Sleep Apnea बजा सकता है आपके दिमाग की "बैंड", स्टडी में सामने आया याददाश्त से इसका कनेक्शन
हर साल नींद से जुड़े डिसऑर्डर और उनसे जुड़ी सेहत की समस्याओं को दूर करने के लिए World Sleep Day मनाया जाता है। एक स्टडी में स्लीप एपनिया और उसका कॉग्नीटिव हेल्थ पर क्या प्रभाव पड़ता है इस बारे में रिसर्च की गई है। स्लीप एपनिया एक स्लीपिंग डिसऑर्डर है जिसके कारण सेहत से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। जानें क्या है स्लीप एपनिया और कॉग्नीटिव हेल्थ का कनेक्शन।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Sleep Apnea: हमारे जीवन में इतने बदलाव हो चुके हैं कि हम सुकून की नींद लेना ही भूल चुके हैं। न केवल व्यस्थ जीवनशैली के कारण बल्कि, कई बार किन्हीं Sleep Disorder की वजह से भी अच्छी नींद लेने में तकलीफ होती है।
नींद पूरी न होने के कारण स्वास्थय संबंधी कई परेशानियां हो सकती हैं। इन स्लीप डिसऑर्डर और इनसे जुड़ी समस्याओं की रोकथाम करने के लिए हर साल मार्च के विषुव (equinox), यानी जब सूर्य भूमध्य रेखा (Equator) के बिल्कुल ऊपर होता है, के पहले शुक्रवार को World Sleep Day मनाया जाता है। इस साल यह दिन 15 मार्च 2024 को मनाया जा रहा है।
नींद से जुड़े डिसऑर्डर में Sleep Apnea एक बेहद आम, लेकिन बहुत गंभीर समस्या है, जिससे दुनियाभर में न जाने कितने लोग पीड़ित हैं। हाल ही में, एक स्टडी भी सामने आई है, जो इस बीमारी से जुड़े गंभीर प्रभावों पर प्रकाश डालती है। आइए जानते हैं, क्या कहती है यह स्टडी।
क्या कहती है स्टडी?
इस स्टडी के अनुसार, जिन लोगों के साथ स्लीप एपनिया की समस्या होती है, उनमें कॉग्नीटिव हेल्थ से जुड़ी समस्याओं का खतरा भी अधिक रहता है। इस स्टडी में लगभग चार हजार लोगों को शामिल किया गया था, जिनसे उनकी नींद और याददाश्त व सोचने की क्षमता के बारे में एक प्रश्नावली भरवाई गई।
इस प्रश्नावली की मदद से यह पता चला कि 1,079 लोगों में स्लीप एपनिया के लक्षण, जैसे- खर्राटे लेना या सोते समय सांस थोड़ी देर के लिए रुक जाने की समस्या थी। जिन लोगों में ये लक्षण पाए गए, उनमें से 357 लोगों में याददाश्त और सोचने की क्षमता से जुड़ी समस्याएं पाई गई, जो स्लीप एपनिया की शिकायत वाले व्यक्तियों का 33 प्रतिशत था। वहीं जिन लोगों में स्लीप एपनिया के कोई लक्षण नजर नहीं थे, उनमें से केवल 20 प्रतिशत, यानी 628 लोगों में याददाश्त से जुड़ी समस्याओं की शिकायत थी।
इस डाटा के निष्कर्ष से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि जिन लोगों के साथ स्लीप एपनिया की समस्या होती है, उनमें कॉग्नीटिव समस्याओं का खतरा, जैसे- कमजोर याददाश्त और सोचने की क्षमता कम होना, ज्यादा होता है। हालांकि, इस स्टडी में सिर्फ ऐसा अनुमान लगाया गया है। किसी भी ठोस नतीजे पर पहुंचने के लिए अभी और रिसर्च की आवश्यकता है, लेकिन अगर ऐसा है, तो यह स्टडी इस समस्या के गंभीर परिणामों की ओर इशारा है। इस स्टडी को अमेरिकन अकादमी ऑफ न्यूरोलॉजी की 76वें वार्षिक बैठक में इस स्टडी को प्रस्तुत किया जाएगा।
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क्या है स्लीप एपनिया?
स्लीप एपनिया एक ऐसी समस्या है, जिसमें सोते वक्त अचानक थोड़े समय के लिए व्यक्ति को सांस रुक जाती है। इस कारण वह अचानक से चौंक कर रात को उठता है। ऐसा बार-बार होने की वजह से व्यक्ति की नींद में काफी खलल पड़ता है और उसकी नींद पूरी नहीं हो पाती है। क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, इसके दो कारण हो सकते हैं। पहला कारण हो सकता है कि सोते समय एयरवे ब्लॉक हो जाना, जिस वजह से हवा फेफड़ों तक ठीक से नहीं पहुंच पाती। इसे Obstructive Sleep Apnea कहा जाता है। इसका दूसरा कारण हो सकता है कि आपका दिमाग बेहतर तरीके से सांस लेने के फंक्शन को कंट्रोल नहीं कर पा रहा है। इसे Central Apnea कहा जाता है।सांस रुकने के कारण, आपका दिमाग आपको उतना ही जगाता है कि आप फिर से सांस लेने लगें। बार-बार रात भर ऐसा होने की वजह से, नींद पूरी नहीं होती और व्यक्ति दिनभर थका हुआ महसूस करता है। बार-बार चौंक कर जागने की वजह से दिल पर भी काफी गहरा प्रभाव पड़ता है।क्या हैं स्लीप एपनिया के लक्षण?
- बार-बार रात को नींद खुलना और ऐसा महसूस होना जैसे आपकी सांस रुक गई हो।
- रातभर बेचैनी महसूस होना
- इनसोम्निया
- ब्रेन फंक्शन से जुड़ी समस्याएं, जैसे याददाश्त कमजोर होना या फोकस न कर पाना
- खर्राटे लेना
- दिन में नींद आना (हाइपरसोम्निया)
- मूड में बार-बाार बदलाव होना
- सुबह उठने पर मुंह सूखा-सूखा महसूस होना