Arthritis की समस्या को बदतर बना सकता है बढ़ता वजन, डॉक्टर से जानें गठिया और मोटापे का कनेक्शन
इनएक्टिव लाइफस्टाइल और खानपान की गलत आदतों की वजह से इन दिनों कई लोग मोटापे का शिकार होते जा रहे हैं। मोटापा एक गंभीर समस्या है जो कई स्वास्थ्य समस्याओं की वजह बन सकता है। आर्थराइटिस (Arthritis) ऐसी ही एक समस्या है जो बढ़ते वजन के कारण बदतर हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर बता रहे हैं आर्थराइटिस और मोटापे के बीच कनेक्शन।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बदलती जीवनशैली इन दिनों कई स्वास्थ्य समस्याओं की वजह बनती जा रही है। मोटापा (Obesity) इन्हीं समस्याओं में से एक है, जो इन दिनों कई लोगों को अपना शिकार बना रही है। इनएक्टिव लाइफस्टाइल और खानपान की गलत आदतों की वजह से लोगों का वजन तेजी से बढ़ता जा रहा है। मोटापा एक गंभीर समस्या है, जो दुनियाभर में कई लोगों को प्रभावित कर रहा है। खुद WHO इसे लेकर चेतावनी जारी कर चुका है। मोटापा कई स्वास्थ्य समस्याओं की वजह बन सकता है या फिर उन्हें प्रभावित कर सकता है। आर्थराइटिस (Arthritis) ऐसी ही एक समस्या है, जो मोटापे का परिणाम हो सकता है।
ऐसे में मुरादाबाद के कॉसमॉस हॉस्पिटल में प्रबंध निदेशक, हड्डी रोग विशेषज्ञ और ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. अनुराग अग्रवाल बता रहे हैं कि मोटापा कैसे गठिया को प्रभावित करता है।यह भी पढ़ें- क्या Passive Smoking बना सकती है COPD का शिकार? एक्सपर्ट से जानें नॉन-स्मोकर्स में इस बीमारी के कारण
मोटापा और गठिया में संबंध
डॉक्टर कहते हैं कि जोड़ों में परेशानी, सूजन और मूवमेंट में कमी गठिया के कुछ लक्षण हैं। गठिया एक पुरानी बीमारी है जिसमें जोड़ों में सूजन और कठोरता होती है और इसे Arthritis के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, मोटापा उन प्रमुख कारकों में से एक है, जो किसी व्यक्ति को ऑस्टियोआर्थराइटिस (OA) का शिकार बनाता है। OA गठिया का सबसे प्रचलित प्रकार है। जब किसी व्यक्ति का वजन ज्यादा होता है तो घुटने और कूल्हे सहित वजन सहने वाले जोड़ों पर मैकेनिकल स्ट्रेस बढ़ जाता है।
गठिया को बदतर बना सकता है मोटापा
इसके अलावा डॉक्टर ने यह भी बताया कि मोटापा बायोमैकेनिक्स और जोड़ों की अलाइनमेंट को बदल सकता है, जिसके परिणामस्वरूप असामान्य लोडिंग पैटर्न हो सकता है। इसके साथ ही जोड़ों को सहारा देने वाले लिगामेंट्स और टेंडन के कमजोर होने के कारण मोटापा जोड़ों की स्थिरता को और भी खतरे में डाल देता है। इस वजह से जोड़ों की डिजनरेटिव प्रोसेस तेज हो सकती है और उनके डैमेज होने का खतरा और भी ज्यादा बड़ सकता है।गठिया में इसलिए जरूरी वेट लॉस
ऐसे में वजन कम करने से वजन सहने वाले जोड़ों पर दबाव कम हो सकता है, जिससे ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा और इंटेंसिटी कम हो सकती है। गंभीर गठिया में, जब सभी पारंपरिक इलाज जैसे दवा, जीवनशैली में बदलाव आदि, मरीजों को लंबे समय तक राहत नहीं देते हैं, तो घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी आवश्यक हो सकती है। पिछले कुछ वर्षों में, रोबोटिक आर्म-असिस्टेड तकनीक जैसी तकनीकों ने दुनिया भर में ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी को बदल दिया है।