Heart Attack: फिट और हेल्दी रहने के बाद भी क्यों हार्ट अटैक का शिकार हो रहे युवा, यहां समझें इसका कारण
Heart Attack देशभर में तेजी से हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं। सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं अब युवा और वयस्क भी इस समस्या का शिकार हो रहे हैं। हाल ही में बॉलीवुड अभिनेता अभिनेता श्रेयस तलपड़े की भी हार्ट अटैक के बाद उनकी एंजियोप्लास्टी की गई। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर क्यों कम उम्र मे लोग हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं।
By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Sat, 16 Dec 2023 01:20 PM (IST)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Heart Attack: दिल का दौरा एक गंभीर समस्या है, जो इन दिनों कई लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। बीते कुछ समय में देशभर में तेजी से इसके मामले बढ़ रहे हैं। खासकर युवाओं में इसके ज्यादा मामले देखने को मिल रहे हैं। हाल ही में बॉलीवुड अभिनेता श्रेयस तलपड़े भी हार्ट अटैक का शिकार हुए, जिसके बाद उनकी एंजियोप्लास्टी की गई। लगातार बढ़ते हार्ट अटैक के मामले अब लोगों के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। खासकर तब जब फिट और हेल्दी रहने के बाद भी वयस्यों और युवाओं को लगातार दिल के दौरे पड़ रहे हों।
ऐसे में जरूरी है कि इस बारे में सही जानकारी हासिल की जाए और इस बात का पता लगाया जाए कि आखिर क्यों कम उम्र मे फिट और हेल्दी रहने के बाद भी लोग हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं। आज इस आर्टिकल में हम इसी के बारे में जानने की कोशिश करेंगे, लेकिन उससे पहले जानेंगे क्या है एंजियोप्लास्टी, जिसे कराने के बाद अब एक्टर की हालत स्थिर है-
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क्या है एंजियोप्लास्टी?
एंजियोप्लास्टी एक मेडिकल प्रोसेस है, जिसका इस्तेमाल संकुचित या ब्लॉक बल्ड वेसल्स, आमतौर पर दिल तक खून पहुंचाने वाली कोरोनरी आर्टरी के इलाज के लिए किया जाता है। इस प्रोसेस के दौरान, एक फूले हुए गुब्बारे के साथ एक कैथेटर को प्रभावित आर्टरी में डाला जाता है और फिर वेसल को चौड़ा करने और ब्ल फ्लो में सुधार करने के लिए फुलाया जाता है। अक्सर एथेरोस्क्लेरोसिस और दिल के दौरे के जोखिम को कम करने के लिए की जाने वाली एंजियोप्लास्टी में आर्टरी को खुला रखने में मदद करने के लिए एक स्टेंट, एक छोटी जालीदार ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है।
युवाओं में क्यों बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामले?
यह लोगों की आम धारणा है कि दिल का दौरा सिर्फ वृद्ध व्यक्तियों को आता है। हालांकि, इसका उम्र से कोई संबंध नहीं है। हार्ट अटैक के लिए हमारी लाइफस्टाइल और आनुवंशिकी जिम्मेदार हो सकती है। इसके अलावा निम्न कारक भी हार्ट अटैक का कारण बनते हैं।- मेडिकल कंडीशन्स- कुछ मेडिकल कंडीशन्स जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल आदि हार्ट डिजीज के विकास में योगदान कर सकती हैं। इतना ही नहीं कई
- नियंत्रित स्थितियां भी हृदय संबंधी घटनाओं को ट्रिगर कर सकती हैं।
- फैमिली हिस्ट्री- अगर आपकी हार्ट डिजीज की फैमिली हिस्ट्री है, तो कम उम्र में हृदय संबंधी समस्याओं का सामना करने की संभावना काफी बढ़ जाती है। अगर आपके परिवार में समय से पहले हृदय रोग का इतिहास है, तो ऐसे व्यक्तियों को अपने हृदय स्वास्थ्य के प्रति विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए।
- लक्षणों की अनदेखी- युवाओं में दिल से जुड़ी समस्याओं के लक्षण अलग-अलग तरीकों से दिखाई देते हैं। ऐसे में सीने में तकलीफ, सांस लेने में कठिनाई, थकान या अस्पष्ट दर्द जैसे छोटे-छोटे संकेतों को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
- तनाव और जीवनशैली- इन दिनों लोगों की लाइफस्टाइल तेजी से बदलने लगी है। अत्यधिक तनाव, खराब खान-पान की आदतें, शारीरिक गतिविधि की कमी और धूम्रपान आदि युवाओं में हृदय संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकते हैं। ऐसे में दिल को हेल्दी रखने के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट और हार्ट हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना जरूरी है।
ऐसे रखें अपने दिल का ख्यालः
कम उम्र में हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह समझना जरूरी है कि समय रहते कुछ बदलावों और कुछ बातों का ध्यान रख आप अपने दिल का ख्याल रख सकते हैं।
- जीवनशैली में बदलाव करें- संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, स्ट्रेस मैनेजमेंट और धूम्रपान छोड़ने जैसी हार्ट हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से भविष्य में होने वाली दिल से जुड़ी समस्याओं का खतरा काफी कम हो जाता है।
- भावनात्मक समर्थन- दिल के दौरे का सामना करना, खासकर कम उम्र में, भावनात्मक रूप से कठिन हो सकता है। ऐसे में परिवार, दोस्तों या एक्सपर्ट से मदद मांगने से आपको आसानी हो सकती है।
- नियमित रूप से जांच कराएं- दिल का दौरा पड़ने के बाद, लगातार डॉक्टर के संपर्क मे बने रहें और नियमित रूप से जांच कराते रहे, ताकि दिल से जुड़ी समस्याओं के जोखिम कारकों को समझा जा सके।
- समय पर दवाई- दिल से जुड़ी समस्याओं को रोकने के लिए डॉक्टर की तरफ निर्धारित की गई दवाओं का पालन करें। ये दवाएं हार्ट से जुड़ी समस्याओं के जोखिम को कम करके हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज जैसी स्थितियों को कंट्रोल करने में मदद करती हैं।