Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Pneumonia in Elderly: सर्दियों में बुजुर्ग बन सकते हैं निमोनिया का आसान शिकार, इन तरीकों से कर सकते हैं बचाव

निमोनिया फेफड़ों में होने वाली एक खतरानाक बीमारी है जो बैक्टिरीया वायरस या फंगस की वजह से होने वाले इन्फेक्शन के कारण होता है। सर्दियों में उम्रदराज लोग इसका आसान शिकार हो सकते हैं। इसलिए सर्दियों में बुजुर्गों का ख्याल रखना और इस बीमारी से बचाव करना बहुत जरूरी है। जानें क्यों बुजुर्गों में इसका खतरा अधिक होता है और कैसे कर सकते हैं बचाव।

By Swati SharmaEdited By: Swati SharmaUpdated: Mon, 11 Dec 2023 01:15 PM (IST)
Hero Image
सर्दियों में उम्रदराज लोगों में निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Pneumonia in Elderly: निमोनिया के बढ़ते मामलों को देखकर आमतौर पर सभी यह सोच रहे हैं कि यह सिर्फ बच्चों को अपना शिकार बनाता है। लेकिन ऐसा नहीं है, सर्दियों में बुजुर्गों में भी निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, निमोनिया काफी खतरनाक होता है, लेकिन बुजुर्गों की इम्यूनिटी कमजोर होने की वजह यह उनके लिए और भी अधिक घातक हो सकता है। इसलिए इस मौसम में बुजुर्गों की सेहत का खास ख्याल रखना जरूरी होता है। आइए जानते हैं कि क्या है निमोनिया और कैसे कर सकते हैं, अपने घर के उम्रदराज लोगों को इस खतरनाक बीमारी से बचा सकते हैं।

क्या होता है निमोनिया?

निमोनिया फेफड़ों में होने वाला एक इन्फेक्शन है, जिसकी वजह से लंग्स में मौजूद एल्वियोली में पस या फ्लूड भर जाता है और इस कारण से बलगम, सांस लेने में तकलीफ, बुखार जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। यह किसी बैक्टिरीया, फंगस या वायरस से इन्फेक्ट होने की वजह से हो सकता है, जो फेफड़ों को इन्फेक्ट कर बीमार बनाते हैं। क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, बैक्टिरीया से होने वाला निमोनिया अधिक घातक साबित हो सकता है।

यह भी पढ़ें: क्या है ‘वॉकिंग निमोनिया’ जिसके भारत में मिले 7 मामले, जानें इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें

बुजुर्गों में इसके क्या लक्षण नजर आ सकते हैं?

  • शरीर का तापमान कम होना
  • संतुलन बिगड़ना
  • कंफ्यूजन
  • सांस लेने में तकलीफ
  • दिल की धड़कनों का तेज होना
  • सोचने, समझने और ध्यान लगाने में तकलीफ होना
  • ब्लड प्रेशर कम होना
  • यूरिन लीक होना
  • भूख न लगना
  • पहले से अगर कोई बीमारी हो, तो उसमें सुधार न होना

क्यों बुजुर्गों में इसका खतरा अधिक होता है?

  • बुजुर्गों में इसका खतरा अधिक होने की सबसे बड़ी वजह, कमजोर इम्यून सिस्टम है। कमजोर इम्यूनिटी की वजह से वे आसानी से बैक्टिरीया और वायरस का शिकार बन जाते हैं और इस कारण से ही उन्हें जल्दी रिकवर करने में समय लगता है। सर्दियों में इम्यूनिटी और अधिक कमजोर हो जाती है, इसलिए भी निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • क्रॉनिक हेल्थ कंडिशन की वजह से भी बुजुर्गों में निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। बीमारी की वजह से उनका शरीर पहले से ही कमजोर होता है, जिस कारण से वे निमोनिया का आसान शिकार बन सकते हैं।
  • हमारी सांस की नली से किटाणुओं और बलगम को बाहर करने के लिए म्यूकोसिलरी सिस्टम होता है, जो बढ़ती उम्र के साथ कमजोर होता जाता है। इसलिए उम्रदराज लोगों में इस बीमारी निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि वे इन पैथोजेन्स को बाहर नहीं कर पाते।
  • बुजुर्गों को अपनी हेल्थ कंंडिशन की वजह से अस्पताल जाना पड़ता है, जहां पहले से ही कई मरीज होते हैं और कई पैथोजेन भी मौजूद होते हैं। इस कारण से वे आसानी से निमोनिया के बैक्टिरीया और वायरस का शिकार हो सकते हैं।

कैसे करें बचाव?

  • हाथों को अच्छी तरह से धोएं। निमोनिया के किटाणु, हाथों के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। इसलिए बाहर से आने के बाद, खाना खाने से पहले या मुंह छूने से पहले हाथों को अच्छे से धोएं।
  • स्मोकिंग की वजह से फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है, जो निमोनिया की समस्या को और गंभीर बना सकता है। इसलिए स्मोक न करें और इसके धुएं से भी बचें।
  • हेल्दी डाइट की मदद से इम्यूनिटी को मजबूत बनाया जा सकता है, जो बीमारियों से बचाव करने में मदद कर सकता है। इसलिए खाने में हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज आदि को शामिल करें।
  • शरीर में पानी की कमी होने की वजह से सांस की नली में म्यूकस की परत मोटी हो सकती है। जिस कारण से फेफड़ों की गंदगी को बाहर निकालने में और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। इसलिए भरपूर मात्रा में पानी पीएं।
  • बुजुर्गों के लिए निमोनिया से बचाव के लिए वैक्सीन मौजूद है, जिसकी मदद से इससे बचाव किया जा सकता है।
  • रोज एक्सरसाइज करने से इम्यूनिटी मजबूत होती है, जो निमोनिया से बचाव करने में मददगार होता है। साथ ही, कुछ ब्रीदिंग एक्सरसाइज की मदद से फेफड़ों को मजबूत बनाया जा सकता है, जिससे इन्फेक्शन से होने वाले नुकसान को कम करने या उससे रिकवर करने में मदद मिलती है।

यह भी पढ़ें: जानें क्या है व्हाइट लंग सिंड्रोम और इसके लक्षण

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Picture Courtesy: Freepik