बच्चे को जन्म देने के बाद कैल्शियम, मैग्नेशियम और फास्फोरस की सघनता हो जाती है कम
बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं की हड्डियों में पुरुषों तथा बच्चे को जन्म नहीं देने वाली महिलाओं की तुलना में उन तत्वों के घनत्व में अंतर था। खासतौर पर बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं की हड्डियों में स्तनपान कराने के दौरान कैल्शियम और मैग्नेशियम की सघनता कम थी।
By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalUpdated: Wed, 09 Nov 2022 01:15 PM (IST)
वाशिंगटन, एएनआइ : प्रसव के बाद महिलाओं के शरीर में कई प्रकार के बदलाव होते हैं। उनमें से कुछ अस्थायी होते हैं तो कुछ स्थायी। अब विज्ञानियों ने एक नए अध्ययन में बताया है कि बच्चे को जन्म देने के बाद महिलाओं की हडि्डयों में कुछ ऐसे स्थायी बदलाव हुए हैं, जिसके बारे में पहले जानकारी नहीं थी। यह निष्कर्ष पीएलओएस वन जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट आफ एंथ्रोपोलाजी तथा कालेज आफ डेंटिस्ट्री की शोधकर्ता पाओला सेरिटी ने बताया कि हमारे अध्ययन का निष्कर्ष इस बात का अतिरिक्त साक्ष्य उपलब्ध कराता है कि प्रजनन से महिलाओं की शारीरिक बनावट पर गहरा असर होता है और इसकी भी पुष्टि हुई है कि अस्थियों का ढांचा कोई स्थिर अंग नहीं है, बल्कि जीवन में कुछेक घटनाओं के साथ यह डायनामिक होता है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रसव के बाद महिलाओं में कैल्शियम, मैग्नेशियम तथा फास्फोरस की सघनता कम हो जाती है। यह बदलाव बच्चे को जन्म देने और दूध निकलने से जुड़ा हुआ है। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया है कि क्लीनिकल अध्ययनों से पता चलता है कि हड्डियों की सही ताकत के लिए कैल्शियम और फास्फोरस आवश्यक हैं। लेकिन नए निष्कर्ष प्राइमेट्स या मनुष्यों के लिए समग्र स्वास्थ्य प्रभावों का निदान नहीं करते। यद्यपि हमारा अध्ययन हड्डियों की डायनामिक प्रकृति के बारे में जानकारी देता है। अध्ययन के लेखकों में शामिल न्यूयार्क यूनिवर्सिटी की एंथ्रोपोलाजिस्ट शारा बेली ने बताया कि हड्डियां हमारे कंकाल का न तो स्थिर और न ही मृत हिस्सा है। एक अन्य शोधार्थी ने बताया कि हड्डियां लगातार शारीरिक प्रक्रियाओं पर प्रतिक्रिया करती हैं और तदनुसार अपने आपको एडजस्ट भी करती हैं।
शोधकर्ता बताते हैं कि यह तो स्थापित तथ्य है कि मेंनपाज का महिलाओं की हड्डियों पर प्रभाव होता है। लेकिन इसके बारे में ज्यादा स्पष्ट जानकारी नहीं है कि प्रजनन जैसी जीवन चक्र की घटनाएं किस प्रकार से कंकाल की संरचना को प्रभावित करती है। इसे समझने के लिए शोधकर्ताओं ने प्राइमरी लमेलर बोन का अध्ययन किया। यह परिपक्व कंकाल में एक प्रकार की मुख्य हड्डी होती है। इसका अध्ययन इस मायने में महत्वपूर्ण है कि इसमें समय के साथ बदलाव होता है और उन बदलावों का जैविक मार्कर छोड़ती है। इससे विज्ञानियों को पूरे जीवन चक्र में होने वाले बदलावों की निगरानी करने की सहूलियत मिल जाती है।
अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने महिला और पुरुष जीवों के फीमोरा या जांघ की हड्डी में लेमलर (स्तरित) बोन की विकास दर का परीक्षण किया। इस दौरान उन प्राइमेट्स के स्वास्थ्य तथा प्रजनन का इतिहास नोट किया गया, जिससे शोधकर्ता जैविक घटनाओं के साथ हड़्डियों की संरचना में बदलाव को सटीकता से परखा।
सेरिटो और उनके सहयोगियों ने इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोपी तथा एनर्जी डिस्पर्सिव एक्स-रे विश्लेषण के जरिये ऊतकों की रसायनिक संरचना का अध्ययन किया और हड्डियों में कैल्शियम, फास्फोरस, आक्सीजन, मैग्नेशियम तथा सोडियम के घनत्व का आकलन किया। अध्ययन के निष्कर्ष से सामने आया कि बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं की हड्डियों में पुरुषों तथा बच्चे को जन्म नहीं देने वाली महिलाओं की तुलना में उन तत्वों के घनत्व में अंतर था। खासतौर पर बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं की हड्डियों में स्तनपान कराने के दौरान कैल्शियम, फास्फोरस और मैग्नेशियम की सघनता या सांद्रता कम थी।