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गट में मौजूद बैक्टीरिया कर सकता है Respiratory Disease से बचाव, जानें कैसे रख सकते हैं गट हेल्थ का ख्याल

रेस्पिरेटरी डिजीज के मामले ठंड के मौसम में काफी बढ़ जाते हैं जिस वजह से काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हाल ही में आई एक स्टडी में गट हेल्थ और रेस्पिरेटरी डिजीज के बीच कनेक्शन सामने आया है। इस स्टडी में पाया गया कि एक खास तरह का बैक्टीरिया रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन से लड़ने में मदद कर सकता है। जानें क्या खोज हुई इस स्टडी में।

By Swati SharmaEdited By: Swati SharmaUpdated: Fri, 02 Feb 2024 03:51 PM (IST)
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स्टडी में पता चला रेस्पिरेटरी डिजीज और गट माइक्रोबायोम का कनेक्शन
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Gut Health: सर्दियों के मौसम में रेस्पिरेटरी डिजीज का खतरा काफी बढ़ जाता है। साथ ही, सर्दियों की शुरुआत में या अंत में भी इन डिजीज का जोखिम काफी बढ़ जाता है। अब जब सर्दी धीरे-धीरे कम होनी शुरू हो गई है, तब भी इन बीमारियों के मामले बढ़ने लगे हैं। तापमान कम होने की वजह से, वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन को जोखिम काफी अधिक होता है। फ्लू, निमोनिया जैसी बीमारियों की वजह से फेफड़ों से संबंधित कई समस्याएं हो सकती हैं, जिसमें सांस लेने में तकलीफ, बलगम, खांसी जैसी कई परेशानियां शामिल हैं। हाल ही में हुई एक स्टडी में गट बैक्टिरीया और रेस्पिरेटरी डिजीज के बीच कंनेक्शन सामने आया है।

क्या पाया गया स्टडी में?

इस स्टडी में चूहों पर एक रिसर्च की गई है, जिसमें पाया गया कि एक खास प्रकार के बैक्टीरिया के गट में मौजूद होने की वजह से वायरल रेस्पिरेटरी डिजीज को कम किया जा सकता है। इस अध्ययन के लिए चूहों में segmented filamentous bacteria (SFB) को उनके गट में डाला गया। स्टडी के दौरान, चूहों पर RSV और SARS-CoV-2,जो कोविड-19 की वजह बनता है, के प्रभाव को देखने के लिए इन दोनों वायरस से संक्रमित किया गया। इस दौरान देखा यह गया कि जिन चूहों में एसएफबी बैक्टीरिया मौजूद नहीं थे , उनमें एल्वियोलर मैक्रोफेज जल्दी समाप्त हो गए। वहीं जिन चूहों में ये बैक्टीरिया पाए गए, उनमें एल्वियोली में मौजूद मैक्रोफेज, इम्यून सिस्टम के इंफ्लेमेटरी रिएक्शन को एक्टिव किए बिना ही, उन वायरस को खत्म कर देते हैं।

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अगर यह स्टडी इंसानों पर भी कारगर रहती है, तो इन बीमारियों से बचाव के लिए एसएफबी बैक्टीरिया को सप्लीमेंट के रूप में देकर, बचाव किया जा सकता है। हालांकि, कुछ बातों का ख्याल रख, आप अपने गट माइक्रोबायोम को हेल्दी रख सकते हैं।

क्या है गट माइक्रोबायोम?

क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, गट में कई माइक्रो-ऑर्गेनिजम्स मौजूद होते हैं, जिनमें कई बैक्टीरिया, फंगस, वायरस और पैरासाइट्स होते हैं, जो पाचन क्रिया के अलावा, शरीर के और भी कई अंगों को प्रभावित करता है। यह एक सिंबायोटिक रिलेशन होता है, जिसमें माइक्रोब्स को खाना और रहने की जगह मिलती है और इसके बदले वे कई जरूरी बॉडी फंक्शन्स में आपकी मदद करते हैं। इसलिए गट माइक्रोबायोटा को हेल्दी रखना काफी जरूरी होता है।

कैसे रखें गट हेल्थ को बेहतर?

प्रोबायोटिक्स

प्रोबायोटिक्स में हेल्दी बैक्टीरिया होते हैं, जो गट माइक्रोबायोम को हेल्दी रखने में मदद करते हैं। इसलिए अपनी डाइट में प्रोबायोटिक्स से भरपूर फूड आइटम्स जैसे दही, केफीर, किमची, अचार आदि को शामिल करें। ये फर्मेंटेड फूड्स होते हैं, जो गट हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद होते हैं।

बिना डॉक्टर की सलाह के एंटी-बायोटिक्स न लें

एंटी-बायोटिक्स की वजह से शरीर में मौजूद गुड बैक्टीरिया को भी नुकसान होता है, जिस वजह से गट हेल्थ प्रभावित होती है। इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह लिए, एंटी-बायोटिक्स न लें।

फाइबर से भरपूर खाना खाएं

फाइबर पाचन क्रिया के लिए काफी फायदेमंद होता है। इस कारण से अपनी डाइट में फाइबर से भरपूर फूड आइटम्स, जैसे साबुत अनाज आदि को शामिल करें। इससे कब्ज जैसी परेशानियां भी दूर होती हैं, जिससे गट हेल्थ को फायदा होता है।

शुगर कम खाएं

खाने में ज्यादा शुगर की वजह से गट में गुड बैक्टीरिया की मात्रा कम होने लगती है और बैड बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं, जिस वजह से गट माइक्रोबायोम में असंतुलन हो सकता है। इसलिए खाने में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करें।

स्ट्रेस मैनेज करें

स्ट्रेस अधिक होने की वजह से गट माइक्रोबायोम काफी प्रभावित होता है। इस वजह से स्ट्रेस मैनेजमेंट काफी आवश्यक है। इसलिए मेडिटेशन, योगा, ब्रीदिंग एक्सरसाइज आदि की मदद लें।

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Picture Courtesy: Freepik