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बच्चों को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा Myopia! आंखों को सुरक्षित रखने के लिए याद रखें ये उपाय

एक स्टडी में बेहद चौंकाने वाले खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक हर तीन में से एक बच्चा मायोपिया (Myopia in Kids) का शिकार है। बच्चों में मायोपिया के मामले कोविड महामारी के दौरान लगे लॉक डाउन के बाद से बढ़ने शुरू हुए हैं जो यह बताता है कि स्क्रीन टाइम का इसमें कितना अहम रोल है। जानें बच्चों की आंखों को सुरक्षित रखने के कुछ उपाय (Tips to Prevent Myopia)।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Fri, 27 Sep 2024 08:38 AM (IST)
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Study: हर तीन में से एक बच्चा है मायोपिया का शिकार (Picture Courtesy: Freepik)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Myopia In Kids: हाल ही में एक स्टडी में ये पता चला है कि कोविड-19 महामारी के बाद बच्चों में मायोपिया के मामले काफी बढ़ गए हैं। अब हर तीन में से एक बच्चा मायोपिया का शिकार है। मायोपिया, जिसे निकट दृष्टि दोष भी कहते हैं, एक ऐसी समस्या है जिसमें दूर की चीजों को देखने में परेशानी होती है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2050 तक बच्चों में मायोपिया के मामले 74 करोड़ तक पहुंच सकते हैं। इस आर्टिकल में हम मायोपिया के कारण और बचाव के तरीकों (Tips to Prevent Myopia) के बारे में जानेंगे।

क्या है बच्चों में बढ़ते मायोपिया की वजह?

स्टडी के मुताबिक मायोपिया के मामले बढ़ने के पीछे की वजह है ज्यादा लंबा स्क्रीन टाइम। कोविड-19 महामारी के दौरान लगे लॉक डाउन में बाहर जाने का कोई ऑप्शन नहीं था। इसलिए बच्चों की पढ़ाई से लेकर मनोरंजन तक, सबकुछ मोबाइल फोन या कंप्यूटर के जरिए ही हुआ। लॉक डाउन के बाद भी अब बच्चों का ज्यादातर समय फोन या कंप्यूटर के सामने ही बीतता है। इसके कारण उनका स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है।

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ज्यादा स्क्रीन टाइम के कारण आंखों में स्ट्रेन, रेडनेस और ड्राईनेस जैसी परेशानियां भी होती हैं, जो आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। स्क्रीन टाइम ज्यादा होने के साथ-साथ और भी कुछ फैक्टर्स हो सकते हैं, जो मायोपिया की वजह बन सकते हैं, जैसे-

  • जेनेटिक्स- यदि माता-पिता में से किसी एक या दोनों को मायोपिया है, तो उनके बच्चों में भी इसकी संभावना ज्यादा होती है।
  • बाहरी गतिविधियों की कमी- बाहर खेलने और धूप में रहने से आंखों को आराम मिलता है और मायोपिया का खतरा कम होता है। लेकिन इसकी कमी की वजह से आंखों को नुकसान पहुंचता है।
  • कम रोशनी में पढ़ना- कम रोशनी में पढ़ने या फोन चलाने से आंखों पर ज्यादा स्ट्रेन पड़ता है, जिससे मायोपिया हो सकता है।

मायोपिया से बचने के उपाय

मायोपिया को पूरी तरह से रोकना मुश्किल हो सकता है, खासकर यदि परिवार में इसका इतिहास है। हालांकि, कुछ उपाय अपनाकर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है, जैसे-

  • बाहरी गतिविधियों को बढ़ावा देना- बच्चों को हर दिन कम से कम 2-3 घंटे बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • स्क्रीन समय को सीमित करना- कंप्यूटर, टैबलेट और स्मार्टफोन का इस्तेमाल हर दिन 2 घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
  • आंखों को आराम देना- नियमित रूप से आंखों को आराम देने के लिए 20-20-20 नियम का पालन करें। यानी हर 20 मिनट के स्क्रीन समय के बाद, 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर की किसी चीज को देखें।
  • सही रोशनी में पढ़ना- पढ़ते समय बच्चों के कमरे की रोशनी सही हो, इसका ध्यान रखें और उन्हें अंधेरे में फोन न चलाने दें।
  • नियमित आंखों की जांच कराना- बच्चों की आंखों की नियमित जांच कराना जरूरी है, ताकि मायोपिया के शुरुआती लक्षणों का पता चल सके और सही इलाज किया जा सके।
  • पोषण पर ध्यान दें- बच्चे की डाइट में विटामिन-ए, डी, ई और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर हो।
  • आंखों की एक्सरसाइज करना- कुछ आंखों की एक्सरसाइज भी मायोपिया को रोकने में मदद कर सकता है। इनमें आंखों को घुमाना, आंखों को बंद करके आराम करना और दूर की चीजों पर फोकस करना शामिल हो सकता है।

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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।