IVF के जरिए दूसरे बच्चे को जन्म देंगी सिद्धू मूसेवाला की मां, जानें इस प्रक्रिया से जुड़ी सभी जरूरी बातें
मशहूर पंजाबी सिंगर दिवंगत सिद्धू मूसे वाला के घर जल्द ही खुशियां दस्तक देने वाली हैं। दरअसल सिंगर की मां चरण कौर जल्द ही मां बनने वाली हैं। इस बारे में खुद उनके परिवार की तरफ से जानकारी दी गई है। सिद्धू मूसे वाला की मां आईवीएफ (IVF) तकनीक के जरिए अपने दूसरे बच्चे को जन्म देने वाली हैं। आइए जानते हैं इस तकनीक के बारे में सबकुछ-
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। पंजाब के मशहूर दिवंगत सिंगर सिद्धू मूसे वाला के घर जल्द ही नन्हा मेहमान आने वाला है। दरअसल, सिंगर और रैपर शुभदीप सिंह सिद्धू उर्फ सिद्धू मूसेवाला ( Sidhu Moosewala) की मां चरण कौर जल्द ही मां बनने वाली हैं। इस खुशखबरी की खुद उनके परिवार ने पुष्टि की है। जानकारी के मुताबिक सिद्धू मूसे वाला की मां आईवीएफ (IVF) तकनीक के जरिए अपने दूसरे बच्चे को जन्म देने वाली हैं।
बीते कुछ समय से आईवीएफ (IVF) प्रोसेस लोगों के बीच काफी प्रचलित हो चुका है। माता-पिता बनने की चाहत रखने वाले लोगों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है। पेरेंट्स बनने की उम्मीद खो चुके लोगों के लिए यह एक कारगर इलाज है। ऐसे में इस प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने गुरुग्राम स्थित सीके बिड़ला हॉस्पिटल के प्रसूति एवं स्त्री रोग में निदेशक डॉ अरुणा कालरा से बातचीत की-
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आईवीएफ क्या है?
आईवीएफ के बारे में बताते हुए डॉक्टर कालरा कहती हैं कि आईवीएफ (IVF) का मतलब ‘इन विट्रो फर्टिलाइजेशन’ होता है। जब कोई कपल कंसीव करने में असमर्थ होता है, तो यह विधि उन्हें ऐसा करने में मदद करती है। इस प्रोसेस के दौरान एक महिला के ओवरी से अंडे बाहर निकालकर इसे स्पर्म के साथ लैब में फर्टिलाइज किया जाता है। बाद में इसे फर्टिलाइस्ड एग को फिर महिला के गर्भ में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
किन लोगों के लिए फायदेमंद आईवीएफ?
ऐसे जोड़े या कपल जो विभिन्न कारणों जैसे अंडे, शुक्राणु, या गर्भावस्था से संबंधित अन्य विकार के कारण गर्भधारण करने में असमर्थ हैं, उन्हें इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) से लाभ हो सकता है।क्या है आईवीएफ की प्रोसेस?
- इस प्रोसेस के तहत सबसे पहले महिलाओं को ओवरी में अंडों की संख्या बढ़ाने के लिए दवाए दी जाती हैं।
- फिर महिला के शरीर से मैच्योर एग निकालने के लिए एक छोटा सर्जिकल इनसीजन किया जाता है।
- इसके बाद इस अंडे को एक लैब डिश में डोनर या पार्टनर के स्पर्म के साथ मिलाकर फर्टिलाइज किया जाता है।
- फर्टिलाइजेशन के बाद भ्रूण यानी एम्ब्रियो को विकसित होने के लिए कुछ दिनों तक
- लैब सेटिंग में ऑब्जर्व किया जाता है।
- अब एक छोटे कैथेटर का उपयोग करके एक या अधिक चुने हुए भ्रूण को महिला के गर्भाशय में डाला जाता है।
- यह पता लगाने के लिए कि प्रक्रिया सफल रही या नहीं एम्ब्रियो ट्रांसफर करने के लगभग दो हफ्ते बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट किया जाता है।
कौन हैं इसके लिए एलिजिबल?
ऐसे लोग जो अन्य रिप्रोडक्टिव ट्रीटमेंट में पहले असफल हो चुके हैं, तो वह आईवीएफ का विकल्प चुन सकते हैं। साथ ही एक हेल्दी यूट्रस वाली महिला आईवीएफ के जरिए कंसीव कर सकती है। इसके अलावा एक पुरुष साथी जो पर्याप्त और स्वस्थ स्पर्म प्रदान कर सकता है, आईवीएफ के लिए एलिजिबल है।
एक उम्र के बाद इसके रिस्क फैक्टर्स क्या है?
महिलाओं की उम्र बढ़ने के साथ ही खासकर 35 से 40 साल के बाद आईवीएफ जोखिमपूर्ण हो सकती है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि वृद्ध महिलाओं में आमतौर पर अच्छी क्वालिटी वाले अंडे कम होते हैं, जो बांझपन को और अधिक कठिन बना देता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ आईवीएफ की सफलता दर में भी गिरावट आती है, जिससे गर्भवती होने की संभावना कम हो जाती है। वहीं, ऐसे मामलों में जहां गर्भावस्था सफल होती है, पुराने अंडों में क्रोमोसोमल असामान्यताओं का खतरा बढ़ जाता है, जिससे गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) का उपयोग करते समय, ज्यादा उम्र वाली महिलाओं को डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर जैसी गर्भावस्था संबंधी समस्याओं का अनुभव होने की अधिक संभावना होती है।इस प्रक्रिया में ध्यान रखें योग्य बातें?
- अपने डॉक्टर द्वारा दी गई सलाह का पालन करें।
- जब आपको जरूरत हो तो सावल पूछें और अपने डॉक्टर के साथ खुला संचार करें।
- पर्याप्त नींद, व्यायाम और पोषण आहार युक्त स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।
- आईवीएफ से जुड़े संभावित परिणामों, सफलता दर और खतरों के बारे में अच्छी जानकारी रखें।
- सकारात्मक और आशावान बने रहें।