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Mother's Day 2023: सुखद और स्वस्थ मातृत्व के लि‍ए जरूरी है सेहत का ख्याल रखना

Mothers Day 2023 हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को अंतरराष्ट्रीय मात्र दिवस यानी मदर्स डे मनाया जाता है। इस साल यह दिन 14 अप्रैल को पड़ रहा है। इस मौके पर जानें नई मां को अपनी सेहत का ध्यान रखते हुए किन बातों को याद रखना चाहिए।

By Jagran NewsEdited By: Ruhee ParvezUpdated: Tue, 09 May 2023 05:05 PM (IST)
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Mother's Day 2023: सुखद और स्वस्थ मातृत्व के लि‍ए जरूरी है सावधानी बरतना
नई दिल्ली। Mother's Day 2023: बच्चे के जन्म के बाद मां के तन-मन में जो बदलाव होते हैं, उनके प्रति सजग रहना चाहिए। मां बनने के बाद शरीर की संचित ऊर्जा क्षीण होने लगती है। बच्चे का ध्यान रखने में मां के खाने, सोने का समय नियमित नहीं रह पाता। इस कारण कई चुनौतियां आ सकती हैं। न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक भी। पोस्ट-पार्टम डिप्रेशन ऐसी ही एक चुनौती है। आइए जानें, बच्चे के जन्म के बाद होने वाले परिवर्तन की इस अवधि में नई मां को कैसे करनी चाहिए स्वयं की बेहतर देखभाल...

खुशी में उदासी का मेल क्यों

पोस्ट-पार्टम डिप्रेशन मां को स्वयं के प्रति लापरवाह बना देता है। यहां तक कि बच्चे से भी जुड़ाव कम हो सकता है। नन्हे मेहमान के आगमन के बाद मां के मन में केवल खुशी की ही लहरें उठें, ऐसा जरूरी नहीं। वह गंभीर उदासी का भी शिकार हो सकती हैं। नई जिम्मेदारियों के कारण मानसिक और शारीरिक उतार-चढ़ाव आते हैं। पर यह अवसाद का रूप लेने लगे तो सजग हो जाना चाहिए। गर्भावस्था के समय, प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजेन हार्मोन के स्तर सामान्य से अधिक होते हैं। डिलीवरी के बाद यह स्तर अचानक सामान्य हो जाता है। इस परिवर्तन से भी समस्या हो सकती है। अपर्याप्त आहार, नींद में कमी, थायरायड हार्मोन के कम स्तर जैसे कारक भी पोस्ट-पार्टम डिप्रेशन का कारण बन सकते हैं। इसका इलाज न किया जाए तो यह मोटापा, दिल का दौरे का जोखिम बढ़ सकता है।

बच्चे के जन्म के बाद की सामान्य परेशानियां

  • बालों का झड़ना
  • कब्ज, सीने में जलन, गले या पेट में जलन
  • कील-मुहांसे, तैलीय त्वचा आदि
  • गर्भाशय या योनि में संक्रमण
  • रक्तस्राव होना, टांके में दर्द होना
  • वजन का बढ़ना
  • स्तन से जुड़ी समस्याएं
  • पैरों व पेट पर सूजन आना

सामान्य जीवन के लिए जरूरी सलाह

  • बच्चे के जन्म से पहले महीनेवार एक योजना होती है, इसके बाद भी ऐसी योजना होनी चाहिए।
  • प्राथमिकता बच्चे व घर की जिम्मेदारी के साथ स्वयं की सेहत भी होनी चाहिए।
  • स्तनपान कराना मां के लिए भी अच्छा है। इससे वजन कम करने में मदद मिलती है।
  • बच्चे के जन्म के आखिरी समय में कुछ मांओं को मधुमेह होकर खत्म भी हो जाता है। यह संकेत है कि आगे मधुमेह हो सकता है।
  • पहली बार स्तनपान करा रही हैं तो परेशानी स्वाभाविक है। इसमें चिकित्सक की मदद लें तो यह भी आसान होगा।
  • हल्का-फुल्का व्यायाम करें। योग की मदद लें। इससे नींद भी अच्छी आएगी।

खानपान संबंधी सावधानी

  • गर्भधारण के दौरान आयरन, विटामिन-डी और विटामिन-बी12 का सेवन जारी रखें।
  • दूध, पनीर, दही, मछली और बीन्स जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ खाएं।
  • फलों और सब्जियों में विटामिन और खनिज होते हैं और फाइबर भी। यह कब्ज रोकने के लिए जरूरी हैं।
  • दलिया का सेवन करें। इसे मूंग की दाल में डालकर तैयार करें। स्तनपान में यह गुणकारी है।
  • छिलके वाली मसूर की दाल सुपाच्य है। नई मांओं के लिए लाभकारी है।

वजन कम करने के दौरान सावधानी

  • बहुत जल्दी वजन कम करने के बारे में न सोचें।
  • तुरंत अपनी डाइट से पसंदीदा चीजों को न निकालें।
  • नई मांओं को भूख बहुत लगती है। हर वक्त कुछ खाते रहने के बजाय तय समय पर ही खाएं।
  • मखाना, सलाद का ज्यादा सेवन करें।
  • चिकित्सक से एक डायट चार्ट लेकर अमल करें।

देसी घी कितना जरूरी?

मान्यता है कि इस दौरान भरपूर घी का सेवन करना चाहिए ताकि बच्चे को पर्याप्त दूध मिले। इसलिए लड्डू, पंजीरी आदि भरपूर घी डालकर तैयार किया जाता है। यह तरीका ठीक नहीं है। देसी घी का समावेश होना चाहिए पर इसकी अधिक मात्रा सेहत से बात बिगड़ सकती है।

मसाज की भूमिका

नई मांओं का मसाज की परंपरा रही है। पहले शरीर में वाटर रिटेंसन न रहे इसलिए मसाज जरूरी माना जाता था। पर अब दवा देकर इन सब दिक्कतों से निपट लिया जाता है। मसाज गलत नहीं है पर यह अनिवार्य भी नहीं है। हल्के मसाज से शरीर और मन को आराम मिल सकता है।

(डॉ. अनीता गुप्ता, वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ, फोर्टिस, ग्रेटर कैलाश, नई दिल्ली)

बातचीत : सीमा झा

Picture Credit: Freepik