COVID-19 का कौन-सा वेरिएंट बन सकता है नई लहर की वजह, पहले ही बता देगा एआई!
दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर जारी है। समस-समय पर सामने आने वाले इसके नए-नए वेरिएंट्स तमाम देशों के लिए चिंता का विषय बन रहे हैं। इस वक्त इसके JN.1 वेरिएंट ने तहलका मचाया हुआ है। वहीं एक नई स्टडी में ये बात सामने आई है कि आर्टिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) का नया मॉडल कोविड-19 के नए वेरिएंट्स का पहले से अनुमान लगा सकता है। आइए जानें कैसे?
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। COVID-19: कोरोना का सितम थमा नहीं है। देश के कई राज्यों में इसका नया वेरिएंट JN.1 एंट्री कर चुका है। कोरोना का यह स्ट्रेन अन्य वेरिएंट की तुलना में ज्यादा संक्रामक माना जा रहा है। ऐसे में इसके ट्रांसमिशन को लेकर पूर्वानुमान लगाने के लिए अब तक जो मॉडल्स इस्तेमाल होते आए हैं, वे इसके फैलने के बारे में सटीक जानकारी नहीं दे पाते हैं, लेकिन अब आर्टिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) की ओर से एक राहत देने वाली खबर सामने आई है।
अमेरिका के प्रख्यात मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के शोधकर्ताओं ने एक नोवेल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल विकसित किया है। इसे लेकर की गई स्टडी कहती है कि ये एआई मॉडल एक हफ्ते की अवधि में गणना के बाद हर देश में करीब 73 प्रतिशत और दो हफ्तों के बाद 80 फीसदी से ज्यादा वेरिएंट्स का पता लगा सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं इस नई स्टडी के बारे में-यह भी पढ़ें- प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज हो सकती है खतरनाक, जानें इसके लक्षण और बचाव के तरीके
क्या कहती है स्टडी?
अमेरिका के ‘मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ और इजराइल के ‘द हिब्रू यूनिवर्सिटी-हादासाह मेडिकल स्कूल’ की टीम ने ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग एवियन इन्फ्लुएंजा डेटा (GISAID) द्वारा 30 देशों से नमूने कलेक्ट किए। इनमें SARS- COV-2 वायरस के 90 लाख नमूनों के जेनेटिक सीक्वेन्स का विश्लेषण किया।रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मॉडल की मदद से इन्फ्लूएंजा, hCoV-19, रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (RSV), एचएमपीएक्सवी के साथ-साथ चिकनगुनिया, डेंगू और जीका समेत अन्य मच्छर या कीटों से पैदा होने वाले वायरस से डेटा को तेजी से साझा करने में मदद मिलेगी।
ऐसे काम करेगा मॉडल?
ये रिसर्च ‘पीएनएएस नेक्सस’ पत्रिका में पब्लिश स्टडी में दावा किया गया है कि यह मॉडल हर देश में अगले तीन महीनों में 10 लाख लोगों में कम से कम 1000 लोगों को संक्रमित करने वाले ऐसे 72.8 प्रतिशत वेरिएंट्स का पता लगा सकता है। वेरिएंट्स का पता लगाने के लिए मॉडल को सिर्फ एक हफ्ते के ऑब्जर्वेशन पीरियड की जरूरत होती है।हालांकि, अगर इस ऑब्जर्वेशन पीरियड को बढ़ाकर दो हफ्ते कर दिया जाए, तो वेरिएंट्स का अनुमान लगाने की यह दर 80.1 प्रतिशत हो सकती है। शोधकर्ता अभी इस क्षेत्र में और अधिक रिसर्च कर रहे हैं, ताकि इससे मॉडल का इंफ्लुएंजा, एवियन फ्लू वायरस समेत अन्य रेस्पिरेटरी वायरस के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
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Author- Nikhil PawarDisclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।Picture Courtesy: Freepik