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Pregnancy: प्रेग्नेंसी के दौरान वीगन डाइट बन सकती है प्री-एक्लेमप्सिया का कारण, स्टडी में सामने आई वजह

वीगन डाइट का ट्रेंड काफी बढ़ रहा है। पहले की तुलना में कई लोग अब वीगन डाइट को फॉलो करते हैं लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान इस डाइट की वजह से कुछ परेशानियां हो सकती हैं। हाल ही में डेनमार्क की एक स्टडी सामने आई है जिससे वीगन डाइट की वजह से होने वाली परेशानियों के बारे में अध्ययन किया गया है। जानें क्या पाया गया इस स्टडी में।

By Swati SharmaEdited By: Swati SharmaPublished: Mon, 29 Jan 2024 07:19 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jan 2024 07:19 PM (IST)
स्टडी में सामने आया प्रेग्नेंसी के दौरान वीगन डाइट के नुकसान

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Pregnancy: हाल ही में कई लोगों ने वीगन डाइट को फॉलो करना शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया पर एनिमल राइट्स के लिए आवाज उठाने वाले इंफ्लूएंसर्स ने भी वीगन डाइट को काफी प्रोत्साहित किया, जिसके बाद कई लोगों ने इस डाइट को अपनाना शुरू कर दिया है। वैसे प्लांट-बेस्ड डाइट खाने के कई फायदे होते हैं, जैसे यह डाइट दिल और दिमाग को हेल्दी रखने में काफी मददगार हो सकती है, लेकिन हाल ही में आई एक स्टडी में वीगन डाइट से हो सकने वाले नुकसान के बारे में पता चला है।

क्या पाया गया स्टडी में?

एक्टा ऑब्स्टेट्रिकिया और गाइनकोलॉजिका स्कैंडिनेविका नाम की जर्नल में पब्लिश हुई इस स्टडी में यह बात सामने आई कि जिन महिलाओं ने प्रेग्नेंसी के दौरान वीगन डाइट को फॉलो किया उनके नवजात शिशुओं का वजन, ओमनिवोर डाइट फॉलो करने वाली महिलाओं के शिशुओं की तुलना में औसतन 240 ग्राम कम होता है। साथ ही, वीगन महिलाओं में प्री-एक्लेमप्सिया का खतरा भी अधिक था। लगभग 11 प्रतिशत वीगन गर्भवती महिलाओं में प्री-एक्लेमप्सिया था, वहीं दूसरी तरफ ओमनिवोर डाइट फॉलो करने वाली लगभग 3 प्रतिशत महिलाओं को प्री-इक्लेमप्सिया था।

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क्या है प्री-इक्लेमप्सिया?

क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, प्री-इक्लेमप्सिया उस कंडिशन को कहते हैं, जिसमें गर्भवती महिला में प्रेग्नेंसी के दौरान 20वें हफ्ते के बाद हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने लगती है। यह कंडिशन मां और बच्चे, दोनों के लिए काफी घातक साबित हो सकती है। इसका इलाज करवाना बेहद जरूरी होता है। यह गर्भवति महिला के हृदय और शरीर के अन्य दूसरे अंगों को प्रभावित कर सकती है। इस वजह से प्लासेंटा में ब्लड सप्लाई में कमी, किडनी और लिवर डैमेज जैसी परेशानियां हो सकती हैं।

किन्हें शामिल किया गया स्टडी में?

इस स्टडी के लिए रिसर्चर्स ने 1996 से लेकर 2002 के बीच रही 66,000 गर्भवती महिलाओं के डाटा का विश्लेषण किया। इन महिलाओं में लगभग 98 प्रतिशत महिलाएं ओमनिवोर डाइट फॉलो करती थी, कुछ शाकाहारी थीं, जो कभी-कभी चिकन और फिश खाती थीं, 0.3 प्रतिशत लैक्टो/ओवो-शाकाहारी थीं और 0.03 प्रतिशत वीगन थीं। इन सभी महिलाओं में वीगन महिलाओं में प्रोटीन और मैक्रोन्यूट्रिएंट्स के इंटेक की मात्रा सबसे कम थी, जो इन कॉम्प्लिकेशन्स की वजह बन सकता है।

कैसे करें बचाव?

इस स्टडी से यह समझा जा सकता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान सभी पोषक तत्वों का सही मात्रा में शरीर में मौजूद होना और अधिक आवश्यक हो जाता है। किसी भी पोषक तत्व की कमी प्रेग्नेंसी के दौरान कॉम्प्लिकेशन की वजह बन सकती है। इसलिए डाइट में सब्जियां, फल, साबुत अनाज, डेरी, हेल्दी फैट्स आदि को शामिल करना चाहिए। प्रीनेटल विटामिन, विटामिन-डी, आयरन, आयोडिन और फॉलिक एसिड को डाइट में शामिल करना जरूर है। वही, अधिक शुगर, नमक और सेचुरेटेड फैट की मात्रा को कम करना जरूरी होता है।

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Picture Courtesy: Freepik


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