Paris Olympics 2024: अस्थमा के बावजूद नोहा लायल्स ने रेस में जीता गोल्ड, मुश्किल नहीं इस बीमारी के साथ जीना
नोहा लायल्स ने पेरिस ओलंपिक में पुरुषों की 100 मीटर रेस में गोल्ड मेडल जीता है और ऐसा करने वाले वो अमेरिका के पहले एथलीट बन गए हैं। जबकि वो अस्थमा एलर्जी डिस्लेक्सिया एडीडी एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी कई बीमारियों से भी जूझ रहे हैं। जिनकी जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए दी। आप भी कुछ बातों का ध्यान रखकर अस्थमा के साथ हेल्दी लाइफ जी सकते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी स्प्रिंटर नोहा लॉयल्स पिछले बीस सालों में पुरुषों की 100 मी. फर्राटा में ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले अमेरिका के पहले एथलीट हैं। मेडल जीतने के बाद नोहा ने X पर एक पोस्ट के जरिए बताया कि, 'मुझे अस्थमा, एलर्जी, डिस्लीक्सिया, एडीडी (deficit/hyperactivity disorder), एंग्जाइटी और डिप्रेशन है, लेकिन मैं आपसे बताऊंगा कि आपके पास क्या है, ये चीजें आपको डिफाइन नहीं कर सकता कि आप क्या बन सकते हैं। ये मैंने किया है, तो आप क्यों नहीं कर सकते हैं।
अस्थमा एथलीट्स में सबसे आम पुरानी बीमारियों में से एक है। यह आपकी क्षमता को कम करता है। जब भी आप दौड़ते हैं, कोई एक्टिविटी या मेहनत वाले काम करते हैं, तो इससे आपको सांस लेने में प्रॉब्लम होती है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि अस्थमा कोई बीमारी नहीं है। अगर सही समय पर इसका पता चल जाए, तो मरीज अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों और व्यायाम को बिना किसी कठिनाई के कर सकते हैं। सबसे ज़रूरी है कि आप अपने डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं को नियमित रूप से लें।
डॉ. मनीषा मेंदिरत्ता, एसोसिएट डायरेक्टर और हेड, पल्मोनोलॉजी, सरवोदय अस्पताल, फरीदाबाद बताते हैं कि, 'जैसा कि हर कोई जानता है, इनहेलर्स या नेबुलाइज़्ड दवाएं अस्थमा मरीजों के लिए सबसे प्रभावी होती हैं। अगर इन्हें नियमित रूप से लिया जाए, तो ये फेफड़ों की क्षमता को बनाए रखते हैं। फेफड़ों को और नुकसान से बचाने में काफी प्रभावी होती हैं। इसके अलावा, अस्थमा के मरीज नियमित श्वसन अभ्यास के जरिए भी अपनी फेफड़ों की क्षमता को सुधार सकते हैं अस्थमा अब कोई ऐसी बीमारी नहीं है कि अगर ये हो जाए, तो मानो जिंदगी खत्म हो गई। इसके साथ भी आप सामान्य जीवन जी सकते हैं। नियमित जांच, पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट, लगातार जांच और किसी भी लक्षण के आते ही टीकाकरण का इलाज बहुत महत्वपूर्ण है।'
डॉ. अनिमेष आर्य, डायरेक्टर, आसरा सेंटर फॉर चेस्ट एलर्जी एंड स्लीप डिसऑर्डर, 'पुराने समय से जुड़ी अस्थमा के बारे में गलत धारणाएं लोगों को विकलांगता और कई तरह की दूसरी परेशानियों का भी सामना करवा सकती हैं। इन धारणाओं को गलत साबित करना जरूरी है, क्योंकि अस्थमा भले ही एक क्रोनिक बीमारी हो, इसे सही तरीके से और नियमित रूप से इलाज करके मैनेज किया जा सकता है। अगर अस्थमा का इलाज सही तरीके से और समय पर किया जाए, तो लोग सामान्य जीवन जी सकते हैं। वे खेलों में भाग ले सकते हैं, एक्टिव लाइफस्टाइल अपना सकते हैं और दूसरों की तरह अपने टारगेट्स अचीव कर सकते हैं। इसके लिए डॉक्टर द्वारा बताए गए दवाओं का नियमित सेवन करें, जिसका मकसद "क्लिनिकल क्योर" तक पहुंचना है, जहां लक्षण नियंत्रण में रहते हैं और फेफड़ों की कार्यक्षमता मजबूत बनी रहती है।
जो लोग अस्थमा के बावजूद प्रोफेशनल एथलीट बनने का सपना देखते हैं और खेलकूद में भाग लेने का पैशन रखते हैं, उनके लिए यह जरूरी है कि वे अपनी दवाओं का नियमित सेवन करते रहें, जिसमें आमतौर पर इनहेल्ड ब्रोंकोडायलेटर या रिलीवर और लंबे समय तक काम करने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी इनहेलर शामिल होते हैं। इसके अलावा फिटनेस लेवल को बनाए रखना भी जरूरी है, खासकर उन एक्सरसाइज के जरिए से जो फेफड़ों की कार्यक्षमता को बेहतर बनाते हैं। वजन को कंट्रोल रखना भी जरूरी है, क्योंकि मोटापा अस्थमा के लक्षणों को और खराब कर सकता है।'
ये भी पढ़ेंः- Emotional Eating से हो सकते हैं कई बीमारियों का शिकार, बचाव के लिए अपनाएं 5 तरीकेडॉ. पियूष गोयल, सलाहकार, पल्मोनोलॉजी, मनिपाल हॉस्पिटल, गुरुग्राम ने अस्थमा से जूझ रहे एथलीट्स के लिए अपनी शारीरिक क्षमता को बनाए रखने के कुछ उपाय सुझाए हैं, जान लें इसके बारे में...
- व्यायाम से पहले अपने डॉक्टर द्वारा सुझाए गए इनहेलर का इस्तेमाल करें।
- एक्सरसाइज से पहले 15 से 20 मिनट तक वार्मअप करें जिससे वर्कआउट के दौरान ब्रीदिंग इश्यू न हो।
- ठंडे मौसम में बाहर व्यायाम करते समय अपनी नाक और मुंह को कवर करके रखें।
- जब बाहर की हवा की क्वॉलिटी खराब हो, तो बहुत भारी फिजिकल एक्टिविटी अवॉयड करें।
- वर्कआउट के बाद कूल डाउन करने का समय जरूर निकालें।
- अस्थमा अटैक से बचने के लिए धूल, पोलन वाली जगह से दूर रहें।