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Rabies: गाजियाबाद में कुत्ते के काटने से रेबीज का शिकार हुए बच्चे की मौत , जानें इस बीमारी के बारे में सबकुछ

Rabies रेबीज एक खतरनाक वायरस है जो मस्तिष्क में सूजन का कारण बनता है। जानवर के काटने और खरोंचने से इंसानों में रेबीज फैल सकता है। रेबीज के टीके और अन्य दवाएं संक्रमण का इलाज कर सकती हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश से इसका एक मामला सामने आया है जिसमें कुत्ते के काटने के बाद 14 साल के बच्चे की जान चली गई।

By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Thu, 07 Sep 2023 12:17 PM (IST)
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रेबीज की वजह से गई 14 साल के बच्चे की जान, जानें इस बीमारी के बारे में सबकुछ
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Rabies: इन दिनों हर कोई गाजियाबाद में हुए मामले की चर्चा कर रहा है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से एक दिल दहलाने का वाला मामला सामने आया है। यहां एक 14 साल के बच्चे की कुत्ते के काटने से मौत हो गई। दरअसल, बच्चे को करीब 2 महीने पहले एक कुत्ते ने काट लिया था, जिसके बाद बच्चे ने डर की वजह से इस बारे में अपने माता-पिता को नहीं बताया। कुत्ते के काटने की वजह से बच्चे को रेबीज की बीमारी हो गई और उनसे तपड़-तपड़कर दम तोड़ दिया।

रेबीज एक गंभीर बीमारी है, जिसका अगर समय रहते इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा तक साबित हो सकती है। चलिए जानते हैं रेबीज के जुड़ी वह सभी बातें, जो आपके लिए जानना जरूरी है।

क्या है रेबीज?

रेबीज एक वायरल संक्रमण है, जो मुख्य रूप से संक्रमित जानवर के काटने से फैलता है। सही समय पर उचित इलाज न मिलने पर यह आमतौर पर घातक होता है। यह रबडोवायरस (rhabdovirus) परिवार का एक आरएनए वायरस है, जो व्यक्ति के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। एक बार यह नर्वस सिस्टम के अंदर पहुंच जाता है, तो वायरस मस्तिष्क में तीव्र सूजन पैदा करता है, जिससे जल्द ही कोमा और मौत हो सकती है।

रेबीज दो प्रकार के होते हैं। पहला प्रकार, फ्यूरियस या एन्सेफेलिटिक रेबीज, 80% मानव मामलों में होता है और इससे पीड़ित व्यक्ति को हाइपरएक्टविटी और हाइड्रोफोबिया का ज्यादा अनुभव हो सकता है। दूसरा प्रकार, जिसे लकवाग्रस्त या "डम्ब" रेबीज कहा जाता है, जिसमें लकवा मारना एक प्रमुख लक्षण है।

रेबीज के लक्षण

रेबीज के पहले लक्षण फ्लू के समान हो सकते हैं और कई दिनों तक रह सकते हैं। इसके बाद के संकेतों और लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:-

  • बुखार
  • सिरदर्द
  • जी मिचलाना
  • उल्टी करना
  • घबराहट
  • चिंता
  • कन्फ्यूजन
  • हाइपरएक्टिविटी
  • निगलने में कठिनाई
  • अत्यधिक लार आना
  • बुरे सपने आना
  • अनिद्रा
  • पार्शियल पैरालिसिस

रेबीज के कारण

रेबीज वायरस रेबीज संक्रमण का कारण बनता है। यह वायरस संक्रमित जानवरों की लार से फैलता है। संक्रमित जानवर किसी अन्य जानवर या व्यक्ति को काटकर वायरस फैला सकते हैं।

दुर्लभ मामलों में, रेबीज तब फैल सकता है जब संक्रमित की लार किसी खुले घाव या म्यूकस मेंब्रेन जैसे मुंह या आंखों में चली जाती है। ऐसा तब हो सकता है, जब कोई संक्रमित जानवर आपकी त्वचा पर खुले घाव को चाट ले।

जानवर जो रेबीज वायरस फैला सकते हैं?

