Chronic Burnout की वजह बन रहा है काम का बोझ और थकान, तो एक्सपर्ट से समझें इसके कारण, लक्षण और बचाव के तरीके
क्या आप लगातार तनाव और थकान से जूझ रहे हैं? क्या आपको लगता है कि आपका जीवन एक रूटीन में फंस गया है? अगर हां तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। जागरण के ब्रह्मानंद मिश्र आपको बताएंगे कि कैसे आप Chronic Burnout से बाहर निकल सकते हैं और अपने जीवन में खुशहाली ला सकते हैं। जानिए बर्नआउट के लक्षणों को पहचानने और इससे निपटने के आसान तरीके।
नई दिल्ली, ब्रह्मानंद मिश्र। मल्टीनेशनल कंसल्टिंग फर्म अर्न्स्ट एंड यंग में काम करने वाली 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट अन्ना सेबेस्टियन की काम के दबाव (Chronic Burnout) के चलते जान चली गई। अब सवाल उठता है- हमारे पेशेवर जीवन और व्यक्तिगत जीवन के बीच का संतुलन इतना बिगड़ सकता है कि यह हमारी जान को खतरे में डाल दे? दरअसल, कामकाज का बेशुमार दबाव, नौकरी की अनिश्चितता और बढ़ती संवादहीनता आज की जिंदगी का जाने-अनजाने में हिस्सा बन गई है। हमारी भावनाओं और मनोदशा को कुचल रहा यह दबाव कैसे कम हो, इस सवाल पर साइकियाट्रिस्ट डॉ. एकांश कहते हैं कि हमें तीन बातों का ध्यान रखना है- पहला, हमारा पेशेवर जीवन सुख-दुख में साथ रहने वाले स्वजन से दूरी का कारण नहीं बनना चाहिए, दूसरा, काम का दबाव पुस्तक पढ़ने, संगीत सुनने या फिर बागवानी जैसे शौक को हमसे न छीन ले, तीसरा, आभासी दुनिया यानी स्मार्टफोन और गैजेट से पर्याप्त दूरी भी जरूरी है। वर्क-लाइफ असंतुलन में जी रहे लोग बढ़ते काम के दबाव के साथ असहाय और निराश महसूस करने लगते हैं। इसका असर बहुत बड़ा होता है। थोड़ा-सा आराम करके तनाव व थकान को दूर कर सकते हैं, पर बर्नआउट तो हमें डरावने स्तर तक लेकर चला जाता है।
ऐसे तलाशें बर्नआउट के लक्षण
- क्या आपको अपने ही काम पर शक होने लगा है?
- क्या काम अब बोझ बन गया है और शुरुआत करने में परेशानी हो रही है। फोकस नहीं बन पा रहा है?
- टीम में काम करते हुए अलग-थलग या असहाय महसूस करने लगे हैं?
- सहकर्मियों या ग्राहकों के साथ काम करते या बात करते हुए सब्र खो देते हैं?
- काम पूरा करने के बाद भी संतुष्टि नहीं होती और अपने कौशल और क्षमता पर शक होने लगा है?
- स्ट्रेस फ्री रहने के लिए ड्रग्स या अल्कोहल का रुख कर रहे हैं, सोने-जागने की आदत बदल रही है?
- क्या सिरदर्द, पेट या कोई अन्य शारीरिक समस्या हो रही है, जिसे समझ नहीं पा रहे हैं?
अगर इन सवालों के जबाव हां में है, तो मुमकिन है आप बर्नआउट की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में, आपके लिए तुरंत एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहतर होगा।
तनाव कैसे बन जाता है बर्नआउट?
बर्नआउट से पहले एक स्थिति होती है तनाव की। यह इंसान के जीवन में सामान्य सी बात है। लेकिन जब तनाव लंबे समय तक बना रहे तो वह बर्नआउट हो जाता है। इससे मानसिक, शारीरिक स्वास्थ्य और इम्युनिटी तीनों ही प्रभावित होती है। किसी चुनौती का सामना करने से पहले स्ट्रेस से सामना होता ही है। यह अच्छा भी है। लेकिन, तनाव और दबाव लगातार बने रहे यह ठीक नहीं।तनाव का सामना कैसे करता है दिमाग?
हमारे मस्तिष्क में हाइपोथैल्मस होता है, जैसे ही कोई तनावपूर्ण स्थिति आती है, एमिगडाला के सिग्नल से वह सक्रिय हो जाता है। यह संवेदनशील हिस्से से जुड़ा होता है। कोई खतरा सामने आने पर अलग-अलग हार्मोन निकलने लगते हैं। ये हाइपोथैल्मस को ट्रिगर करते हैं। एसीटीएच हार्मोन ब्लड स्ट्रीम में चला जाता है। इससे कार्टिसोल निकलता है, जिसे स्ट्रेस हार्मोन कहते हैं। कार्टिसोल थोड़े समय के लिए रिलीज हो तो शरीर में अलर्टनेस आती है। इसके धीमे पड़ते ही दिमाग शांत हो जाता है और सभी हार्मोन सामान्य हो जाते हैं। लेकिन जब ये स्ट्रेस 24 घंटे बना रहे, तो दिमाग में बिहैवियर पैटर्न बन जाता है। इससे लगातार कार्टिसोल रिलीज होने लगता है, जो हानिकारक है।
तनाव का शरीर पर असर
लगातार तनाव में रहने से कम उम्र में ही शरीर बूढ़ा दिखने लगता है, इम्युनिटी खराब हो जाती है। पेट की समस्या होने लगती है। तनावपूर्ण माहौल में काम करने वालों के साथ यह समस्या स्थायी तौर पर जुड़ जाती है। पाचन में सहायता करने वाले आंतों के अच्छे बैक्टीरिया खराब होने लगते हैं। अगर हमारा शरीर 24 घंटे तनाव में रहेगा तो जाहिर है शरीर हर समय एक्टिवेट रहेगा। इससे थकान और आलस्य होगा। फोन आने पर भी घबराहट होने लगती है। इससे इमोशनल, काग्निटिव हेल्थ और इम्युनिटी सब खराब होने लगेगी।यह भी पढ़ें- दिनभर फोन में गड़ाए रखते हैं आंखें, तो हो सकता है आई स्ट्रेन, बचाव के लिए करें ये उपाय
नींद, भोजन, दिनचर्या के बीच हो संतुलन
कामकाज के अव्यवस्थित होने से शरीर की प्रतिक्रिया देने की क्षमता गिरने लगती है। जैसे नींद प्रभावित हुई तो स्वतः ही भोजन का चक्र बिगड़ जाएगा। खुद के लिए समय निकालना कठिन हो जाएगा। अपने शौक और स्वजन को आप समय नहीं दे पाएंगे।बर्नआउट का जोखिम बढ़ाने वाले कारण
- काम का ज्यादा बोझ और काम के अंतहीन घंटे
- सामान्य दिनचर्या और काम के बीच असंतुलन
- काम के दौरान नियंत्रण का अभाव
- तनाव को लगातार टालते रहना और किसी की सलाह से बचना
कैसे बदल जाता है स्वभाव?
- थकान महसूस होना
- नए काम और जिम्मेदारियों से बचना
- नींद का बाधित होना
- दुखी, चिड़चिड़ा और जीवन से बेपरवाह होना