क्या आपको भी है ओवरथिंकिंग करने की आदत, तो जानें इसके कारण और इससे बचाव के तरीके
इन दिनों कई लोग ओवरथिंकिग (overthinking) की समस्या से जूझ रहे हैं। यह एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति बिना किसी वजह किसी भी बात के बारे में लंबे समय तक सोचता रहता है। ऐसे अकसर डर चिंता या कंफ्यूजन की स्थिति में होता है। अगर आप भई अकसर ओवरथिंकिग करते रहते हैं तो इससे निपटने के लिए ये टिप्स अपनाएं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। ओवरथिंकिंग (overthinking) यानी बिना किसी वजह किसी भी बात के बारे में लंबे समय तक सोचते रहना और अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करना। जब हमारे शरीर को डर का एहसास होता है, तो इससे निपटने के लिए एक नेचुरल इंपल्स की तरह ओवरथिंकिंग होने लगती है। जब डर, चिंता, तनाव, कंफ्यूजन, इनसिक्योरिटी या कुछ भी उलझन भरी स्थिति का सामना करना पड़ता है, तो ओवरथिंकिंग एक कोपिंग मैकेनिज्म की तरह सामने आता है।
इससे दिमाग में कोई बात अटक सी जाती है और हर समय घूम कर दिमाग उसी बात की चिंता करना चाहता है। आपका दिमाग इस स्थिति को सोच-सोचकर और भी बुरा बना सकता है, क्योंकि ये काल्पनिक मापदंड बना कर और भय पैदा करता है। कुछ लोग जजमेंट के डर से भी ओवरथिंकिंग करते हैं।यह भी पढ़ें- फिट रहने केे लिए जरूरी नहीं जिम जाना, घर के इन कामों से भी रख सकते हैं खुद को चुस्त-दुरुस्त
ओवरथिंकिंग के कारण
कुछ लोग इतिहास के अपने फेल हो चुके प्रयासों के कारण भी ओवरथिंकिंग करते हैं। कुछ लोग अनावश्यक उम्मीदों का पिटारा ले कर चलते हैं, इसलिए ओवरथिंकिंग करने लगते हैं और उम्मीदों पर खरा न उतरने के डर से हर समय स्थिति को कैसे मैनेज करें इसी बात पर विचार करते रहते हैं। खुद को सुरक्षित महसूस करने के लिए हम किसी भी स्थिति या निर्णय के हर पहलू पर हजार तरीके से विचार करते हैं, जिससे हमारी सुरक्षा कहीं आड़े न आए। ऐसे में आज इस आर्टिकल में जानेंगे कैसे निपटें ओवरथिंकिंग की समस्या से-
ओवरथिंकिंग से निपटने के टिप्स-
- ओवरथिंकिंग से निपटने का तरीका मात्र यही है कि इस बात को स्वीकार कर लिया जाए कि ओवरथिंकिंग होती ही रहेगी। कोई चाहे या न चाहे दिमाग में अटकी हुई कोई बात अनावश्यक जोर ही डालेगी। जब हम इस असलियत को स्वीकार कर लेंगे, तभी इससे निपटने के हजार रास्ते भी निकाल सकेंगे।
- जब इस बात का एहसास हो जाए कि आप ओवरथिंकिंग मोड में जा रहे हैं, तो सबसे पहले गहरी लंबी सांस लें। इस बात से सहमत हो जाएं कि आपका दिमाग आपको सुरक्षित रखने के लिए ऐसा करता है। इसे कोई बीमारी न समझें।
- प्रतिदिन दिमाग में आ रहे 60 से 80 हजार विचारों में हर एक विचार को महत्व और स्पेस देने की जरूरत नहीं है। गहरी सांस लें और मूव ऑन करने की कोशिश करें।
- इस बात को समझें कि असल प्रॉब्लम इतनी बड़ी नहीं है, जितना आपका दिमाग उसे ओवरथिंकिंग कर के बना देता है।
- जिम जाएं, योग क्लास ज्वाइन करें या मेडिटेशन करें। ये सभी आदतें दिमाग को स्वस्थ रखती हैं और अनावश्यक ओवरथिंकिंग से बचाती हैं।
- स्थिति कंट्रोल से बाहर जाती हुई दिखे और आपको अकेला महसूस हो, तो कुंठित हो कर डिप्रेशन में जाने की जगह साइकेट्रिस्ट की मदद लें।