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Mobile Phone Addiction: क्यों आपके लिए मुश्किल होता है फोन से हाथ हटाना?

Mobile Phone Addiction मोबाइल फोन्स और गैजेट्स ने हमारी ज़िंदगी आसान बनाई है। इनकी वजह से दो जगहों के बीच की दूरी कम हो गई है लेकिन सिर्फ मोबाइल फोन से ही चिपके रहना अच्छा संकेत नहीं है।

By Ruhee ParvezEdited By: Updated: Fri, 12 Feb 2021 11:59 AM (IST)
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Mobile Phone Addiction: क्यों आपके लिए मुश्किल होता है फोन से हाथ हटाना?
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Mobile Phone Addiction: हम में से ज़्यादातर लोगों का दिन लैप्टॉप और मोबाइल फोन के सामने गुज़ारना पड़ता है, लेकिन क्या आपने इस बात का अहसास किया है कि जब आप कुछ खास नहीं कर रहे होते, तब भी आप मोबाइल पर सोशल मीडिया ही चेक कर रहे होते हैं। ज़्यादातर लोगों को लगातार सोशल मीडिया देखने की आदत ऐसी हो गई है कि उन्हें इस बात का अहसास तक नहीं होता कि वे कितना ज़्यादा वक्त ज़ाया कर रहे हैं। अगर आप उन लोगों में से हैं जो आधा घंटा भी अपने फोन से दूर नहीं रह सकते, तो ये आकुलता की निशानी है।

मोबाइल फोन और आकुलता में संबंध

मोबाइल फोन्स और गैजेट्स ने हमारी ज़िंदगी आसान बनाई है। इनकी वजह से दो जगहों के बीच की दूरी कम हो गई है, लेकिन सिर्फ मोबाइल फोन से ही चिपके रहना अच्छा संकेत नहीं है। जब भी आप काम नहीं कर रहे उस दौरान हर थोड़ी देर में फोन को उठा लेने का मतलब है कि आपका दिमाग़ शांत नहीं है। आपसे खाली नहीं बैठा जाता इसलिए आप हर थोड़ी देर में मोबाइल फोन देखने लगते हैं। ये अशांति की निशानी है, जिसका कारण तनाव हो सकता है।

अशांति के दुसरे संकेत

अशांति या कहें कि आकुलता कुछ खास उम्र के लोगों में आम होती है, खासतौर पर बच्चे और किशोर अवस्था में। हालांकि, हम सभी इसका अनुभव करते हैं, लेकिन इस पर खास ध्यान नहीं देते। हालांकि, अगर आप अपनी इस आदत पर ध्यान नहीं देंगे तो ये आगे चलकर गंभीर बेचैनी में बदल सकती है और आपकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में ख़लल पैदा कर सकती है। 

आकुलता के कई लक्षण होते हैं। जो लोग इससे जूझते हैं, वे ऑफिस में ज़्यादा समय बैठ नहीं पाते और न घर पर आराम कर पाते हैं। उन्हें आमतौर पर बेचानी महसूस होती है और वे रात में सो भी नहीं पाते। साथ ही अपने पैर और हाथों को हिलाने की आदत भी हो जाती है।

इस समस्या का क्या इलाज है?

आकुलता कुछ ही समय में और बड़ी आसानी से बेचैनी में बदल जाती है। इसलिए जितना जल्दी हो सके, इसका इलाज शुरू कर दें। 

ध्यान: एक समय में हमारा दिमाग़ कई जगह भागता है, जिसकी वजह से हम कई बार परेशान भी रहते हैं। इसका इलाज करने के लिए सबसे अच्छा है कि आप कुछ समय ध्यान करें। ध्यान करने से आपका दिमाग़ शांत रहेगा और आपका वर्तमान में ज़्यादा ध्यान दे पाएंगे। 

सांस लेने की एक्सर्साइज़: सांस लेने के लिए कई तरह की एक्सर्साइज़ हैं, जो आपका दिमाग़ शांत करने में मदद कर सकती हैं। आप इसे रोज़ाना करें ताकि बेचैनी से बचे रहें।

रुची ढूंढ़े: ज़िंदगी में रुची होना बेहद ज़रूरी है। चाहे बाग़बानी हो, खाना पकाना या फिर किताबें पढ़ना ही क्यों न हो। अपने पसंदीदा काम में मन लगाने से दिमाग़ शांत रहता है और आपको भी सुकून पहुंचता है।