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भारत में 50 फीसदी Lung Cancer के मामलों में नॉन-स्मोकर्स शामिल, जानें वेस्टर्न कंट्रीज की तुलना में क्या है अपने देश का हाल

कैंसर एक गंभीर बीमारी है जो दुनियाभर में कई लोगों को प्रभावित करती है। इसके कई अलग-अलग प्रकार होते हैं जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में होने की वजह से उन्हीं के नामों से जाना जाता है। Lung Cancer इन्हीं प्रकारों में से एक है जिसे लेकर हाल ही में एक ताजा स्टडी सामने आई है। इस स्टडी में भारत में इस कैंसर को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Thu, 11 Jul 2024 12:56 PM (IST)
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भारत में नॉन-स्मोकर्स हो रहे Lung Cancer का शिकार (Picture Credit- Freepik)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। इन दिनों Lung Cancer यानी फेफड़ों के कैंसर के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। दुनियाभर के इसके बढ़ते मामलों ने हेल्थ एक्सपर्ट की चिंता बढ़ा दी है। कैंसर एक गंभीर है, जो कई मामलों जानलेवा साबित होती है। इस खतरनाक बीमारी के कई प्रकार होते हैं, जिनमें से लंग कैंसर सबसे ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में लेता है। आमतौर पर धूम्रपान इसका प्रमुख कारण होता है, लेकिन अब हाल ही में इसे लेकर एक चौंकाने वाली स्टडी सामने आई है।

इस स्टडी में यह पता चला कि फेफड़ों का कैंसर धूम्रपान न करने वाले भारतीयों को वेस्टर्न कंट्री के लोगों की तुलना में पहले क्यों प्रभावित करता है? आइए विस्तार से जानते हैं क्या कहती है यह नई स्टडी-

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क्या कहती है स्टडी?

हाल ही में सामने आई यह स्टजी असल में सबसे ज्यादा चर्चित मेडीकल जनर्ल द लांसेट की एक समीक्षा है, जिसमें मुख्य रूप से मुंबई के टाटा मेमोरियल सेंटर के डॉक्टर्स की एक टीम द्वारा लिखित लेख शामिल है। यह लेख दक्षिणपूर्व एशिया में फेफड़ों के कैंसर की विशिष्टता' के बारे में लिखा गया है। इसके मुताबिक यहां फेफड़े का कैंसर तीसरा सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर है। साथ ही यह कैंसर से होने वाली मौत का सबसे आम कारण भी है।

भारत में लंग कैंसर 

अध्ययनों से पता चला है कि फेफड़ों का कैंसर वेस्टर्न कंट्रीज की तुलना में भारत में लगभग 10 साल पहले ही लोग इसका शिकार हो रहे हैं और इसके निदान की औसत आयु 54-70 साल है। इस दौरान डॉक्टर्स के लंग कैंसर से जुड़े कुछ चौंकाने वाले आंकड़े भी जारी किए। उन्होंने बताया कि साल 2020 में दक्षिणपूर्व एशिया में इसके 18.5 लाख नए मामले सामने आए, जबकि 16.6 लाख लोगो की इससे मौत हुई।

अपने इस आर्टिकल में डॉक्टर्स ने यह भी बताया कि साल 2020 में पूरी दुनिया में लंग कैंसर के 22 लाख नए मामले (11.6%) सामने आए, जिसमें 17 लाख मौतें (18%) शामिल हैं। वहीं, भारत में इस कैंसर के सालाना 72,510 मामले (5.8%) मामले सामने आते हैं और 66,279 मौतें (7.8%) होती हैं।

भारत के लिए चिंताजनक हालात

इस आर्टिकल में को लिखने वाली टीम के लेखकों में से एक टाटा मेडिकल सेंटर के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉ. कुमार प्रभाष ने भारत में लंग कैंसर को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा किया। उन्होंने बताया कि हमारे देश में फेफड़ों के कैंसर के 50% से ज्यादा मरीज ऐसे हैं, जो धूम्रपान नहीं करते हैं। अध्ययन में कहा गया है कि नॉन-स्मोकर्स में इस कैंसर के रिस्क फैक्टर्स में वायु प्रदूषण (विशेष रूप से पार्टिकुलेट मैटर पीएम 2.5), एस्बेस्टस, क्रोमियम, कैडमियम, आर्सेनिक और कोयले के साथ-साथ सेकेंड-हैंड स्मोकिंग शामिल है।

इसके अलावा जेनेटिक फैक्टर, हार्मोनल कंडीशन और पहले से मौजूद फेफड़ों की बीमारी जैसे कारक भी धूम्रपान न करने वाले लोगों में फेफड़ों के कैंसर को मामलों को बढ़ाने में अमह भूमिका निभा सकते हैं।

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