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Stay Home Stay Empowered: लैपटॉप का सही तरीके से इस्तेमाल न करना बढ़ा सकता है कई परेशानी

स्क्रीन से एक बांह की दूरी रखें (30 इंच या 75 सेमी.)। ऐसे में अगर आपको मॉनिटर देखने में दिक्कत आ रही है तो टेक्स्ट साइज बढ़ाएं। इसके अलावा मॉनिटर के किनारों और पीछे से चार फीट की दूरी रखें। जिससे विद्युत चुंबकीय तरंगों का प्रभाव ज्यादा नहीं पड़ेगा।

By Vineet SharanEdited By: Updated: Thu, 15 Jul 2021 08:54 AM (IST)
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अगर आप गर्भवती है या गर्भधारण करने की कोशिश कर रही है तो कंप्यूटर पर कम समय व्यतीत करें।
नई दिल्ली, जेएनएन। क्या आप दिन भर अपना सारा समय और यहां तक कि खाली समय भी लैपटॉप पर काम करते हुए बिताते हैं? डॉक्टरों ने लैपटॉप के लंबे समय तक और रोजमर्रा के सीमा से अधिक प्रयोग करने पर डॉक्टरों ने इसके घातक परिणाम होने की चेतावनी दी है।

इतना गर्म कि संभालना मुश्किल

ऐसा माना जाता है कि कम आवृत्ति वाला चुंबकीय क्षेत्र जैसे कि परंपरागत (नॉन फ्लैट स्क्रीन) कंप्यूटर मॉनीटर और लैपटॉप के बायोलॉजिकल प्रभाव होते है। जो कि विकसित होते ऊतकों को प्रभावित करती है। साथ ही इससे जन्मदोष, कैंसर कोशिकाओं की ग्रोथ जैसी समस्याएं होती है। इसके अलावा यह न्यूरोलॉजिकल फंक्शन में भी बदलाव कर देते है। हालांकि इसकी कोई प्रमाणिकता नहीं है कि कम आवृत्ति वाले चुंबकीय क्षेत्र के विकिरण की वजह से कैंसर होता है। कुछ वैज्ञानिकों को संदेह है कि यह टी-लिंफोसाइट (तंत्रिका तंत्र की रोगों से लड़ने वाली कोशिकाएं) को सही करने की क्षमता को बिगाड़ देता है, जो कि कैंसर से लड़ने में सहायक होती है।

हालांकि डॉक्टरों ने इस बात को खारिज किया है कि ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि रोजमर्रा लैपटॉप इस्तेमाल करने वालों पर इसका बायोलॉजिकल प्रभाव पड़ता है।

सुधारे कैसे: स्क्रीन से एक बांह की दूरी रखें (30 इंच या 75 सेमी.)। ऐसे में अगर आपको मॉनिटर देखने में दिक्कत आ रही है, तो टेक्स्ट साइज बढ़ाएं। इसके अलावा मॉनिटर के किनारों और पीछे से चार फीट की दूरी रखें। जिससे विद्युत चुंबकीय तरंगों का प्रभाव ज्यादा नहीं पड़ेगा।

सावधानी : अगर आप गर्भवती है या गर्भधारण करने की कोशिश कर रही है तो कुछ सावधानियां बरते। कंप्यूटर पर कम समय व्यतीत करें और जहां तक संभव हो लैपटॉप को अपनी गोद में न रखें।

चेतावनी समझें

लैपटॉप में काम करने के दौरान आपके हाथों को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता। ज्याइा टाइपिंग करने की वजह से मीडिएन नर्व में रेपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी (आरएसआई) हो जाती है जिससे ‘कारपल टनल सिंड्रोम’ हो सकता है।

इसकी वजह से अंगुलियों में दर्द और कंपन होता है। इससे अंगुलियों में सुन्न, दर्द, हाथ की मजबूती में कमी, किसी वस्तु को पकड़ने में दिक्कत और कई अन्य मोटर स्किल (जैसे कि लेखन ) को करने में परेशानी होती है।

सुधारे कैसे: जब आप टाइप कर रहे हो तो आपके हाथों की स्थिति ठीक होनी चाहिए। अंगुलियां से कोहनी तक एक सीध में होनी चाहिए। कलाई किनारे की तरफ नहीं मुड़नी चाहिए। अपने कंधों और हाथों को गर्म रखें।

