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Rheumatoid Arthritis: रूमेटाइड अर्थराइटिस हड्डियों के साथ आपके फेफड़ों के लिए भी हो सकता है खतरनाक

Rheumatoid Arthritis रूमेटाइड अर्थराइटिस वैसे तो हडि्डयों से जुड़ी बीमारी है जिसमें जोड़ों में दर्द सूजन और जलन के साथ चलने-फिरने में परेशानी होती है। हड्डियों टेढ़ी-मेढ़ी और कमजोर होने लगती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रूमेटाइड अर्थराइटिस आपके फेफड़ों को भी प्रभावित कर सकता है?

By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Mon, 30 Jan 2023 07:40 AM (IST)
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Rheumatoid Arthritis: लंग्स को भी प्रभावित कर सकता है रूमेटाइड अर्थराइटिस
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Rheumatoid Arthritis: गठिया यानी रूमेटाइड अर्थराइटिस के मरीजोंके फेफड़े भी गंभीर रूप से प्रभावित होने लगते हैं क्योंकि खून में आरए फैक्टर और एंटी सीसीपी तत्व बढ़ने से मांसपेशियों में सूजन आने से कोशिकाएं यानी सेल मरने लगती हैं। इस वजह से फेफड़ों की कोशिकाओं में सूजन और फाइब्रोसिस होने से उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होने लगती है। फेफड़ों की मांसपेशियों की कोशिकाएं सिकुड़ने से ऑक्सीजन लेने का स्तर घट जाता है, जिससे चलने-फिरने में सांस फूलने लगती है। फेफड़ों में घरघराहट की आवाज के साथ सूखी खांसी भी आती है। इस समस्या को रूमेटाइड एसोसिएटेड इंटरस्टीसियल लंग्स डिजीज़ (आइएलडी) कहते हैं।

गठिया सामान्यता जोड़ों की बीमारी है जिसमें पहले छोटे जोड़ और फिर धीरे-धीरे बड़े जोड़ प्रभावित होते हैं। इस वजह से व्यक्ति चल-फिर भी नहीं पाता है। इलाज में लापरवाही बरतने से फेफड़ों पर भी गंभीर असर पड़ता है खासकर 50 साल या उससे ऊपर उम्र की महिलाओं को गठिया की ज्यादा समस्या होती है। लंबे समय से गठिया से पीड़ित मरीजों के फेफड़े खराब हो जाते हैं।

ये हैं लक्षण

- हड्डी के छोटे जोड़ों में दर्द, जकड़न व सूजन

- सुबह उठने पर जोड़ों में जकड़न रहना

- जोड़ आपस में चिपकना व विकृति आना

- लंबे समय तक सूखी खांसी आना

- चलने-फिरने में सांस फूलने लगना

- फेफड़ों में सूजन और स्थायी क्षति

- फेफडे की कार्य क्षमता कम होना

बचाव के उपाय

- ऐसे व्यक्ति जोड़ में दर्द, चलने, सांस फूलने व खांसी आने पर तुरंत जांच कराएं।

- गठिया का पूरा इलाज कराएं, लापरवाही न बरतें व बीच में इलाज न छोड़े।

- लापरवाही बरतने से फेफड़े पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।

रूमेटाइड अर्थराइटिस के घरेलू इलाज

- रूमेटाइड आर्थराइटिस से पीड़ित व्यक्ति की परेशानी ठंड में और ज्यादा बढ़ जाती है। तो इस मौसम में दर्द व सूजन से बचे रहने के लिए खुद को गर्म रखने की कोशिश करें।

- डॉक्टर का कहना है कि फैटी एसिड से भरपूर चीजों का सेवन करने से रूमेटाइड आर्थराइटिस की प्रॉब्लम में काफी लाभ मिलता है। इसके लिए अपनी डाइट में मछली, अखरोट और अलसी के बीजों को शामिल करें। इनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड अच्छी-खासी मात्रा में मौजूद होता है। 

- रूमेटाइटड आर्थराइटिस के मरीजों दूध और इनसे बनने वाली चीज़ें भी खानी चाहिए। 

Pic credit- freepik