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Mpox Virus: मंकीपॉक्स से जुड़े 5 मिथकों पर भरोसा करना पड़ सकता है भारी, एक क्लिक में दूर करें कन्फ्यूजन

मंकीपॉक्स भारत पहुंच चुका है! ऐसे में अपनी सुरक्षा के लिए आपको सबसे पहले इस बीमारी से जुड़े मिथकों (Monkeypox Virus Myths) और अफवाहों के बारे में जागरूक होने पड़ेगा। आइए इस आर्टिकल में ऐसी 5 गलतफहमियों से पर्दा उठाते हैं जिन्हें जानकर आप इस खतरनाक वायरस से लड़ने के लिए खुद को ठीक ढंग से तैयार कर सकते हैं।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Tue, 10 Sep 2024 03:35 PM (IST)
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Monkeypox Virus: मंकीपॉक्स से जुड़े 5 मिथकों पर कहीं आप भी तो नहीं कर रहे यकीन? (Image Source: Freepik)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। मंकीपॉक्स एक बीमारी है जो एमपॉक्स वायरस (Mpox virus symptoms) के संक्रमण से होती है। यह चेचक से मिलती-जुलती है लेकिन आम तौर पर कम गंभीर होती है। यह वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति या उसके इस्तेमाल की हुई चीजों को छूने से फैल सकता है। एमपॉक्स के इलाज के लिए दवाइयां और टीके मौजूद हैं इसलिए इसे बहुत बड़ा खतरा नहीं माना जाता है, लेकिन हाल ही में भारत में कुछ जगहों पर इसके मामले (Mpox Virus in India) देखने को मिले हैं, जिससे यह साफ हो गया है कि इस बीमारी के बारे में सही जानकारी रखना और बिना देर किए बचाव के लिए कुछ खास उपाय अपनाना बेहद जरूरी है। आइए इस आर्टिकल में एमपॉक्स वायरस जुड़े 5 मिथकों (Monkeypox Virus Myths) पर नजर डालते हैं।

क्या है Mpox?

एमपॉक्स एक बीमारी है जो एक खास तरह के वायरस, एमपॉक्स वायरस से होती है। यह वायरस चेचक वायरस से मिलता-जुलता है। पहली बार एमपॉक्स 1958 में जानवरों में और 1970 में इंसानों में पाया गया था। इस बीमारी में बुखार, शरीर पर दाने और ग्रंथियों में सूजन पैदा हो जाती हैं। इसके लक्षण चेचक से मिलते जुलते ही होते हैं, लेकिन आमतौर पर यह ज्यादा गंभीर नहीं होता है।

मिथक 1: एक जैसा है मंकीपॉक्स और स्मॉलपॉक्स

एमपॉक्स और चेचक दोनों ही बीमारियां हैं, लेकिन ये एक-दूसरे से अलग हैं। दोनों अलग-अलग वायरस से होती हैं। चेचक की बात करें, तो ये बहुत गंभीर बीमारी थी और 1980 में खत्म भी हो गई। वहीं, एमपॉक्स चेचक जितना गंभीर नहीं है और इसमें मृत्यु दर भी चेचक जितना ज्यादा नहीं हैं। चेचक को रोकने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले टीके एमपॉक्स के खिलाफ पूरी तरह प्रभावी नहीं हैं, यही कारण है कि एमपॉक्स के लिए नए टीके बनाए जा रहे हैं।

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मिथक 2: कुछ ही लोगों को प्रभावित करता है एमपॉक्स

एमपॉक्स किसी खास समूह या देश तक सीमित नहीं है। यह बीमारी दुनिया के किसी भी हिस्से में रहने वाले व्यक्ति को हो सकती है। हाल ही में, शहरों में और कुछ खास समुदायों में इस बीमारी के मामले ज्यादा देखे गए हैं। यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने या दूषित चीजों को छूने से फैलती है। यह किसी खास लाइफस्टाइल या समूह से जुड़ी हुई बीमारी नहीं है।

मिथक 3: आसानी से फैलता है मंकीपॉक्स

मंकीपॉक्स उतना आसानी से नहीं फैलता जितना कि आम सर्दी या फ्लू। यह बीमारी किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के बहुत करीब जाने से फैलती है, जैसे कि शरीर के तरल पदार्थ, त्वचा के घाव या दूषित वस्तुओं के संपर्क में आना। बस थोड़ी देर के लिए मिलने-जुलने से यह बीमारी नहीं होती।

मिथक 4: नहीं है मंकीपॉक्स का कारगर इलाज

एमपॉक्स के लिए कोई खास एंटीवायरल दवा फिलहाल मौजूद नहीं है, लेकिन लक्षणों को कम करने के लिए उपचार के कई तरीके मौजूद हैं। आराम करना, तरल पदार्थ और दर्द निवारक दवाएं लेना आम तौर पर काफी मददगार हो सकता है। चेचक के लिए विकसित किए गए टीके और कुछ एंटीवायरल दवाएं भी मंकीपॉक्स के इलाज में प्रभावी हो सकती हैं। हालांकि, वैज्ञानिक इस बीमारी के लिए और अधिक प्रभावी उपचार ढूंढने के लिए लगातार शोध कर रहे हैं।

मिथक 5: हवा से फैल सकता है मंकीपॉक्स

कोविड-19 के बाद से, लोग मंकीपॉक्स को भी कोरोना जैसा मानने लगे हैं। हालांकि, दोनों बीमारियां अलग-अलग तरीके से फैलती हैं। कोरोना हवा के जरिए फैलता है, जबकि मंकीपॉक्स किसी बीमार व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। इसलिए, मंकीपॉक्स से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना और संक्रमित से दूरी बनाए रखना बहुत जरूरी है।

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Disclaimer: लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो, तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।