भारत में सबसे ज्यादा हो रहीं प्रीमैच्योर डिलीवरी, साल 2020 में 30 लाख बच्चों ने लिया समय पूर्व जन्म
Premature Delivery भारत में वर्ष 2020 के दौरान प्री-मैच्योर (समय से पूर्व) जन्म के 30.2 लाख मामले दर्ज किए गए जो दुनियाभर में सर्वाधिक है। शोधकर्ताओं ने कहा कि जिन देशों में समय पूर्व जन्म के सर्वाधिक मामले सामने आए उनमें भारत के बाद पाकिस्तान नाइजीरिया चीन इथियोपिया बांग्लादेश कांगो और अमेरिका शामिल हैं। 10 लाख बच्चों की मौत समय पूर्व जन्म संबंधी जटिलताओं के कारण हो गई।
पीटीआई, नई दिल्ली। भारत में वर्ष 2020 के दौरान प्री-मैच्योर (समय से पूर्व) जन्म के 30.2 लाख मामले दर्ज किए गए जो दुनियाभर में सर्वाधिक है। यह संख्या इस अवधि में दुनियाभर में समय पूर्व जन्म के कुल मामलों के 20 प्रतिशत से अधिक है।
द लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) और लंदन स्कूल आफ हाइजीन एंड ट्रापिकल मेडिसिन के शोधकर्ताओं के अध्ययन से पता चला है कि 2020 में दुनियाभर में समय से पहले जन्म के 50 प्रतिशत से अधिक मामले सिर्फ आठ देशों में दर्ज किए गए। शोधकर्ताओं ने कहा कि जिन देशों में समय पूर्व जन्म के सर्वाधिक मामले सामने आए उनमें भारत के बाद पाकिस्तान, नाइजीरिया, चीन, इथियोपिया, बांग्लादेश, कांगो और अमेरिका शामिल हैं।
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10 लाख की पूर्व जन्म संबंधी जटिलाताओं के चलते मौत
इन देशों और क्षेत्रों में समय पूर्व जन्म के अधिक मामले इन देशों की बड़ी आबादी, कुल जन्म की अधिक संख्या और लचर स्वास्थ्य प्रणाली को दर्शाते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि 2020 की शुरुआत में वैश्विक स्तर पर एक करोड़ 34 लाख बच्चों ने जन्म लिया, जिनमें से करीब 10 लाख बच्चों की मौत समय पूर्व जन्म संबंधी जटिलताओं के कारण हो गई।
यह आंकड़ा विश्वभर में समय पूर्व (गर्भावस्था के 37 सप्ताह के पहले) जन्मे 10 बच्चों में से एक के बराबर है।शोधकर्ताओं ने कहा, चूंकि समय से पहले जन्म बच्चों की प्रारंभिक वर्षों में मृत्यु का प्रमुख कारण है, इसलिए समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों की देखभाल के साथ-साथ रोकथाम के प्रयासों को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता है।
विशेष रूप से मातृ स्वास्थ्य और पोषण दोनों पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समय पूर्व जन्मे जो बच्चे जीवित बचते हैं, उनके बड़ी बीमारियों के चपेट में आने, दिव्यांगता और विलंबित विकास, डायबिटीज और दिल की बीमारी से पीड़ित होने का खतरा बढ़ जाता है।
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