देखने में परेशानी

ज्यादा देर तक कंप्यूटर पर काम करने से कंप्यूटर विजन सिंड्रोम हो जाता है। इसमें आंखों में जलन, खुजली, थकान, लालपन, पानी आना और रंग विभेद करने जैसी समस्याएं आती है। जब हम लगातार मॉनीटर को देखते रहते हैं तो लोग पलक कम झपकाने लगते हैं जिसकी वजह से आंखे सूखने लगती है। इसके अलावा स्क्रीन की चमक, खराब स्थिति और अनियमित प्रकाश वाले स्थान पर काम करना से आखों में तनाव होता है, जिससे सिरदर्द होता है।

सुधारे कैसे: कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से बचाव के लिए आपको 20-20 का नियम अपनाना चाहिए। प्रत्येक 20 मिनट में, 20 सेकेंड का ब्रेक लेकर अपने से 20 फीट दूर की किसी वस्तु को देखें। इसके अलावा ब्रेक के दौरान अपनी पलकों को झपकाते भी रहें। आप र्आिटफिशियल टियर्स या किसी लुब्रिकेंट आईड्रॉप का प्रयोग भी कर सकते हैं। स्क्रीन का एंगल आपके लाइन ऑफ विजन से 90 डिग्री का होना चाहिए।लैपटॉप को किताबों के ऊपर या लैपटॉप स्टैंड पर रखना चाहिए।

गर्दन में दर्द

लैपटॉप पर देर तक काम करने से गर्दन में अकड़न और दर्द होता है। गलत मुद्रा की वजह से गले में दर्द जैसी दिक्कतें आती है। ज्यादातर कोहनी हवा में रहती है, जिससे कंधे और गले की मांसपेशियां सिकुड़ती है। जिसकी वजह से र्सिवकल स्पोंडलाइटिस की परेशानी भी हो जाती है। कई लोग भारी लैपटॉप बैग गलत तरीके से टांगते हैं। वह बैग को एक कंधे पर टांगते हैं जिससे असंतुलन की स्थिति बन जाती है। जिसकी वजह से गर्दन, कंधे और लोअर, अपर बैक की मांसपेशियों में दर्द होता है।

सुधारे कैसे: आप दिन में कुछ समय कंधे को पीछे की तरफ और आगे की तरफ घुमाने की एक्सरसाइज कर सकते हैं। अपने सिर को एक तरफ से दूसरी तरफ घुमा सकते हैं। कुछ देर आकाश की तरफ देखें और उसके बाद रिलैक्स हो जाए।

भावनात्मक

रोज-रोज होने वाला सिरदर्द, तेज हृदयगति, सोने में दिक्कत, गुस्सा, लगातार तनाव रहना, आलस्य और परेशानी लोगों को होती है। जो लोग कंप्यूटर या इंटरनेट का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं उनकी लोगों से बातचीत काफी कम हो जाती है जिसकी वजह से डिप्रेशन होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। अकसर कंप्यूटर पर देर तक काम करते रहने की वजह से लोगों को कंप्यूटर से भावनात्मक रूप से लगाव हो जाता है। ऐसे में जब लोग कंप्यूटर पर काम नहीं कर पाते तो वह भावनात्मक तौर पर निराश हो जाते हैं और उन्हें गुस्सा ज्यादा आता है।

सुधार : इस बात की पूरी तरह से बताएं कि आप मास्टर है। कंप्यूटर के दास बनने की जरूरत नहीं है। कंप्यूटर पर सीमित समय व्यतीत करें।

हाई-परफोरमेंस लैपटॉप आरामदायक होते हैं। वह औसत डेस्कटॉप कंप्यूटर की तुलना में ज्यादा ऊष्मा उत्पन्न करते हैं। ऐसी कई शिकायतें आई है कि गोद में लैपटॉप रखकर काम करने से त्वचा और कमर में जलन की समस्या होती है।

सुधारे कैसे : ये हकीकत है कि लैपटॉप कंप्यूटर को गोद में इस्तेमाल करने के लिहाज से बनाया गया है लेकिन वास्तविकता ये भी है कि गोद में लंबे समय तक इसका इस्तेमाल करना भी सुरक्षित नहीं है। आप लैपटॉप को किसी अन्य काम करने वाली जगह पर प्रयोग करें जैसे कि आप डेस्कटॉप का करते हैं।