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एक्सपर्ट से जानें क्या होता है पैनिक डिसऑर्डर, इसके लक्षण बचाव एवं उपचार के बारे में

मुश्किल हालात में थोड़ी घबराहट तो स्वाभाविक है पर कुछ लोग बहुत जल्दी नर्वस हो जाते हैं। यह पैनिक डिसॉर्डर के लक्षण हो सकते हैं। एक्सपर्ट से जानेंगे इस समस्या के बारे में..

By Priyanka SinghEdited By: Updated: Sun, 12 Apr 2020 10:30 AM (IST)
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एक्सपर्ट से जानें क्या होता है पैनिक डिसऑर्डर, इसके लक्षण बचाव एवं उपचार के बारे में
समझ नहीं आता कि अब क्या करें, कहां जाएं, अजीब मुसीबत है, इससे बाहर निकलने का कोई रास्ता ही नहीं सूझता...। कुछ लोग बातचीत के दौरान अकसर ऐसे वाक्यों का इस्तेमाल करते हैं। किसी बड़ी मुश्किल में पडऩे पर घबराहट महसूस होना स्वाभाविक है लेकिन मामूली समस्याएं देखकर अकसर ऐसी बातें करने वाले व्यक्ति को पैनिक डिसॉर्डर की समस्या हो सकती है।   

क्यों होता है ऐसा

परीक्षा से पहले घबराहट की वजह से कुछ छात्रों को पसीना आने लगता है तो कुछ लोग  भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचते हैं। पैनिक डिसॉर्डर होने पर भी व्यक्ति में ऐसे लक्षण नज़र आ सकते हैं। एंग्ज़ायटी यानी चिंता इस मनोरोग की सबसे प्रमुख वजह है। जो लोग छोटी-छोटी बातों को लेकर बेवजह चिंतित रहते हैं, उन्हें यह मनोवैज्ञानिक समस्या हो सकती है। इसके अलावा, जिन लोगों की परवरिश अति संरक्षण भरे माहौल में होती है, उनका आत्मविश्वास विकसित नहीं हो पाता। ऐसे लोग खुद निर्णय लेने में सक्षम नहीं होते और आकस्मिक स्थितियों में बहुत ज्य़ादा घबरा जाते हैं। ऐसे लोगों में भी पैनिक डिसॉर्डर के लक्षण विकसित हो सकते हैं।       

प्रमुख लक्षण 

1. कमज़ोरी और अनावश्यक थकान

2. छोटी-छोटी बातों पर भी घबराहट की वजह से हाथ-पैर कांपना 

3. अधिक पसीना निकलना

4. आंखों के आगे अंधेरा छाना

5. बोलते वक्त ज़ुबान लड़खड़ाना

6. दिल की धड़कन बढऩा

क्या है वजह

पैनिक डिसॉर्डर के लिए कई अलग-अलग वजहें जि़म्मेदार हो सकती हैं। हर इंसान के व्यक्तित्व के कुछ ऐसे कमज़ोर पक्ष होते हैं, जिनकी वजह से उसे यह समस्या हो सकती है। चिंता, भय, घबराहट, गुस्सा, गहरी उदासी, शक की आदत और भावनात्मक असंतुलन जब एक सीमा से अधिक बढ़ जाए तो व्यक्ति में इस मनोवैज्ञानिक समस्या के लक्षण प्रकट हो सकते हैं। एल्कोहॉल या कैफीन का अधिक मात्रा में सेवन, लो ब्लड शुगर, थायरॉयड ग्लैंड की अत्यधिक सक्रियता या दिल से संबंधित कोई समस्या होने पर भी पैनिक अटैक की आशंका बढ़ जाती है।

क्या है उपचार

लक्षणों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए इस समस्या का उपचार किया जाता है। ज़रूरत पडऩे पर कुछ एंटी डिप्रेज़ेंट दवाएं दी जाती हैं। काउंसलिंग और कॉग्नेटिव बिहेवियर थेरेपी की मदद से पीडि़त व्यक्ति में यह समझ विकसित की जाती है कि जब भी कोई समस्या आए तो उससे घबराने के बजाय तार्किक ढंग से उसका हल ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए। एक्सपोज़र थेरेपी बहुत कारगर साबित होती है। इसके ज़रिये विशेषज्ञ अपनी निगरानी के साथ सुरक्षित वातावरण में व्यक्ति को उन स्थितियों का सामना करना सिखाते हैं, जिनमें उसे घबराहट होती है। इसके अलावा, परिवार के सदस्यों की भी काउंसलिंग की जाती है। उपचार के छह महीने बाद ही मरीज़ के व्यवहार में पॉजि़टिव बदलाव नज़र आने लगता है।

कैसे करें बचाव      

1. अगर आपको अपने या परिवार के किसी सदस्य के व्यहार में इस समस्या से संबंधित कोई लक्षण नज़र आए, तो घबराने के बजाय शांतचित्त होकर उपचार के बारे में पॉजि़टिव ढंग से सोचें। 

2. उन स्थितियों, बातों या लोगों को पहचानें, जिनसे आपको परेशानी महसूस होती है।

3. अगर किसी भीड़ वाली जगह पर आपको बहुत घबराहट होती है तो वहां किसी करीबी व्यक्ति को साथ लेकर जाएं।

4. स्वस्थ और संतुलित खानपान अपनाएं।  

5. प्रियजनों से नियमित बातचीत करें क्योंकि अकेलापन भी इसकी बड़ी वजह है।

6. रोज़ाना आठ घंटे की नींद अवश्य लें।  

7. योगाभ्यास करें। अगर घबराहट हो तो गहरी सांस लें, इससे राहत महसूस होगी।

8. इन प्रयासों के बावज़ूद अगर समस्या दूर न हो तो किसी क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट से सलाह लें।  

डॉ प्रीति सिंह (क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, गुरूग्राम) से बातचीत पर आधारित