Move to Jagran APP

World Diabetes Day 2024: प्री-डायबिटीज भी साबित हो सकती है जानलेवा, भारी पड़ सकती है बेफिक्री

आज World Diabetes Day मनाया जा रहा है। यह दिन इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से मनाया जाता है। डायबिटीज एक लाइलाज बीमारी है जिसे कंट्रोल करना जरूरी है। हालांकि डायबिटीज से कई लोग Pre-Diabetes का भी शिकार हो जाते हैं। ऐसे में इसके बारे में सतर्क रहना भी बेहद जरूरी है। आइए एक्सपर्ट से जानें Pre Diabetes के बारे में सबकुछ।

By Jagran News Edited By: Harshita Saxena Updated: Thu, 14 Nov 2024 04:09 PM (IST)
Hero Image
जानें कैसे खतरनाक साबित हो सकती है प्री-डायबिटीज (Picture Credit- Freepik)
अंकुश शुक्ल, जागरण कानपुर। प्री-डायबिटिक यानी व्यक्ति मधुमेह की दहलीज पर है और अगर आपको लगता है कि खतरा अभी दूर है, तो आप पूरी तरह से गलत हैं। सिर्फ डायबिटीज पीड़ित मरीज ही नहीं, बल्कि 50 प्रतिशत प्री-डायबिटिक लोगों में भी हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा हमेशा बना रहता है। हार्ट डिजीज इंस्टीट्यूट संस्थान के प्रोफेसर डॉ. अवधेश शर्मा के अनुसार, प्री-डायबिटिक लोगों में आम इंसान की तुलना में हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा दो से तीन गुना ज्यादा होता है। ऐसे मरीजों की नसों में सूजन के कारण हार्ट की आर्टरी पर दबाव पड़ता है। इससे उनके दिल के साथ किडनी, आंख, पैर की नस और कई अन्य अंग भी प्रभावित होते हैं।

प्री-डायबिटिक भी है खतरनाक

उन्होंने बताया कि हार्ट डिजीज इंस्टीट्यूट में 50 फीसदी मरीज ऐसे आते हैं, जो प्री-डायबिटिक के साथ ही तनाव का भी शिकार होते हैं। इस तरह, बढ़ता तनाव और डायबिटीक लोगों को दिल का भी मरीज बना रहा है। उन्होंने बताया कि लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव कर डायबिटीज से बचा जा सकता है। प्री-डायबिटीज ऐसी डायबिटीज को कहा जाता है, जो टाइप-2 डायबिटीज से पहले होती है, लेकिन प्री-डायबिटीज के मरीजों में इसके लक्षण नजर नहीं आते। इस तरह की डायबिटीज का मतलब है कि व्यक्ति को डायबिटीज तो है, लेकिन उसके ब्‍लड में ब्लड शुगर लेवल इतना भी ज्यादा नहीं है कि टेस्‍ट के दौरान उसका पता लगाया जा सके।

यह भी पढ़ें-  समय रहते ही कर सकते हैं डायबिटीज से बचाव, अगर जल्द कर ली 7 लक्षणों की पहचान

क्या होती है टाइप-1 डायबिटीज?

वहीं, कई बार बचपन या किशोरावस्था में भी डायबिटीज हो जाता है। इसमें हमारे शरीर में इंसुलिन के उत्पादन में अचानक कमी हो जाती है। शरीर में ग्लूकोज की मात्रा अधिक होने के कारण, इसे नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन का इंजेक्शन लगाना पड़ता है। इसे टाइप वन मधुमेह कहते हैं। वहीं, टाइप टू मधुमेह वाले ज्यादातर लोगों का वजन सामान्य से ज्यादा होता है। उनका पेट बाहर निकलने लगता है। कभी-कभी यह जेनेटिक भी होता है। कई मामलों में इसका मुख्य कारण खराब लाइफस्टाइल बनती है। जनपद में इस वर्ष अप्रैल 2024 से अभी तक सभी स्वास्थ्य केंद्रों में 30 वर्ष से ज्यादा उम्र के करीब 4,81,237 लोगों में डायबिटीज की जांच की गई। इनमें लगभग 54 प्रतिशत लोगों में प्री-डायबिटीज की पुष्टि हुई।

डॉ. अवधेश शर्मा , हृदय रोग संस्थान।

हर छठा व्यक्ति मधुमेह रोगी

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, एलएलआर और उर्सला अस्पताल की ओपीडी में पहुंच रहा हर छठा मरीज डायबिटीज से पीड़ित है। वहीं, हर चौथा मरीज प्री-डायबिटीज का शिकार है, जिसकी अनदेखी करने पर हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक से लेकर आंख, लिवर, किडनी में समस्या व गठिया जैसी बीमारी का खतरा बढ़ सकता है।

कैसे करें अपना बचाव

नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज के नोडल अधिकारी और डिप्टी सीएमओ डॉ. एसपी यादव ने बताया कि मधुमेह से बचाव के लिए नियमित योग-व्यायाम करने व सुबह टहलने की आदत डालें। इसके साथ ही तेल, घी, चिकनाई, फास्ट फूड व नशे की लत से दूर रहें।

प्री-डायबिटीज से ऐसे करें बचाव

  • नियमित व्यायाम करें।
  • सप्ताह में पांच बार 30 मिनट तक पैदल चलें।
  • तनाव मुक्ति के लिए योग और प्राणायाम करें।
  • संतुलित खान-पान करें।
  • खुद दवाएं बिल्कुल न लें, हर दवा में विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है।
यह भी पढ़ें-  Diabetes कैसे डालता है हार्ट हेल्‍थ पर असर? एक्‍सपर्ट ने बताया क्‍यों समय से इलाज जरूरी