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High Blood Sugar में बना रहता है किडनी फेलियर का खतरा, वक्त रहते इन लक्षणों से करें पहचान

दुनियाभर में करीब 42 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। मेटाबॉलिज्म से जुड़ी इस बीमारी का वैसे तो शरीर के कई अंगों पर असर पड़ता है लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रभाव किडनी पर देखा जाता है। इस आर्टिकल में आपको डायबेटिक किडनी डिजीज (Diabetic Kidney Disease) से जुड़े लक्षण और बचाव के बारे में बताएंगे जिनकी अनदेखी से किडनी फेल होने की आशंका रहती है।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Mon, 08 Jul 2024 09:31 PM (IST)
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डायबिटीज में रहती है किडनी फेलियर की आशंका, इन लक्षणों से कर सकते हैं पहचान (Image Source: Freepik)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Diabetic Kidney Disease: डायबिटीज लाइफस्टाइल से जुड़ी एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसमें किडनी फेलियर की आशंका बनी रहती है। इसे डायबेटिक नेफ्रोपैथी भी कहते हैं, जिसका खतरा टाइप 1 और टाइप 2 दोनों ही तरह की डायबिटीज में रहता है। जाहिर है कि किडनी का काम शरीर में मौजूद अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करने का होता है, लेकिन डायबेटिक किडनी डिजीज में किडनी का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो जाता है।

इससे बचने के लिए आपको अपने लाइफस्टाइल में तुरंत बदलाव करने की जरूरत होती है, जिसमें सबसे पहला फोकस ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने का होता है। अगर ज्यादा दिनों तक डायबेटिक किडनी डिजीज की समस्या रहती है, तो इसका सेहत पर गहरा असर पड़ता है और किडनी फेलियर का खतरा भी कई गुना तक बढ़ जाता है। आइए इस आर्टिकल में आपको बताते हैं इससे जुड़े कुछ लक्षण और बचाव के तरीकों के बारे में।

डायबेटिक किडनी डिजीज की ऐसे करें पहचान

शुरुआती स्टेज में किडनी डिजीज का पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन दूसरे स्टेज में इससे जुड़े लक्षण आसानी से नजर आने लगते हैं। इस स्थिति में ब्लड प्रेशर बहुत तेजी से बढ़ने या घटने लगता है। इसके अलावा बार-बार पेशाब आने की समस्या होती है, जिसमें इसके रास्ते शरीर से प्रोटीन भी बाहर निकलने लगता है।

हाई ब्लड शुगर से जुड़ी किडनी डिजीज में हाथों-पैरों, टखनों या आंखों के आसपास के एरिया पर सूजन आने लगती है, जो कि साफ तौर पर किडनी डिजीज की ओर इशारा करते हैं। इसके अलावा व्यक्ति ज्यादातर समय भ्रम की स्थिति में रहने लगता है और सांस लेने में कठिनाई, भूख की कमी के अलावा उल्टी, मतली और खुजली की समस्या से भी जूझना पड़ सकता है। डायबेटिक किडनी डिजीज में हर समय थकान बनी रह सकती है, ऐसे में जरूरी है कि इससे जुड़े लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर लिया जाए।

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कैसे कम कर सकते हैं जोखिम?

डायबिटीज के शुरुआती दौर से जूझ रहे लोगों को अपने ब्लड शुगर को खास तौर से मॉनिटर करना चाहिए। रूटीन के मुताबिक डॉक्टर के पास जाना चाहिए और डायबेटिक नेफ्रोपैथी की दवाओं को बिना डॉक्टर की सलाह के न तो शुरू करना चाहिए और न ही छोड़ना चाहिए। डायबेटिक किडनी डिजीज से बचने के लिए वेट पर ध्यान देना भी काफी ज्यादा जरूरी होता है। बता दें, कि डायबिटीज के मरीजों को खानपान का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है।

इन चीजों से बना लें दूरी

डायबेटिक किडनी डिजीज से बचाव के लिए प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड, ज्यादा मीठे या नमक के सेवन से परहेज करना चाहिए। इस बीमारी में धूम्रपान और शराब से भी दूरी बनाना काफी ज्यादा जरूरी है। ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर से लेकर किडनी अल्ट्रासाउंड टेस्ट, क्रिएटिनिन टेस्ट, यूरिक एसिड और माइक्रो एल्ब्यूमिन टेस्ट की जांच भी समय-समय पर कराते रहनी चाहिए।

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Disclaimer: लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो, तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।