फेफड़ों के साथ आंखों को भी बर्बाद करती है Smoking, ऐसे बनती है अंधेपन का कारण
Smoking इन दिनों कई लोगों के लाइफस्टाइल का हिस्सा बन चुकी है। हालांकि लगातार धूम्रपान करना सेहत के लिए काफी हानिकारक होता है। इसकी वजह से हमारे दिल और फेफड़ों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्मोकिंग सेहत के साथ ही आपकी आंखों को भी प्रभावित करता है। आइए जानते हैं आंखों के स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव-
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। स्मोकिंग (Smoking) हमारी सेहत के लिए काफी हानिकारक होता है। यही वजह है कि हेल्थ एक्सपर्ट्स भी लोगों को धूम्रपान न करने की सलाह देते हैं। लंबे समय से धूम्रपान रेस्पिरेटरी और हृदय स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभावों के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि धूम्रपान से आंखों का स्वास्थ्य पर प्रभावित होता है। धूम्रपान की वजह से आंखों पर होने वाला प्रभाव चिंता का विषय है।
अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जो स्मोकिंग करने के आदी हैं, तो यह इसे जल्द से जल्द छोड़ने का एक और कारण है। वैसे तो धूम्रपान छोड़ना आपके पूरे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, लेकिन सेहत के साथ ही यह आंखों पर भी बुरा प्रभाव डालता है, जिसके बारे में आपको जानना जरूरी है। अगर आप भी स्मोकिंग करते हैं, जो आज हम आपको बताएंगे इससे आंखो पर होने वाले कुछ हानिकारक प्रभावों के बारे में-
यह भी पढ़ें- वायु प्रदूषण कम करने के लिए स्मॉग टावर और क्लाउड सीडिंग स्थायी समाधान नहीं, भारत को करने होंगे और प्रयास
मैक्यूलर डिजनरेशन
अगर आप धूम्रपान करने के आदी हैं, तो इससे मैक्यूलर डिजनरेशन का खतरा काफी बढ़ जाता है। उम्र से संबंधित मैक्यूलर डिजनरेशन बुजुर्गों में होने वाले विजन लॉस का एक प्रमुख कारण है। यह बीमारी धीरे-धीरे विजन को खराब कर देती है, जिससे व्यक्ति की पढ़ने, गाड़ी चलाने और चेहरे पहचानने की क्षमता कम हो जाती है।
मोतियाबिंद
तंबाकू के इस्तेमाल से मोतियाबिंद विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। यह एक ऐसी स्थिति जिसकी वजह से आंख के प्राकृतिक लेंस में धुंधलापन आ जाता है। धूम्रपान न करने वाले व्यक्ति की तुलना में धूम्रपान करने वाले व्यक्ति में मोतियाबिंद विकसित होने की संभावना दो से तीन गुना ज्यादा होती है। मोतियाबिंद न सिर्फ दृष्टि को धुंधला कर देता है, बल्कि विपरीत संवेदनशीलता को भी कम कर देता है, जिससे कम रोशनी की स्थिति में वस्तुओं को पहचानना कठिन हो जाता है।सेकंड-हैंड स्मोक
धूम्रपान करने से सिर्फ स्मोकिंग करने वालों को ही नहीं, बल्कि उनके आसपास मौजूद लोगों की भी नुकसान होता है। धूम्रपान की वजह से होने वाले धुएं की वजह से आसपास मौजूद लोग सेकंड-हैंड स्मोकिंग का शिकार हो जाते हैं, तो उनके लिए हानिकारक हो सकता है। सेकंड हैंड धुएं में सांस लेने से सिर्फ सेहत ही नहीं, आंखों से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसमें ड्राई आई सिंड्रोम से लेकर ऑप्टिक नर्व डैमेज जैसी गंभीर स्थितियां शामिल हैं।
खासतौर पर बच्चे सेकंड हैंड स्मोक के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं, जिसके संपर्क में आने से उनमें मायोपिया (दूर की वस्तुएं धुंधली दिखना) और आगे के जीवन में अन्य विजन संबंधी समस्याओं के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।