स्टडी में पता चली Type-1 Diabetes के मरीजों के लिए फायदेमंद डाइट, इसके अन्य फायदे जानकर रह जाएंगे हैरान
Type-1 Diabetes एक ऑटो-इम्यून डिजीज है जिसमें व्यक्ति का पैनक्रियाज इंसुलिन नहीं बना पाता है। इसके कारण ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगता है। ब्लड शुगर लेवल बढ़ने की वजह से कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा भी बढ़ जाता है। हाल ही में एक स्टडी में पाया गया कि एक खास प्रकार की डाइट डायबिटीज के खतरे को कम कर सकती है। जानें इस बारे में सबकुछ।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Type-1 Diabetes: डायबिटीज एक खतरनाक बीमारी है, जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं मिल पाया है। भारत में इसके बढ़ते मामलों की वजह से इसे डायबिटीज कैपिटल भी कहा जाता है। डायबिटीज में बॉडी में इंसुलिन की कमी या सेल्स उसका ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं, जिसके कारण ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगता है।
डायबिटीज के दो प्रकार होते हैं, Type-1 Diabetes और Type-2 Diabetes। टाइप-1 डायबिटीज को जुवेनाइल डायबिटीज भी कहा जाता है। इस कंडिशन में व्यक्ति का पैनक्रियाज इंसुलिन नहीं बना पाता है। इंसुलिन की कमी की वजह से ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करना काफी मुश्किल हो जाता है।
Type-1 Diabetes एक ऑटो इम्यून डिजीज है, जिसमें व्यक्ति का इम्यून सिस्टम उसके हेल्दी पैनक्रिया सेल्स पर अटैक करने लगते हैं, जिसके कारण पैनक्रियाज इंसुलिन नहीं बना पाते हैं। ऐसा क्यों होता है, इसका कोई ठोस कारण नहीं पता चल पाया है, लेकिन इसके पीछे जेनेटिक और वातावरण से जुड़े फैक्टर्स को जिम्मेदार माना जाता है। इस कंडिशन का पता, आमतौर पर, बचपन में या किशोरावस्था में लग जाता है।
क्या हैं टाइप-1 डायबिटीज के लक्षण?
- बहुत अधिक प्यास लगना
- धुंधला दिखना
- थकान
- बार-बार यूरिनेट करना
- वजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन
- छाले या चोट का जल्दी ठीक न होना
लो-फैट वीगन डाइट है फायदेमंद
हाल ही में एक स्टडी में पता चला है कि लो-फैट वीगन डाइट खाने से टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है। डाइट में साबुत अनाज, फल, सब्जियां और बीन्स को शामिल करने से इंसुलिन रेजिस्टिविटी कम करने में मदद मिलती है। साथ ही, प्लांट-बेस्ड डाइट की मदद से होने वाले वेट लॉस की वजह से भी इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ती है।
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क्लीनिकल डायबिटीज जर्नल में पब्लिश हुई इस स्टडी में 58, टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित वयस्कों को शामिल किया गया, जिन्हें दो गुटों में बांटा गया। पहले ग्रुप को लो-फैट वीगन डाइट खिलाया गया, जिसमें कैलोरी या कार्बोहाइड्रेट्स पर कोई रेस्ट्रिक्शन नहीं थी। दूसरे ग्रुप को सीमित मात्रा में कैलोरी वाली डाइट खिलाया गया।