Move to Jagran APP

कितनी बार साफ होते हैं ट्रेन के कंबल और कैसे इनका इस्तेमाल बना सकता है आपको बीमार

हाल ही में एक आरटीआई के जवाब में भारतीय रेलवे ने बताया कि वे ट्रेनों में इस्तेमाल होने वाले कंबल (Blankets in Indian Railways) को महीने में एक बार धोते हैं। इसके पीछे की वजह उन्होंने यात्रियों की बड़ी संख्या और कंबल को बार-बार धोने में होने वाली परेशानी को बताया है। हालांकि इससे कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। आइए इस बारे में और विस्तार से जानते हैं।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Thu, 24 Oct 2024 01:39 PM (IST)
Hero Image
रेलवे के कंबल कहीं बीमारियों का घर तो नहीं! (Picture Courtesy: Jagran Files)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े रेलवे सिस्टम में से एक है। लाखों यात्री रोजाना ट्रेनों का इस्तेमाल करते हैं। यात्रा के दौरान यात्रियों को आरामदायक बनाने के लिए रेलवे के एसी क्लास में कंबल (Blankets in Indian Railways) उपलब्ध कराएं जाते हैं, लेकिन हाल ही में सामने आए रेलवे के एक जवाब ने यात्रियों को चिंता में डाल दिया है। एक आरटीआई के जवाब में (RTI Shocking Reveal) रेलवे ने जानकारी दी कि ट्रेन में इस्तेमाल होने वाले कंबल महीने में केवल एक बार धोए जाते हैं। हालांकि, रेलवे ने यह भी कहा कि वे कंबलों को साफ रखने की (Railway Blanket Cleaning) कोशिश करते हैं, लेकिन यात्रियों की बड़ी संख्या और ऊनी कंबलों को हर इस्तेमाल के बाद धोना इसे काफी मुश्किल बना देता है।

हालांकि, ये बात सही है कि हर इस्तेमाल के बाद कंबलों को धोना काफी मुश्किल भरा हो सकता है, लेकिन इससे स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसी बारे में हम यहां जानने की कोशिश करेंगे। आइए जानें रेलवे बिना धुले कंबल के इस्तेमाल से स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।

यह भी पढ़ें: कहीं होटल रूम के खटमल न बन जाएं आपके घर के मेहमान, बचने के लिए रखें कुछ खास बातों का ख्याल

क्यों है ये चिंता का कारण?

  • बैक्टीरिया और वायरस का प्रसार- बार-बार इस्तेमाल किए जाने वाले कंबल पर बैक्टीरिया और वायरस तेजी से बढ़ते हैं। ये बैक्टीरिया और वायरस त्वचा संबंधी बीमारियां, सांस संबंधी समस्याएं और अन्य गंभीर बीमारियां पैदा कर सकते हैं।
  • एलर्जी- धूल के कण, पोलन और अन्य एलर्जन्स कंबलों में जमा हो जाते हैं। इससे एलर्जी के मरीजों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है और उन्हें खांसी, छींक और आंखों में जलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
  • स्किन डिजीज- कंबल का इस्तेमाल किन-किन लोगों ने किया है और उनकी स्किन कंडीशन कैसी थी, इस बारे में पता नहीं होता। ऐसे में इन्फेक्टेड कंबल से त्वचा में खुजली, लाल चकत्ते और अन्य स्किन डिजीज हो सकती हैं।
  • बदबू- बार-बार इस्तेमाल किए जाने वाले कंबल से बदबू आती है, जो यात्रियों के लिए काफी असुविधाजनक हो सकता है। लोगों के पसीने आदि की वजह से कंबल में बदबू आ सकती है।
  • अस्थमा के मरीजों को परेशानी- कंबल में जमा होने वाली धूल-मिट्टी और अन्य एलर्जन की वजह से सांस लेने में परेशानी हो सकती है, खासकर अस्थमा के मरीजों को। अस्थमा के मरीजों को धूल-मिट्टी से काफी दिक्कत हो सकती है। सामान्य लोगों को भी नेजल कन्जेशन और खांसी जैसी समस्या हो सकती है।
  • बुजुर्गों और बच्चों को ज्यादा खतरा- कंबल में जमा बैक्टीरिया और धूल-मिट्टी की वजह से बुजुर्गों और छोटे बच्चों को ज्यादा परेशानी हो सकती है।

इससे बचने के लिए क्या कर सकते हैं?

रेलवे का कंबल इस्तेमाल करने से पहले कोई मोटी चादर ओढ़ें और फिर कंबल ऊपर से ओढ़ें। इससे कंबल पर लगी गंदगी चादर पर ही रह जाएगी और इन्फेक्शन या एलर्जी का खतरा काफी कम हो जाएगा। इसलिए कोशिश करें कि सीधे तौर से कंबल न ओढ़ें। अगर सुविधा हो, तो यात्री खुद अपने साथ कंबल या ओढ़ने के लिए भी कुछ ला सकते हैं।

यह भी पढ़ें: महंगी पड़ सकती है Mattress Hygiene की अनदेखी, बिस्तर में छिपे कीटाणु बना सकते हैं आपको बीमार