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गर्भवती महिलाएं मॉर्निंग सिकनेस से निजात पाने के लिए रोजाना खाएं यह फल

विशेषज्ञों की मानें तो 10 में 8 महिलाएं मॉर्निंग सिकनेस का सामना करती हैं। ज्यादातर महिलाओं को गर्भधारण के तीसरे और चौथे महीने में यह समस्या होती है। वहीं कई महिलाएं इस समस्या से 9 महीने तक पीड़ित रहती हैं।

By Pravin KumarEdited By: Updated: Sat, 04 Sep 2021 02:20 PM (IST)
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एक शोध में खुलासा हुआ है कि गर्भावस्था के दौरान सीताफल खाना सुरक्षित है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में मॉर्निंग सिकनेस आम समस्या है। इस स्थिति में गर्भवती महिलाओं को सुबह में उठने के बाद सिर में तेज दर्द और चक्कर आते हैं। साथ ही मॉर्निंग सिकनेस से उल्टी, भूख न लगना और मितली जैसी समस्याएं होती हैं। विशेषज्ञों की मानें तो 10 में 8 महिलाएं मॉर्निंग सिकनेस का सामना करती हैं। ज्यादातर महिलाओं को गर्भधारण के तीसरे और चौथे महीने में यह समस्या होती है। वहीं, कई महिलाएं इस समस्या से 9 महीने तक पीड़ित रहती हैं। इस बीमारी से गर्भ में पल रहे बच्चे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। डॉक्टर्स हमेशा गर्भवती महिलाओं को आयरन, प्रोटीन और कैल्शियम युक्त चीजों को शामिल करने की सलाह देते हैं। इन चीजों के सेवन से मॉर्निंग सिकनेस में भी आराम मिलता है। इसके अलावा, मॉर्निंग सिकनेस से निजात पाने के लिए रोजाना सीताफल जरूर खाएं। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

मॉर्निंग सिकनेस में क्या करें

मॉर्निंग सिकनेस के दौरान नियमित अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा खाएं। खाना खाने के आधे घंटे पहले या बाद में पानी पिएं। इसके अलावा, रोजाना सुबह में उठने के बाद नींबू पानी पिएं। अदरक को मुंह में लेकर चूसने से भी मॉर्निंग सिकनेस में आराम मिलता है। वहीं, डॉक्टर्स मॉर्निंग सिकनेस से निजात पाने के लिए सीताफल खाने की सलाह देते हैं।

क्या कहती है शोध

एक शोध में खुलासा हुआ है कि गर्भावस्था के दौरान सीताफल खाना सुरक्षित है। इसके सेवन से जच्चा और बच्चा दोनों की सेहत पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। सीताफल में मिनरल, कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम, फॉस्फोरस, सोडियम, जिंक आदि पाया जाता है। साथ ही सीताफल में विटामिन-ए, बी और विटामिन-सी पाया जाता है। एशियन जर्नल आफ रिसर्च इन केमेस्ट्री एंड फार्मास्यूटिकल साइंसेज की एक शोध में बताया गया है कि रोजाना एक सीताफल खाने से गर्भपात का खतरा कम हो जाता है। वहीं, सीताफल में मैग्नीशियम और कॉपर की मौजूदगी से शिशु के मस्तिष्क एवं तंत्रिका तंत्र का विकास होता है। इसमें मौजूद विटामिन-ए और सी शिशु की आंखों, बाल और त्वचा के विकास में अहम भूमिका निभाता है।

डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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