Stroke: बढ़ता प्रदूषण और घटता तापमान ले सकता है आपकी जान, जानें कैसे करें इससे बचाव
सर्दी का मौसम आपकी सेहत को कई तरीकों से प्रभावित कर सकता है। साधारण सर्दी-जुकाम से लेकर जानलेवा स्ट्रोक तक के खतरे का इस मौसम में बढ़ जाता है। इसके साथ बढ़ता प्रदूषण और अधिक घातक साबित हो सकता है। इसलिए स्ट्रोक के प्रति सावधानी बरतना काफी आवश्यक है। जानें क्यों सर्दियों और प्रदूषण की वजह से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है और कैसे कर सकते हैं इससे बचाव।
By Swati SharmaEdited By: Swati SharmaUpdated: Thu, 28 Dec 2023 12:31 PM (IST)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Stroke: कम होता तापमान और मोटी होती धुंध की चादर, आपकी सेहत के लिए काफी नुकसानदेह हो सकते हैं। इस बारे में कई मेडिकल जर्नल्स और डॉक्टर्स भी अपनी चिंता जता चुके हैं। यह ठंड का मौसम न केवल आपके दिल के लिए बल्कि आपके दिमाग के लिए भी काफी नुकसानदेह हो सकता है। सर्दियों में घटते तापमान की वजह से होने वाले नुकसान को और बढ़ाने में प्रदूषण की बहुत अहम भूमिका है। इसलिए सावधान न रहने पर, इन दोनों वजहों से आप आसानी से स्ट्रोक या ब्रेन हेमरेज का शिकार बन सकते हैं। खासकर, वे लोग जो हाइपरटेंशन या दिल के मरीज हैं। आइए जानते हैं क्यों सर्दी और प्रदूषण की वजह से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है और कैसे कर सकते हैं इससे बचाव।
क्यों होता है स्ट्रोक?
सर्दियों में अक्सर हमारे ब्लड वेसल्स कंस्ट्रिक्ट हो जाते हैं, जिस कारण से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। यह स्ठिति हाइपरटेंशन और दिल के मरीजों के लिए खासतौर पर खतरनाक हो जाती है क्योंकि इस वजह से ब्लड क्लॉटिंग या आर्टरीज के फटने का खतरा रहता है। यह दोनों ही स्ट्रोक के लिए जिम्मेदार होते हैं। इस कंडिशन को और अधिक भयानक बनाने में प्रदूषण का योगदान है। हवा में अधिक मात्रा में मौजूद PM 2.5 इसका जिम्मेदार है। यह दिल के ब्लड पंप करने की क्षमता को काफी प्रभावित करता है, जो स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाता है। इसलिए तापमान घटने और प्रदूषण बढ़ने की वजह से स्ट्रोक का खतरा काफी बढ़ जाता है।
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क्या है स्ट्रोक?
क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, स्ट्रोक ऐसी स्थिति है, जिसमें दिमाग के ब्लड फ्लो में रुकावट आ जाती है। यह दिमाग में किसी आर्टरी के ब्लॉक होने या ब्लीडिंग की वजह से होता है। इस कारण से, दिमाग के उस भाग तक ठीक से ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता और वहां के सेल्स मरने लगते हैं। यह एक जानलेवा स्थिति हो सकती है। इसलिए इसके लक्षणों को तुरंत पहचानकर, जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाने से जान बचाई जा सकती है।
क्या हैं इसके लक्षण?
स्ट्रोक के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि यह आपके दिमाग के किस भाग को प्रभावित करता है, जैसे, यह दिमाग के जिस भाग में होता है, उस पार्ट की वजह से होने वाले फंक्शन में दिक्कत आ सकती है। इसके लक्षण होते हैं-- चक्कर आना
- कंफ्यूजन
- दौरे पड़ना
- याददाश्त खोना
- सिर में तेज दर्द
- बोलने में तकलीफ होना
- एक साइड में पैरालिसिस होना
- धुंधला दिखना
कैसे करें इसकी पहचान?
अगर आपको अपने आस-पास के व्यक्ति में ऊपर बताए गए लक्षणों में से कुछ नजर आए, तो आप इन चार स्टेप से स्ट्रोक की पहचान कर सकते हैं।
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- उस व्यक्ति को स्माइल करने बोलें, अगर उसके चेहरे की एक साइड झुका हुआ नजर आए, तो यह स्ट्रोक का संकेत हो सकता है।
- उस व्यक्ति को हाथ उठाने के लिए कहें, अगर उसका हाथ नीचे की तरफ झुकने लगे या उसके हाथ को उठाने में तकलीफ हो, तो यह स्ट्रोक का एक लक्षण हो सकता है।
- उस व्यक्ति को कुछ बोलने के लिए कहें, अगर उसकी जबान फिसलने लगे या बोलने में तकलीफ होती है, तो यह स्ट्रोक का वॉर्निंग साइन हो सकता है।
- अगर इनमें से कोई लक्षण नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर को फोन करें और इन लक्षणों के शुरू होने का समय नोट करें।
कैसे करें बचाव?
- हेल्दी डाइट खाएं। अपनी डाइट में से प्रोसेस्ड और अधिक शुगर या नमक वाले खाने को बाहर करें और इसकी जगह, हरी सब्जियां, फल, फैटी फिश आदि को अपनी डाइट में शामिल करें। इससे बैड कोलेस्ट्रॉल कम होगा और स्ट्रोक की वजह बनने वाले डायबिटीज, मोटापा, दिल की बीमारियों आदि का खतरा भी कम होगा।
- रोज एक्सरसाइद करें। इसकी मदद से आपका ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है और मोटापे से भी बचाव में मदद मिलती है। यह स्ट्रोक के कई रिस्क फैक्टर्स, जैसे- कोलेस्ट्रॉल कम करना, ब्लड वेसल्स को हेल्दी रखने आदि में मददगार होता है। इसलिए एक्सरसाइज को अपनी लाइफ का हिस्सा बनाएं।
- स्मोकिंग और ड्रिंकिंग न करें। ऐसा करने से आपका ब्लड प्रेशर बढ़ता है, जो स्ट्रोक को आमंत्रण होता है। अगर आप ऐसा करते हैं, तो आज ही इसे छोड़ दें। इसके लिए आप डॉक्टर की मदद भी ले सकते हैं।
- नींद पूरी करें। नींद की कमी की वजह से स्ट्रेस बढ़ता है, जो आपके दिल को प्रभावित कर सकता है, जिस वजह से ब्लड पंप करने में रुकावट आ सकता है। इसलिए नींद की कमी स्ट्रोक की वजह बन सकता है। अगर नींद से जुड़ी कोई समस्या है, जैसे- स्लीप एपनिया आदि, तो उसका इलाज कराएं।
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