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कुछ लोगों की क्यों होती हैं 5 से ज्यादा उंगलियां, सामने आया इसका राज

हाल ही में शोधकर्ताओं ने एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति की पहचान की है जिसकी वजह से शिशु हाथ-पैर में अतिरिक्त उंगलियों के साथ पैदा होते हैं। वैसे तो अभी तक इस स्वास्थ्य स्थिति को अभी तक कोई नाम नहीं दिया गया है लेकिन यह पता चला है कि यह मैक्स (MAX) नामक जीन में आनुवंशिक उत्परिवर्तन (जेनेटिक म्यूटेशन) के कारण ऐसा होता है।

By Ruhee Parvez Edited By: Ruhee Parvez Updated: Wed, 07 Feb 2024 10:46 AM (IST)
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5 से ज्यादा उंगलियां होने की वजह
लंदन, आइएएनएस। कुछ जन्मजात विकृतियां जब-तब सामने आती रहती हैं। उसके बारे में कई तरह की सामाजिक-सांस्कृतिक धारणाएं भी हैं। उन विकृतियों को कभी दैवीय प्रकोप या फिर सौभाग्य और आशीर्वाद भी माना जाता है। इन्हीं विकृतियों में से एक है हाथ-पैर में अतिरिक्त उंगलियां होना। मतलब पांच से अधिक उंगलियां होना।

अब शोधकर्ताओं ने एक दुर्लभ विकार की पहचान की है, जिसके कारण बच्चे हाथ-पैर में अतिरिक्त उंगलियों और कई प्रकार के जन्मजात दोषों के साथ पैदा होते हैं। वैसे तो इस विकार को अभी तक कोई नाम नहीं दिया गया है, लेकिन यह पता चला है कि यह मैक्स (एमएएक्स) नामक जीन में आनुवंशिक उत्परिवर्तन (जेनेटिक म्यूटेशन) के कारण ऐसा होता है।

ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के शोधकर्ताओं की एक टीम ने बताया है कि अतिरिक्त उंगलियां (पालीडेक्टाइली) मस्तिष्क विकास से संबंधित ऑटिज्म जैसे कई लक्षणों को भी जन्म देती हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि पहली बार इस आनुवंशिक लिंक की पहचान की गई है। इसमें एक अणु पाया गया है, जिसका उपयोग संभावित रूप से कुछ न्यूरोलॉजिकल लक्षणों के इलाज और उनकी स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए किया जा सकता है। हालांकि, इलाज के लिए इसका उपयोग करने से पहले इस अणु का परीक्षण करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।

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तीन व्यक्तियों पर केंद्रित यह नया शोध द अमेरिकन जर्नल ऑफ ह्यूमन जेनेटिक्स में प्रकाशित किया गया है। इन व्यक्तियों में शारीरिक लक्षणों का एक दुर्लभ संयोजन पाया गया। उनमें अतिरिक्त उंगुलियों के अलावा सिर की परिधि भी औसत से बहुत बड़ी (जिसे मैक्रोसेफली भी कहा जाता है) देखा गया। ऐसे लोगों में कुछ अन्य लक्षण भी समान होते हैं, जिनमें उनकी आंखों के विकास में देर होना भी शामिल है, जिसके परिणामस्वरूप जीवन के शुरुआत में उनमें दृष्टि संबंधी समस्याएं होती हैं।

शोधकर्ताओं ने इन लोगों के डीएनए के तुलनात्मक अध्ययन में पाया कि उन सभी में साझा आनुवंशिक उत्परिवर्तन (जेनेटिक म्यूटेशन) है, जो उनके जन्मजात दोषों या विकारों का कारण बनता है। लीड्स यूनिवर्सिटी के डॉ. जेम्स पाल्टर के मुताबिक, मौजूदा समय में इन रोगियों के लिए कोई इलाज नहीं है। इसका मतलब है कि इन दुर्लभ स्थितियों पर यह शोध न केवल इसे बेहतर ढंग से समझने में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि उसके इलाज के संभावित तरीकों की पहचान करने के लिए भी अहम है। इस मामले में एक ऐसी दवा मिली है, जो अन्य विकार के लिए परीक्षणों में है - जिसका अर्थ है कि इन रोगियों को तेजी से ट्रैक कर सकते हैं, यदि यह पता चलता है कि दवा म्यूटेशन के कुछ प्रभावों को उलट देती है।

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ऐसे विकारों से बचने का उपाय मिल सकता है

डॉ. पाल्टर ने बताया कि समान लक्षणों के संयोजन वाले अन्य रोगियों का परीक्षण यह देखने के लिए किया जा सकता है कि क्या उनके पास वही वैरिएंट है, जिसकी पहचान इस अध्ययन में की गई है। बच्चे को ऐसे विकारों के इलाज के लिए पहली बार डॉक्टर के पास जाने से लेकर उसका निदान पाने तक में 10 साल से भी अधिक समय लग सकता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि ऐसे रोगियों और उनके परिवारों को उनकी स्थिति का कारण पता चले - और यदि वे अपने आनुवंशिक निदान के आधार पर इलाज करा सकते हैं तो उनका जीवन बदल सकता है। शोधकर्ता अब इसकी संभावना तलाश रहे हैं कि इलाज से म्यूटेशन के कारण होने वाले लक्षणों में सुधार होता है या नहीं।