क्या भारत में पैर पसार रहे Mpox के लिए मौजूद है वैक्सीन? यहां समझें इसके टीके से जुड़ी सभी जरूरी बातें
केरल में Mpox के मामले की पुष्टि के साथ ही भारत में इस संक्रमण का दूसरा मामला सामने आ चुका है। पूरी दुनिया में कोहराम मचाने के बाद अब यह वायरस भारत में भी घुसपैठ कर रहा है। ऐसे में इससे बचाव के लिए वैक्सीन (Monkeypox vaccine In India) को एक असरदार तरीका माना जाता है। जानते हैं इसकी वैक्सीन से जुड़ी सभी जरूरी बातें।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में Mpox का दूसरा मामला कंफर्म हो चुका है। दिल्ली के बाद अब केरल में भी मंकीपॉक्स का मामला मिला है और इसी के साथ अब इस संक्रमण को लेकर लोगों को चिंताएं बढ़ गई हैं। दुनियाभर में कहर बरपा रहे एमपॉक्स ने अब भारत में भी पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। ऐसे में जरूरी है कि इससे बचाव के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाए।
किसी भी वायरस से बचने (Monkeypox treatment) का सबसे प्रभावी तरीका वैक्सीनेशन होता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि यह Mpox के कोई वैक्सीन विकसित की गई है? क्या यह वैक्सीन इस इन्फेक्शन के खिलाफ कारगर है। अगर आप मन में भी ऐसे की सवाल घूम रहे हैं, तो आज इस आर्टिकल में हम आपको इन सभी सवालों का जवाब देने वाले हैं। आइए जानते हैं एमपॉक्स की वैक्सीन से जुड़े सभी सवालों के जवाब-
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क्या वर्तमान में एमपॉक्स की कोई वैक्सीन है?
जी हां, मौजूदा समय में एमपॉक्स संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन (Monkeypox vaccine In India) उपलब्ध है। हालांकि, वर्तमान में कोई भी उपलब्ध वैक्सीन विशेष रूप से सिर्फ मंकीपॉक्स वायरस को टारगेट नहीं करती है। ऐसा इसलिए क्योंकि मंकीपॉक्स वायरस (Mpox Virus) ऑर्थोपॉक्सवायरस नाम के वायरस की एक प्रजाति से जुड़ा हुआ है, जो सभी कॉम्प्लेक्स डीएनए वायरस हैं। इस जीनस के वायरस में वेरियोला वायरस शामिल है, जो चेचक यानी स्मॉल पॉक्स, काउपॉक्स वायरस और वैक्सीनिया वायरस का कारण बनता है।
इस जीनस के वायरस में काफी जेनेटिक समानताएं होती है, जिसकी वजह से इन अन्य वायरस के इलाज के लिए बनी वैक्सीन का इस्तेमाल एमपॉक्स संक्रमण से बचने के लिए भी किया जा सकता है।
वर्तमान में कितनी वैक्सीन मौजूद हैं?
बात करें वर्तमान में मौजूद वैक्सीन की, तो अगस्त 2024 तक, पूरे ईयू/ईईए, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विट्जरलैंड और कनाडा में एमपॉक्स के लिए अभी तक सिर्फ एक ही टीके को मंजूरी मिली है। इस वैक्सीन का नाम एमवीए-बीएन वैक्सीन है, जिसे मॉडिफाइड वैक्सीनिया अंकारा-बवेरियन नॉर्डिक के नाम से भी जाना जाता है।
वैक्सीन में वैक्सीनिया वायरस का एक कमजोर स्ट्रेन होता है, जो ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस के वायरस में से एक, जो मंकीपॉक्स वायरस से संबंधित है। मॉडिफाइड वैक्सीनिया अंकारा वैक्सीन 1950 और 60 के दशक में जर्मनी में विकसित की गई थी, जिसका इस्तेमाल मूल रूप से चेचक यानी स्मॉल पॉक्स इन्फेक्शन से बचाने के लिए किया जाता था।वर्तमान में यह एमवीए-बीएन है, जिसे आमतौर पर 28 दिनों के अंतर पर दो खुराक में दिया जाता है। हाल ही में WHO ने एमवीए-बीएन वैक्सीन को एमपॉक्स के खिलाफ अपनी प्रीक्वालिफिकेशन लिस्ट में शामिल करने वाली पहली वैक्सीन घोषित किया है।
इसके अलावा साल 2022 में एमपॉक्स प्रकोप के दौरान, जापान ने स्मॉल पॉक्स की वैक्सीन एलसी16 को मंजूरी दे दी थी, जबकि रूस ने चेचक, एमपॉक्स और अन्य ऑर्थोपॉक्सवायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन के लिए ऑर्थोपॉक्सवैक को लाइसेंस दिया था।