Fatty Liver: कैंसर का बड़ा कारण बन रहा नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर, डायबिटीज के भी बड़े जोखिम आ रहे सामने
खराब जीवनशैली गलत खान-पान और मोटापा सेहत पर भारी पड़ रहा है। इससे नान अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) अब वायरल हेपेटाइटिस की तुलना में लिवर कैंसर का बड़ा कारण बनने लगा है। यह अध्ययन हेपेटोलाजी इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल में भी प्रकाशित हुआ है। आइएलबीएस के अतिरिक्त प्रोफेसर डा. अशोक चौधरी ने बताया कि पहले हेपेटाइटिस बी के कारण लिवर कैंसर की बीमारी अधिक होती थी।
रणविजय सिंह, नई दिल्ली। खराब जीवनशैली, गलत खान-पान और मोटापा सेहत पर भारी पड़ रहा है। इससे नान अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) अब वायरल हेपेटाइटिस की तुलना में लिवर कैंसर का बड़ा कारण बनने लगा है। यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान (आइएलबीएस) के नेतृत्व में देश के नौ अस्पतालों के अध्ययन में यह चिंताजनक तस्वीर सामने आई है।
यह अध्ययन हेपेटोलाजी इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल में भी प्रकाशित हुआ है। आइएलबीएस के अतिरिक्त प्रोफेसर डा. अशोक चौधरी ने बताया कि पहले हेपेटाइटिस बी के कारण लिवर कैंसर की बीमारी अधिक होती थी। अब डायबिटीज भी इसके एक बड़े जोखिम के रूप में सामने आ रहा है।
हेपेटाइटिस बी व हेपेटाइटिस संक्रमण बड़ा कारण
अध्ययन में पाया गया कि लिवर कैंसर से पीड़ित एक तिहाई से अधिक (39.5 प्रतिशत) मरीज डायबिटीज से पीड़ित थे। 35.5 प्रतिशत मरीजों में लिवर कैंसर का कारण एनएएफएलडी पाया गया। इसके बाद हेपेटाइटिस बी व हेपेटाइटिस संक्रमण बड़ा कारण था।संस्थान के डाक्टरों के नेतृत्व में हुए अध्ययन के लिए 5798 मरीज पंजीकृत किए गए थे। इनमें से 2664 को लिवर कैंसर था। मरीजों की औसत उम्र 58.2 वर्ष थी, जिसमें से 84.3 प्रतिशत पुरुष थे।
लिवर कैंसर के 50-60 प्रतिशत मरीज ठीक हो जाते हैं
विदेश की तुलना में भारत में मृत्यु दर अधिक आइएलबीएस के डॉक्टर बताते हैं कि विदेश में लिवर कैंसर से पीडि़त 50-60 प्रतिशत मरीज ठीक हो जाते हैं, जबकि भारत में जागरूकता की कमी के कारण मरीज एडवांस स्टेज में इलाज के लिए पहुंचते हैं। इससे यहां मरीजों के बचने की दर 20-30 प्रतिशत ही है। डा. अशोक चौधरी ने बताया कि मोटापे से पीडि़त लोगों को छह माह के अंतराल पर अल्ट्रासाउंड जांच जरूर करानी चाहिए।कैंसर का बेहतर इलाज संभव
आइएलबीएस के निदेशक डा. एसके सरीन ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लिवर कैंसर दुनिया भर में सबसे तेजी से बढ़ने वाला कैंसर है, जो कैंसर से मौत का तीसरा बड़ा कारण बन रहा है। राहत की बात है कि पिछले पांच वर्षों में इलाज के लिए कई नई दवाएं, तकनीक सामने आई हैं, जिससे बेहतर इलाज संभव है।