Pregnancy & Obesity: मोटापे की वजह से प्रेग्नेंसी में हो सकती हैं समस्याएं, एक्सपर्ट से जानें इस बारे में सबकुछ
प्रेग्नेंसी के दौरान मोटापे की वजह से कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यह बच्चे और मां दोनों के सेहत के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है। मोटापे के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए यह एक बेहद ही चिंता का विषय है। इसलिए इसकी वजह से प्रेग्नेंसी से जुड़ी जटिलताओं के बारे जानने के लिए हमने एक्सपर्ट्स से बात की। जानें उनका क्या कहना है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Pregnancy and Obesity: मोटापा एक ऐसी ही समस्या है, जो प्रेग्नेंट महिला और बच्चे दोनों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। हाल ही में, द लांसेट का एक डाटा सामने आया है, जिससे पता चलता है कि महिलाओं में मोटापे की समस्या काफी बढ़ गई है। इसका प्रेग्नेंसी पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, इस बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करने के लिए हमने बात की एक्सपर्ट्स से। आइए जानते हैं, इस बारे में उनका क्या कहना है।
क्या मोटापा एक बीमारी है?
जी हां, मोटापा एक मेटाबॉलिक बीमारी है, जिसमें बॉडी के फैट का स्तर बढ़ने लगता है। शरीर में फैट होना बेहद आम बात है और यह जरूरी भी है, लेकिन इसकी मात्रा ज्यादा होने की वजह से सेहत से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। जरूरत से ज्यादा फैट बढ़ने की वजह से, बॉडी के फंक्शन में बदलाव आने लगते हैं। जिसके कारण कई खतरनाक बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है, जिनमें हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, कैंसर और डायबिटीज जैसी जानलेवा बीमारियां भी शामिल हैं।
कैसे जानें कि आप मोटापे से पीड़ित हैं या नहीं?
आमतौर पर, यह तय करने के लिए कि कोई व्यक्ति मोटापे की श्रेणी में आता है या नहीं, बीएमआई (BMI) इंडेक्स का इस्तेमाल किया जाता है। बीएमआई 18-25 के बीच नॉर्मल माना जाता है, 18 से कम अंडर वेट, 25 से ज्यादा ओवर वेट और 30 से ज्यादा बीएमआई को मोटापा माना जाता है।मोटापे की वजह से प्रेग्नेंसी में क्या जटिलताएं हो सकती हैं, इस बारे में हमें सी.के. बिरला अस्पताल, गुरुग्राम के मेडिकल ऑन्कोलॉजी में कंसल्टेंट, डॉ. पूजा बब्बर और मैक्स अस्पताल, वैशाली के बैरियाट्रिक और रोबोटिक सर्जरी के निदेशक और प्रमुख, डॉ. विवेक बिंदल ने काफी चौंकाने वाली बातें बताई।
यह भी पढ़ें: क्या मोटापा बढ़ा सकता है महिलाओं में इनफर्टिलिटी का खतरा, एक्सपर्ट्स से जानें जवाब
प्रेग्नेंसी से जुड़ी परेशानियां
मोटापे की वजह से महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान भी काफी खतरनाक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। डॉ.बब्बर ने बताया कि मोटापे की वजह से प्रेग्नेंसी के दौरान काफी कॉम्प्लीकेशन्स आ सकते हैं, जिनमें प्रीटर्म बर्थ यानी समय से पहले डिलीवरी होना और सिजेरियन डिलीवरी शामिल हैं। इनकी वजह से मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
जेस्टेशनल डायबिटीज और हाइपरटेंशन का खतरा
जेस्टेशनल डायबिटीज और हाइपरटेंशन मां और बच्चे दोनों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं। जेस्टेशनल डायबिटीज का प्रभाव मां की सेहत पर तो पड़ता ही है, लेकिन यह बच्चे के लिए भी काफी घातक साबित हो सकता है। इसकी वजह से बच्चे में कंजेनिटल हार्ट डिजीज यानी बच्चे में जन्मजात दिल की बीमारियों का खतरा काफी अधिक रहता है। हाइपरटेंशन की वजह से मां में दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हाइपरटेंशन की वजह से स्ट्रोक का खतरा भी रहता है, जो जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसके अलावा, हाइपरटेंशन के कारण प्री-एक्लेमप्सिया का जोखिम भी बढ़ जाता है, जो बच्चे और मां दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।प्री-एक्लेमप्सिया ऐसी कंडीशन होती है, जिसमें ब्लड वेसल्स के साथ परेशानी की वजह से प्लासेंटा ठीक से विकसित नहीं हो पाता। इसका एक प्रमुख कारण हाइपरटेंशन है। इसका प्रभाव दिल, लिवर और किडनी पर भी पड़ता है। साथ ही, यह भविष्य में होने वाली प्रेग्नेंसी में भी परेशानियां खड़ी कर सकता है। इन तात्कालिक चिंताओं के अलावा, डॉ. बिंदल ने बताया कि मोटापे की वजह से आने वाली पीढ़ियों में भी कई समस्याएं हो सकती हैं। ओबेसिटी से जूझ रही महिलाओं के बच्चों में भी मोटापे का खतरा काफी अधिक रहता है। ऐसा जेनेटिक मॉडिफिकेशन की वजह से होता है। मोटापे की वजह से कई बार जेनेटिक बदलाव होते हैं, जो माता-पिता से बच्चों में जा सकते हैं। इस वजह से इंटर जनरेशनल डायबिटीज हो सकता है।लाइफस्टाइल में सुधार करें
- रिप्रोडक्टिव हेल्थ बेहतर रहे इसके लिए मोटापे जैसी गंभीर समस्या से बचाव करना जरूरी है। मोटापे से बचने के लिए खानपान में सावधानियां जरूर बरतें।
- मोटापे की सबसे बड़ी वजह है लाइफस्टाइल से जुड़ी छोटी-छोटी गलतियां। इसलिए लाइफस्टाइल में सुधार करके, न्यूट्रिशन काउंसलिंग और टार्गेटेड स्ट्रेटेजी की मदद से मोटापे से बचाव किया जा सकता है।
- वजन कम हार्मोनल बैलेंस बनाए रखता है, जिससे मेंसुरल साइकिल नियमित रहती है और ओव्युलेशन बेहतर होता है। जिससे कंसीव करने में परेशानियां नहीं होंगी।
- हेल्दी वजन मेंटेन करने के लिए संतुलित आहार और एक्सरसाइज मददगार हो सकते हैं। इनकी वजह से कंसेप्शन की संभावना बढ़ती है और प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी प्रकार की जटिलताओं से बचने में मदद मिल सकती है।