कोई भी स्तनधारी (वह जानवर जो अपने बच्चों को दूध पिलाता है) रेबीज वायरस फैला सकता है। जिन जानवरों से लोगों में रेबीज वायरस फैलने की सबसे अधिक संभावना है उनमें निम्न शामिल हैं:

पालतू और फीर्म जानवर

  • बिल्ली
  • गाय
  • कुत्ता
  • फेरेट्स
  • बकरी
  • घोड़ा
जंगली जानवर

  • चमगादड़
  • बीवर
  • काइओट
  • लोमड़ी
  • बंदर
  • रैकून
  • स्कंक
  • वुडचुक्स
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रिस्क फैक्टर

  • किसी ऐसे देशों में यात्रा करना या रहना जहां रेबीज अधिक आम है।
  • ऐसी गतिविधियां जो आपको उन जंगली जानवरों के संपर्क में लाए, जिनमें रेबीज हो सकता है, जैसे कि गुफाओं की खोज करना जहां चमगादड़ रहते हैं या जंगली जानवरों को अपने शिविर स्थल से दूर रखने के लिए सावधानी बरते बिना डेरा डालना।
  • पशुचिकित्सक के रूप में कार्य करना।
  • रेबीज वायरस के साथ एक प्रयोगशाला में काम करना।
  • सिर या गर्दन पर घाव, जो रेबीज वायरस को आपके मस्तिष्क तक तेजी से पहुंचने में मदद कर सकता है।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

अगर आपको किसी जानवर ने काट लिया है या रेबीज के किसी संदिग्ध जानवर के संपर्क में आए हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। आपकी चोटों और उस स्थिति के आधार पर जिसमें संपर्क हुआ था, आप और आपका डॉक्टर यह निर्णय ले सकते हैं कि आपको रेबीज से बचाव के लिए उपचार प्राप्त करना चाहिए या नहीं।

रेबीज से बचाव

  • अपने पालतू जानवरों का टीकाकरण करेंः बिल्लियों, कुत्तों और फेरेट्स को रेबीज के खिलाफ टीका लगाया जा सकता है। अपने पशुचिकित्सक से पूछें कि आपके पालतू जानवरों को कितनी बार टीका लगाया जाना चाहिए।
  • अपने पालतू जानवरों को सीमित रखेंः अपने पालतू जानवरों को घर के अंदर रखें और बाहर रहने पर उनकी निगरानी करें। इससे आपके पालतू जानवरों को जंगली जानवरों के संपर्क में आने से बचाने में मदद मिलेगी।
  • छोटे पालतू जानवरों को शिकारियों से बचाएंः खरगोशों और अन्य छोटे पालतू जानवरों, जैसे गिनी पिग को अंदर या सुरक्षित पिंजरों में रखें ताकि वे जंगली जानवरों से सुरक्षित रहें। इन छोटे पालतू जानवरों को रेबीज के खिलाफ टीका नहीं लगाया जा सकता है।
  • आवारा जानवरों की सूचना स्थानीय अधिकारियों को देंः आवारा कुत्तों और बिल्लियों की रिपोर्ट करने के लिए अपने स्थानीय पशु नियंत्रण अधिकारियों या अन्य स्थानीय कानून प्रवर्तन को कॉल करें।
  • जंगली जानवरों के पास न जाएंः रेबीज से पीड़ित जंगली जानवर लोगों से नहीं डरते। किसी जंगली जानवर का लोगों के साथ मित्रतापूर्ण व्यवहार करना सामान्य बात नहीं है, इसलिए ऐसे किसी भी जानवर से दूर रहें जो निडर लगता हो।
  • चमगादड़ों को अपने घर से दूर रखेंः किसी भी दरार और गैप को सील करें, जहां से चमगादड़ आपके घर में प्रवेश कर सकते हैं। अगर आप जानते हैं कि आपके घर में चमगादड़ हैं, तो चमगादड़ों को बाहर रखने के तरीके खोजने के लिए स्थानीय विशेषज्ञ के साथ काम करें।

यह भी ध्यान रखें

अगर आप यात्रा कर रहे हैं या अक्सर ऐसे जानवरों के आसपास रहते हैं जिनमें रेबीज हो सकता है तो रेबीज के टीका जरूर लगवाएं। अगर आप ऐसे देश की यात्रा कर रहे हैं जहां रेबीज आम है और आप लंबे समय तक वहां रहेंगे, तो अपने डॉक्टर से पूछें कि क्या आपको रेबीज का टीका लगवाना चाहिए।

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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Picture Courtesy: Freepik

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