क्या है नेजल पॉलिप्स की समस्या, जिससे हो सकती है सांस लेने में परेशानी
नेजल पॉलिप्स की बीमारी में व्यक्ति के नाक के अंदर छोटी सी मांस की गांठ बन जाती है। शुरु में तो इससे किसी भी तरह की समस्या नहीं होती लेकिन जैसे-जैसे इनका साइज बढ़ने लगता है वैसे- वैसे सांस लेने में दिक्कत की समस्या होने लगती है। इतना ही नहीं इससे सूंघने की भी क्षमता पर भी असर पड़ता है। नाक बहना या बंद नाक पॉलिप्स के लक्षण हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। नेजल पॉलिप्स नासिका मार्ग में होने वाली नॉन-कैंसरस वृद्धि को कहते हैं। यह एलर्जी, अस्थमा या संक्रमण के कारण नासिका मार्ग में सूजन की वजह से होता है। यह दाने की तरह निकलता है। इससे आज दुनियाभर की आबादी का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित है। इस समस्या में कई तरह के लक्षण नजर आते हैं। सांस लेने में परेशानी सबसे आम लक्षण है।
नेजल पॉलिप्स के कारण
नेजल पॉलिप्स के सटीक कारणों का अभी भी पता लगाया जा रहा है। कुछ अन्य कारण हैः-
क्रॉनिक सूजनः यह एलर्जिक राइनिटिस या साइनस संक्रमण के कारण हो सकती है।
अस्थमाः अस्थमा पीड़ित लोगों को नेजल पॉलिप्स होने की संभावना ज्यादा होती है। एनआईएच द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार अस्थमा के 7 से 15 प्रतिशत लोगों को नेजल पॉलिप्स है।
अनुवांशिक कारणः परिवार में नेजल पॉलिप्स का इतिहास होने पर इससे प्रभावित होने की संभावना बढ़ जाती है।
एस्पिरिन की संवेदनशीलताः एस्पायरिंग-एक्सासरबेटेड रेस्पिरेटरी डिज़ीज़ (एईआरडी) होने पर एस्पिरिन के प्रति संवेदनशील लोगों को नेजल पॉलिप्स होने की संभावना बढ़ जाती है।
स्वास्थ्य की अन्य समस्याएंः सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसी समस्याएं होने पर नेजल पॉलिप्स हो सकता है।
नेजल पॉलिप्स से जुड़े कुछ सामान्य लक्षण हैंः-
- नाक बंद हो जाने से सांस लेने में दिक्कत होती है।
- नाक लगातार बहती रहने से परेशानी होती है।
- गंध बिल्कुल भी नहीं या बहुत कम महसूस होती है, इससे स्वाद पर भी असर पड़ सकता है।
- सोते वक्त सांस लेने में दिक्कत के कारण खर्राटे या नींद की अन्य समस्याएं होती हैं।
- गले में बलगम का पैदा होना
अगर इसका इलाज न कराया जाए, तो इससे व्यक्ति की दिनचर्या पर असर पड़ता है। साथ ही क्रॉनिक साइनस इन्फेक्शन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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नेजल पॉलिप्स की जांच
नेजल पॉलिप्स का निदान इसके लक्षण और गंभीरता पर निर्भर है। इसमें आमतौर से शामिल हैं-
शारीरिक परीक्षणः डॉक्टर द्वारा नासिका मार्ग की पूरी जांच की जाती है।
इमेजिंग टेस्टः पॉलिप्स का आकार और स्थान देखने के लिए सीटी स्कैन और कुछ मामलों में एमआरआई किया जाता है।
एलर्जी टेस्टिंगः इसमें किसी भी एलर्जी की पहचान की जाती है, जिसकी वजह से क्रॉनिक सूजन हो सकती है।
नेजल पॉलिप्स का इलाज
इलाज का उद्देश्य पॉलिप्स को हटाना या उसका आकार कम करना है।
दवाएंः सूजन को कम करने और पॉलिप्स को सुखाने के लिए आमतौर से कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स दिए जाते हैं।
सर्जरीः जब दवाओं से फायदा न मिले या पॉलिप्स का आकार ज्यादा बड़ा हो, तब सर्जिकल प्रक्रियाएं, जैसे एंडोस्कोपिक साइनस सर्जरी की जाती है।
दीर्घकालिक प्रबंधनः कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स नैसल स्प्रे या अन्य दवाओं के नियमित इस्तेमाल से इन्हें वापस आने से रोका जा सकता है।
भारत में प्रदूषण बढ़ने के साथ सांस की समस्याएं बढ़ रही हैं। इसलिए लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाया जाना और इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक मेडिकल केयर प्रदान किया जाना बहुत जरूरी है।
(डॉ. शशांक वशिष्ठ, ईएनटी कंसल्टेंट, मनीपाल हॉस्पिटल, गुरुग्राम से बातचीत पर आधारित)
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