डायबिटीज या मोटापा ही नहीं Infertility की वजह भी बन सकती है Night Shift, यहां समझें दोनों का कनेक्शन
इन दिनों वर्क कल्चर में नाइट शिफ्ट का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। हालांकि लगातार नाइट शिफ्ट (Night Shift Fertility Issues) करने की वजह से सेहत पर काफी बुरा असर होता है। इससे न सिर्फ डायबिटीज या मोटापा आपको अपना शिकार बना सकता है बल्कि इससे आपकी फर्टिलिटी भी प्रभावित हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर बता रहे हैं Night Shift और Infertility का कनेक्शन।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। इन दिनों लोगों की लाइफस्टाइल पूरी तरह से बदल चुकी है। खानपान से लेकर रहन-सहन तक सभी में बदलाव हो चुका है। आजकल वर्क कल्चर भी काफी ज्यादा बदल चुका है। काम के बढ़ते प्रेशर और समय की मांग के चलते इन दिनों नाइट शिफ्ट (Night Shift Fertility Issues) काफी चलन में आ गया है। इसके अलावा कई ऐसे फील्ड होते हैं, जहां नाइट शिफ्ट में काम करने वाले वर्कर्स की जरूरत होती है। ऐसे में लगातार नाइट शिफ्ट (Night Shift Side Effects) में काम करने की वजह से व्यक्ति की सेहत पर भी असर पड़ता है।
रात के समय काम करने से न सिर्फ सेहत से जुड़ी समस्याएं होती हैं, बल्कि इससे आपकी फर्टिलिटी भी प्रभावित होती है। क्लाउडनाइन हॉस्पिटल, नोएडा में गायनेकोलॉजिस्ट डॉ.मनीषा रंजन के मुताबिक नाइट शिफ्ट में काम करने वाले वर्कर्स चाहे वह महिला हो या पुरूष दोनों की फर्टिलिटी कम हो सकती है। आइए इस आर्टिकल में एक्सपर्ट से जानते हैं कैसे आपकी फर्टिलिटी को प्रभावित करती है नाइट शिफ्ट-यह भी पढ़ें- सिरदर्द ही नहीं, ये अनजान लक्षण भी हैं High Blood Pressure के संकेत, नजरअंदाज किया तो जा सकती है जान
नाइट शिफ्ट और फर्टिलिटी में कनेक्शन
नाइट शिफ्ट (Night Shifts Me Kaam Karne Ke Nuksan) और फर्टिलिटी के बीच कनेक्शन बताने के लिए कई सारे सबूत मौजूद हैं। कुछ अध्ययनों के मुताबिक नाइट शिफ्ट में काम करने से सर्कैडियन रिदम बाधित होता है, जो फर्टिलिटी जैसे कई अलग-अलग तरह की शारीरिक प्रक्रियाओं के लिए जरूरी है। अगर महिलाएं नाइट शिफ्ट में काम करती हैं, तो इससे उन्हें अनियमित पीरियड्स, मिस्कैरिज और कंसीव करने में दिक्कत जैसी परेशानियां का सामना करना पड़ता है।महिलाओं के लिए, रात की पाली को मासिक धर्म की अनियमितताओं, गर्भपात के बढ़ते जोखिम और गर्भधारण में कठिनाइयों से जोड़ा गया है। सर्कैडियन रिदम बिगड़ने से एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन जैसे जरूरी रिप्रोडक्टिव हार्मोन का सीक्रीशन प्रभावित होता है, जो ओव्यूलेशन और प्रेग्नेंसी को बनाए रखने के लिए जरूरी हैं। वहीं, पुरुषों में नाइट शिफ्ट की वजह से स्पर्म की गुणवत्ता कम हो सकती है, टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम हो सकता है और अन्य हार्मोन भी असंतुलित हो सकते हैं, जिससे फर्टिलिटी पर बुरा असर पड़ता है। आइए विस्तार जानते हैं नाइट शिफ्ट कैसे महिलाओं और पुरुषों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है-
महिलाओं के लिए
- लगातार नाइट शिफ्ट में काम करने से पीरियड साइकिल बिगड़ सकती है। साथ ही एनोव्यूलेशन (ओव्यूलेशन न होने की स्थिति) और शार्ट ल्यूटियल फेज जैसी स्थितियां हो सकती है, जो गर्भधारण को और ज्यादा कठिन बना सकते हैं।
- सर्कैडियन रिदम खराब होने और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस की वजह से अंडों की संख्या और इसकी क्वालिटी पर असर हो सकता है, जिससे प्रजनन क्षमता कम हो सकती है।
- लंबे समय तक नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में लगातार हार्मोन डिस्बैलेंस और ओव्यूलेशन में कमी हो सकती है, जिससे इनफर्टिलिटी का खतरा बढ़ जाता है।
- इतना ही नहीं नाइट शिफ्ट में काम करने से महिलाओं में मिस्कैरिज का खतरा भी बढ़ जाता है।
- ऐसे कुछ सबूत हैं, जिनसे पता चलता है कि रात में काम करने से महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) होने का खतरा बढ़ जाता है, जो फर्टिलिटी को प्रभावित करता है।
पुरुषों के लिए
- लगातार नाइट शिफ्ट करने से पुरुषों में स्पर्म की संख्या कम हो सकती है। साथ ही उनकी क्वालिटी भी प्रभावित हो सकती है, जिससे इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है।
- लंबे समय तक रात में काम करने से टेस्टोस्टेरोन के स्तर में निरंतर कमी आ सकती है, जो पूरे प्रजनन स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जरूरी है।
- सर्कैडियन रिदम बिगड़ने की वजह से स्पर्म में डीएनए फ्रेगमेंटेशन बढ़ सकता है, जिससे प्रजनन क्षमता खराब हो सकती है और मिस्कैरिज या जम्न के समय बच्चे में जेनेटिक एब्नॉर्मेलिटी का खतरा बढ़ सकता है।