High Blood Sugar में बना रहता है किडनी फेलियर का खतरा, वक्त रहते इन लक्षणों से करें पहचान
दुनियाभर में करीब 42 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। मेटाबॉलिज्म से जुड़ी इस बीमारी का वैसे तो शरीर के कई अंगों पर असर पड़ता है लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रभाव किडनी पर देखा जाता है। इस आर्टिकल में आपको डायबेटिक किडनी डिजीज (Diabetic Kidney Disease) से जुड़े लक्षण और बचाव के बारे में बताएंगे जिनकी अनदेखी से किडनी फेल होने की आशंका रहती है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Diabetic Kidney Disease: डायबिटीज लाइफस्टाइल से जुड़ी एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसमें किडनी फेलियर की आशंका बनी रहती है। इसे डायबेटिक नेफ्रोपैथी भी कहते हैं, जिसका खतरा टाइप 1 और टाइप 2 दोनों ही तरह की डायबिटीज में रहता है। जाहिर है कि किडनी का काम शरीर में मौजूद अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करने का होता है, लेकिन डायबेटिक किडनी डिजीज में किडनी का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो जाता है।
इससे बचने के लिए आपको अपने लाइफस्टाइल में तुरंत बदलाव करने की जरूरत होती है, जिसमें सबसे पहला फोकस ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने का होता है। अगर ज्यादा दिनों तक डायबेटिक किडनी डिजीज की समस्या रहती है, तो इसका सेहत पर गहरा असर पड़ता है और किडनी फेलियर का खतरा भी कई गुना तक बढ़ जाता है। आइए इस आर्टिकल में आपको बताते हैं इससे जुड़े कुछ लक्षण और बचाव के तरीकों के बारे में।
डायबेटिक किडनी डिजीज की ऐसे करें पहचान
शुरुआती स्टेज में किडनी डिजीज का पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन दूसरे स्टेज में इससे जुड़े लक्षण आसानी से नजर आने लगते हैं। इस स्थिति में ब्लड प्रेशर बहुत तेजी से बढ़ने या घटने लगता है। इसके अलावा बार-बार पेशाब आने की समस्या होती है, जिसमें इसके रास्ते शरीर से प्रोटीन भी बाहर निकलने लगता है।
हाई ब्लड शुगर से जुड़ी किडनी डिजीज में हाथों-पैरों, टखनों या आंखों के आसपास के एरिया पर सूजन आने लगती है, जो कि साफ तौर पर किडनी डिजीज की ओर इशारा करते हैं। इसके अलावा व्यक्ति ज्यादातर समय भ्रम की स्थिति में रहने लगता है और सांस लेने में कठिनाई, भूख की कमी के अलावा उल्टी, मतली और खुजली की समस्या से भी जूझना पड़ सकता है। डायबेटिक किडनी डिजीज में हर समय थकान बनी रह सकती है, ऐसे में जरूरी है कि इससे जुड़े लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर लिया जाए।
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