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भविष्य में बच्चों को मलेरिया से बचाएगी 'स्वीट कैंडी', उपचार होगा आसान...

Malaria Prevention नई दिल्ली के जेएनयू के स्पेशल सेंटर फार मालिक्यूलर मेडिसिन विभाग के प्रो. शैलजा सिंह ने बताया कि जेएनयू की एक शोध टीम को मिली बड़ी सफलता। भविष्य में मलेरिया संक्रमित बच्चों का उपचार होगा आसान...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Tue, 31 May 2022 01:55 PM (IST)
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एरिथ्रिटाल से बनाई गई 'स्वीट कैंडी' मलेरिया के इलाज में कारगर साबित
नई दिल्ली, संजीव कुमार मिश्र। दुनियाभर में हर साल मलेरिया के कारण चार लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में इस बीमारी के कारण अनुमानित दो तिहाई मौतें होती हैं। बच्चों को मलेरिया से बचाने की दिशा में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के शोधार्थियों को बड़ी सफलता मिली है। शोधार्थियों की एक टीम ने मलेरिया के इलाज के लिए एक अनोखी दवा 'स्वीट कैंडी' विकसित की है। एरिथ्रिटाल से बनाई गई यह स्वीट कैंडी मलेरिया के इलाज में कारगर साबित होगी।

जेएनयू के स्पेशल सेंटर फार मालिक्यूलर मेडिसिन विभाग की प्रोफेसर शैलजा सिंह ने बताया कि एरिथ्रिटाल (शुगर अल्कोहल) एक कार्बनिक यौगिक है। चीनी के विकल्प के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है। मक्के का स्टार्च निकालकर उसे ग्लूकोज में बदला जाता है फिर ग्लूकोज का किण्वन कर एरिथ्रिटाल बनाया जाता है। इससे निर्मित कैंडी को मलेरिया के खिलाफ प्रभावी पाया गया है और इसे पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। यह शोध अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'बायो एक्स आरआइवी' में भी प्रकाशित हुआ है।

परजीवी का विकास रोकने में सक्षम: मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होता है, जो संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छरों के काटने से होता है। मलेरिया की दवा बहुत कड़वी होती है। इसे खाते ही लोग उल्टी कर देते हैं। इसे बच्चों को खिलाना बहुत मुश्किल भरा होता है। यदि मलेरिया की दवा स्वीट कैंडी की तरह हो तो बच्चे इसे आसानी से खा सकेंगे। इसलिए एरिथ्रिटाल को मलेरिया की दवाओं के कांबिनेशन के साथ दिया गया है।

चूहों पर किया गया ट्रायल: एरिथ्रिटाल कितना प्रभावी है, यह पता लगाने के लिए चूहों पर ट्रायल किया गया। इसके लिए चूहों के छह अलग-अलग समूह बनाए गए। पहला समूह मलेरिया परजीवी प्रभावित नहीं था। दूसरे समूह को एरिथ्रिटाल दिया गया। तीसरे समूह को मलेरिया की दवा आर्टिसुनेट दी गई। चूहों के चौथे समूह को आर्टिसुनेट की अधिक डोज (60 एमजी) दी गई। पांचवें समूह को एरिथ्रिटाल और आर्टिसुनेट दोनों दिया गया, जबकि छठे समूह को कोई दवा नहीं दी गई थी। पाया गया कि एरिथ्रिटाल अकेले और मलेरिया की दवा के साथ देने पर अधिक प्रभावी था। ट्रायल में यह भी देखा गया कि जिन चूहों को एरिथ्रिटाल दिया गया, उनमें मलेरिया परजीवी का विकास रुक गया। हालांकि इस शोध के ट्रायल के अभी कई चरण बाकी हैं, लेकिन अभी तक के परिणाम बहुत उत्साहवर्धक हैं। यदि मलेरिया प्रभावित इलाकों में बच्चे स्वीट कैंडी का सेवन करेंगे तो मलेरिया नियंत्रण में बहुत मदद मिलेगी।