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Silent Brain Stroke: बिना किसी आहट के आता है साइलेंट ब्रेन स्ट्रोक, इन तरीकों से करें बचाव

साइलेंट ब्रेन स्ट्रोक के कारण भी स्ट्रोक जैसे ही होते हैं लेकिन इसके लक्षण नजर नहीं आते जिस वजह से इसका पता लगाना मुश्किल होता है। इसका कारण से इसका इलाज भी नहीं हो पाता है। ऑक्सिजन की कमी के कारण हुए ब्रेन डैमेज को ठीक नहीं किया जा सकता। लेकिन इसका पता लगाकर भविष्य में इससे बचा जा सकता है। जानें कैसे लगाएं इसका पता और कैसे करें बचाव।

By Swati SharmaEdited By: Swati SharmaPublished: Wed, 18 Oct 2023 12:19 PM (IST)Updated: Wed, 18 Oct 2023 12:19 PM (IST)
साइलेंट ब्रेन स्ट्रोक से इन तरीकों से किया जा सकता है बचाव

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। साइलेंट ब्रेन स्ट्रोक (Silent Brain Stroke) दिमाग की नसों में क्लॉटिंग होने या ब्लीडिंग होने के कारण होता है। दिमाग के सेल्स तक ऑक्सिजन न पहुंच पाने के कारण इससे ब्रेन डैमेज होता है। इसे साइलेंट ब्रेन स्ट्रोक इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके कोई लक्षण नजर नहीं आते।

ऐसा ब्रेन के एक छोटे से हिस्से के प्रभावित होने पर हो सकता है, जिसका फंक्शन खास न हो। इस वजह से इसका पता लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसका पता अक्सर ब्रेन स्कैन के दौरान चलता है, जब दिमाग में कोई टिशु डैमेज नजर आता है या कोई घाव नजर आता है। इसे साइलेंट सेरेब्रोवास्कुलर एक्सीडेंट ( Silent Cerebrovascular Accident) भी कहा जाता है।

साइलेंट ब्रेन स्ट्रोक ज्यादातर बुजुर्गों में होता है। इसलिए इसके अगर कुछ लक्षण दिखते भी हैं तो लोग उन्हें एजिंग के लक्षण मानकर अनदेखा कर देते हैं। कभी-कभी साइलेंट ब्रेन स्ट्रोक होने पर ऐसे कुछ संकेत नजर आ सकते हैं।

  • सांस लेने में तकलीफ होना
  • संतुलन न बन पाना
  • मूड में अचानक बदलाव होना
  • सोंचने की क्षमता कम होना
  • याददाश्त कजोर होना
  • ब्लैडर कंट्रोल करने में परेशानी
  • थोड़ी देर के लिए चेहरे या हाथ-पैरों का सुन्न होना

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इसका इलाज क्या है?

कोई लक्षण नजर न आने की वजह से इसका पता लगाना मुश्किल होता है। इसलिए लोगों को पता भी नहीं चल पाता है कि उन्हें कभी स्ट्रोक आया था। हालांकि किसी और कारण से ब्रेन स्कैन कराने पर पता चलता है कि वे कभी साइलेंट ब्रेन स्ट्रोक के शिकार बने हैं। तब आपके डॉक्टर आपको दवाईयां दे सकते हैं ताकि भविष्य में यह समस्या न हो या उसकी संभावना कम हो जाए।

कैसे करें बचाव?

बीपी कंट्रोल करें- बीपी हाई होने के कारण साइलेंट ब्रेन स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए अगर आपको बीपी की समस्या है, तो अपने डॉक्टर से मिलकर इसका इलाज करवाएं और सावधानियां बरतें।

कम नमक खाएं- ज्यादा नमक खाने से शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ती है, जिसकी वजह से बीपी हाई होने की बहुत ज्यादा संभावना हो सकती है।

वजन मेंटेन करें- हेल्दी वेट होना आपकी पूरी सेहत के लिए जरूरी है। वजन ज्यादा होने से कोलेस्ट्रॉल, हाइपरटेंशन और हार्ट डिजीज की समस्या हो सकती है। ये सभी साइलेंट ब्रेन स्ट्रोक होने के खतरे को बढ़ाते हैं इसलिए हेल्दी वजन मेंटेन करें।

स्मोकिंग न करें- स्मोकिंग से स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए अगर आप स्मोक करते हैं, तो आज ही बंद कर दें।

डायबीटिज- डायबीटिज से कोलेस्ट्रॉल बढ़ने, वजन बढ़ने और हार्ट डिजीज की समस्या हो सकती है, जो स्ट्रोक के खतरे को भी बढ़ाती है। इसलिए अगर आपको डायबीटिज है, तो शुगर लेवल को मैनेज करें और अन्य सावधानियां भी बरतें ताकि यह अधिक बढ़े नहीं।

कोलेस्ट्रॉल कम करें- बैड कोलेस्ट्रॉल आर्टरीज को ब्लॉक करता है। इस वजह से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए अपनी डाइट में प्रोसेसड फूड, ज्यादा तेल वाले खाने आदि को शामिल न करें। हरी सब्जियां, फल, दही, नट्स वगैरह खाएं ताकि गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़े और बैड कोलेस्ट्रॉल कम हो।

एक्सरसाइज करें- एक्सरसाइज करने से कोलेस्ट्रॉल, वजन, बीपी, दिल की बीमारियां और डायबीटिज को मैनेज करने में मदद मिलती है, जो स्ट्रोक के खतरे को कम करता है। इसलिए रोज कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज करें।

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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Picture Courtesy: Freepik


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