बुढ़ापे में फिट रहने के लिए 'सेल्फ मॉनिटरिंग' की मदद से बढ़ा सकते हैं फिजिकल एक्टिविटीज, नहीं पड़ेंगे बीमार!
बड़े-बुजुर्ग हमेशा से फिजिकली एक्टिव बने रहने पर जोर डालते आए हैं। यह हर उम्र के लिए काफी अहम है लेकिन खासतौर से उन बुजुर्गों के लिए जो डे केयर सेंटर में रहते हैं या उनकी देखभाल के लिए कोई साथ नहीं है। ऐसे में हाल ही में हुई एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि इस परेशानी को दूर करने में सेल्फ मॉनिटरिंग काफी कारगर तरीका है।
एजेंसी, नई दिल्ली। Physical Activity in Old Age: शरीर को हेल्दी और फिट रखने के लिए फिजिकली एक्टिव रहना बेहद जरूरी होता है। खासकर बुढ़ापे में जब फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है, तो आपको कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं। ऐसे में सेल्फ मॉनिटरिंग का रास्ता अपनाया जा सकता है, जो न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त करने में काफी मदद कर सकता है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
बुढ़ापे में शारीरिक गतिविधि को बढ़ाने का आसान तरीका
डे केयर सेंटर में रहने वाले या ज्यादातर समय अकेले बिताने वाले बुजुर्गों की देखभाल काफी जरूरी होती है। चूंकि वे अपना अधिकतर समय बैठे या लेटे रहकर बिताते हैं, जिससे बीमार पड़ने का जोखिम तो बढ़ता ही है, साथ ही उनकी मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर देखने को मिलता है।
इस बीच हाल ही में कोबे विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा की गई एक स्टडी सामने आई है, जिसमें उन बुजुर्गों की शारीरिक गतिविधि को बढ़ाने के लिए एक आसान तरीका बताया गया है, जिन्हें किसी की देखभाल की जरूरत होती है।
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चलने-फिरने, उठने-बैठने और सोने-जागने को ट्रैक करने के लिए डिवाइस
स्टडी में बुजुर्गों के लिए एक्सेलेरोमीटर (Accelerometer) के साथ सेल्फ मॉनिटरिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया, जिसके अच्छे नतीजे देखने को मिले। इजावा काजुहिरो और कितामुरा मासाहिरो की निगरानी में कोबे विश्वविद्यालय की रिसर्च टीम ने जापान के एक डे केयर सेंटर के 52 बुजुर्गों को फिजिकली एक्टिव रहने के बारे में जागरुक किया, इसके साथ ही उन्हें अपने चलने-फिरने, उठने-बैठने और सोने-जागने के समय के अलावा अन्य कई चीजों को ट्रैक करने के लिए एक्सेलेरोमीटर उपलब्ध करवाया।
स्टडी में सामने आए अच्छे नतीजे
इसके अलावा ग्रुप में शामिल 26 बुजुर्गों को रोजोना एक कैलेंडर में अपने रूटीन को नोट करने के लिए कहा गया और हफ्तेभर की जानकारी को इकट्ठा करके सेव भी कर लिया गया। यूरोपियन जेरिएट्रिक मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित नतीजे बताते हैं, कि इन तमाम तरीकों से बुजुर्गों में बैठे रहने की आदत में कमी आई, और वह छोटी-मोटी शारीरिक गतिविधियों में बिजी दिखाई दिए।
बता दें, शोधकर्ताओं के मुताबिक यह पहली ऐसी स्टडी है, जो ना सिर्फ फिजिकल एक्टिविटी को बढ़ाने, बल्कि सेल्फ मॉनिटरिंग की मदद से बैठने के समय को कम करने में भी कारगर साबित होती है। ऐसे में आप भी इन तरीकों को अपने रूटीन का हिस्सा बना सकते हैं।
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