Mpox Virus: मंकीपॉक्स से जुड़े 5 मिथकों पर भरोसा करना पड़ सकता है भारी, एक क्लिक में दूर करें कन्फ्यूजन
मंकीपॉक्स भारत पहुंच चुका है! ऐसे में अपनी सुरक्षा के लिए आपको सबसे पहले इस बीमारी से जुड़े मिथकों (Monkeypox Virus Myths) और अफवाहों के बारे में जागरूक होने पड़ेगा। आइए इस आर्टिकल में ऐसी 5 गलतफहमियों से पर्दा उठाते हैं जिन्हें जानकर आप इस खतरनाक वायरस से लड़ने के लिए खुद को ठीक ढंग से तैयार कर सकते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। मंकीपॉक्स एक बीमारी है जो एमपॉक्स वायरस (Mpox virus symptoms) के संक्रमण से होती है। यह चेचक से मिलती-जुलती है लेकिन आम तौर पर कम गंभीर होती है। यह वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति या उसके इस्तेमाल की हुई चीजों को छूने से फैल सकता है। एमपॉक्स के इलाज के लिए दवाइयां और टीके मौजूद हैं इसलिए इसे बहुत बड़ा खतरा नहीं माना जाता है, लेकिन हाल ही में भारत में कुछ जगहों पर इसके मामले (Mpox Virus in India) देखने को मिले हैं, जिससे यह साफ हो गया है कि इस बीमारी के बारे में सही जानकारी रखना और बिना देर किए बचाव के लिए कुछ खास उपाय अपनाना बेहद जरूरी है। आइए इस आर्टिकल में एमपॉक्स वायरस जुड़े 5 मिथकों (Monkeypox Virus Myths) पर नजर डालते हैं।
क्या है Mpox?
एमपॉक्स एक बीमारी है जो एक खास तरह के वायरस, एमपॉक्स वायरस से होती है। यह वायरस चेचक वायरस से मिलता-जुलता है। पहली बार एमपॉक्स 1958 में जानवरों में और 1970 में इंसानों में पाया गया था। इस बीमारी में बुखार, शरीर पर दाने और ग्रंथियों में सूजन पैदा हो जाती हैं। इसके लक्षण चेचक से मिलते जुलते ही होते हैं, लेकिन आमतौर पर यह ज्यादा गंभीर नहीं होता है।मिथक 1: एक जैसा है मंकीपॉक्स और स्मॉलपॉक्स
एमपॉक्स और चेचक दोनों ही बीमारियां हैं, लेकिन ये एक-दूसरे से अलग हैं। दोनों अलग-अलग वायरस से होती हैं। चेचक की बात करें, तो ये बहुत गंभीर बीमारी थी और 1980 में खत्म भी हो गई। वहीं, एमपॉक्स चेचक जितना गंभीर नहीं है और इसमें मृत्यु दर भी चेचक जितना ज्यादा नहीं हैं। चेचक को रोकने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले टीके एमपॉक्स के खिलाफ पूरी तरह प्रभावी नहीं हैं, यही कारण है कि एमपॉक्स के लिए नए टीके बनाए जा रहे हैं।
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