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आसपास सो रहे लोगों को डरा देती है आपके नींद में बोलने की आदत, तो इन टिप्स से करें इसे कंट्रोल

अगर आपके आसपास कोई ऐसा व्यक्ति है जो सोते समय अचानक बात करने लगे तो इससे नींद तो खराब होती ही है। साथ ही कई बार डर भी जाते हैं। नींद में बोलने की समस्या कई लोगों को होती है। ऐसे में कुछ टिप्स की मदद से इसे समय रहते कंट्रोल किया जा सकता है। आइए जानते हैं नींद में बोलने की समस्या से कैसे पाए राहत।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Sat, 28 Sep 2024 04:27 PM (IST)
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क्यों होती है नींद में बोलने की समस्या (Picture Credit- Freepik)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आप भी अक्सर नींद में बाते करते हैं या आपके साथ सो रहा कोई व्यक्ति अचानक नींद से बड़बड़ाने लगता है, तो यह नींद में बात करना या सोमनिलोकी की समस्या हो सकती है। यह एक तरह का स्लीप डिसऑर्डर है, जिसमें लोग अक्सर सोते समय नींद में बातें करते हैं। लगभग सभी लोगों को अपने जीवन के दौरान नींद में बात करने का कम से कम एक बार अनुभव जरूर हुआ है। आइए जानते हैं इस समस्या के बारे में विस्तार से-

कितना आम है नींद में बात करना?

अध्ययनों से पता चला है कि 66% तक लोग नींद में बातें करने का अनुभव कर चुके हैं, जिसकी वजह से यह सबसे आम पैरासोमनिया में से एक साबित होता है। हालांकि, यह बार-बार नहीं होता है। नींद में बातें की समस्या बच्चों में ज्यादा पाई जाती है और ऐसा माना जाता है कि यह कम वयस्कों को ही प्रभावित करता है। साथ ही यह महिलाओं और पुरुषों में समान रूप से होता है।

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क्या है नींद में बोलने की वजह

हालांकि, लोगों को नींद में बोलने जैसी समस्याओं के बारे में बहुत कम जानकारी होती है, इसलिए नींद में बात करने के सही कारण के बारे में डेटा सटीक नहीं हो सकता है। हालांकि, निम्न फैक्टर्स इस समस्या को बढ़ाना दे सकते हैं-

  • जेट लैग
  • नींद की कमी
  • स्लीप एप्निया
  • एंग्जायटी और स्ट्रेस
  • शराब या अन्य नशीली चीजों का दुरुपयोग

नींद में कैसे बात करते हैं लोग?

नींद में बातें करना, जिसे सोमनिलोकी भी कहा जाता है, नींद के दौरान जोर से बोलने की क्रिया है। इस दौरान जब आप सो रहे होते हैं, तो आप निम्न चीजें कर सकते हैं:-

  • फुसफुसाकर बात करना
  • आम तरीके के बात करना
  • पूरे शब्द या प्रतिक्रियाएं चिल्लाना।
  • समझने योग्य वाक्य बोलना और पूरी बातचीत करना।
  • घुरघुराहट या बड़बड़ाना

किन लोगों को है ज्यादा खतरा?

नींद में बातें करना किसी को भी किसी भी समय हो सकता है। नींद में बात करने का जेनेटिक कनेक्शन भी हो सकता है। इसलिए अगर आपके माता-पिता या परिवार का अन्य सदस्य नींद में बहुत सारी बातें करते हैं, तो आपको भी इसका खतरा हो सकता है। इन लोगों को भी इसका खतरा ज्यादा होता है-

  • बुखार होने पर
  • शराब पीने वाले व्यक्ति को
  • तनाव लेने वाले को
  • मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां, जैसे डिप्रेशन वाले लोगों को
  • नींद की कमी रहने वाले वालों को

नींद संबंधी अन्य विकारों से पीड़ित लोगों में भी नींद में बात करने का खतरा बढ़ जाता है, जिनमें निम्न लोग शामिल हैं:-

  • स्लीप एप्निया
  • नींद में चलना
  • रात में बुरे सपने देखने वाले

कैसे करें नींद में बोलने की समस्या को कंट्रोल

  • नियमित स्लीप शेड्यूल को फॉलो करें।
  • रोजाना सात से नौ घंटे की नींद का लक्ष्य रखें।
  • सोने से पहले अपने आप को 30 से 60 मिनट का शांत, स्क्रीन-फ्री समय दें।
  • अपने तनाव को कम करने या मैनेज करने की कोशिश करें।
  • शराब से परहेज करें या सीमित मात्रा में पिएं।
  • सोने से कम से कम छह घंटे पहले कैफीन से परहेज करें।
  • नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।
  • सुनिश्चित करें कि आपके बेडरूम में शांति और अंधेरा हो।

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