साथ मिल कर एक प्रकार का ट्रैप बना लेते हैं, जिसमें इंसान हर समय उलझा हुआ रहता है।

ओसीडी का इलाज

  • बेझिझक स्वीकार करें कि आपको ओसीडी है।
  • समझें कि आपको महसूस होने वाली सभी नकारात्मक भावनाएं और विचार ओसीडी का ही एक हिस्सा हैं।
  • अपने करीबी और परिवार वालों की मदद लें।
  • साइको थेरेपी या टॉक थेरेपी लें।
  • ईआरपी(एक्सपोजर एंड रिस्पॉन्स प्रिवेंशन) थेरेपी लें। ये विशेष व्यवहार को टारगेट कर के बिहेवियरल थेरेपी देता है, जिससे ओसीडी के प्रति होने वाले रिस्पॉन्स से बचाव किया जा सके।
  • डॉक्टर के निर्देश पर एंटीडिप्रेसेंट और अन्य दवाइयां भी दी जाती हैं।
  • अफर्मेशन बोलें।
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