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दिल्ली-एनसीआर में तेजी से बढ़ रहे Swine Flu के मामले, एक्सपर्ट से जानें इसका कारण और बचने के तरीके

दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में अब ठंड कम होती नजर आ रही है। तापमान में आई गिरावट की वजह से एक तरफ जहां लोगों को सर्दी से राहत मिली है तो वहीं दूसरी तरफ H1N1 संक्रमण के मामलों में वृद्धि हुई है। इसे आमतौर पर Swine Flu के रूप में जाना जाता है। ऐसे में इसके बढ़ते मामलों की वजह जानने के लिए हमने एक्सपर्ट से बातचीत की।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Wed, 28 Feb 2024 04:18 PM (IST)
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एक्सपर्ट से जानें क्यों बढ़ रहे स्वाइन फ्लू के मामले

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में लगातार स्वाइन फ्लू (Swine Flu) के मामलों के बढ़ोतरी हो रही है। दिल्ली समेत आसपास के इलाकों में तापमान में हुई गिरावट के साथ ही H1N1 संक्रमण के मामलों में वृद्धि हुई है, जिसे आमतौर पर स्वाइन फ्लू के रूप में जाना जाता है। यह इन्फ्लुएंजा ए वायरस का एक सब-टाइप है, जो अत्यधिक संक्रामक होता है और ह्यूमन रेस्पिरेटरी वायरस की वजह बनता है।

क्यों बढ़ रहे H1N1 फ्लू के मामले?

ऐसे में इस बीमारी से बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने गुरुग्राम के मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल के आंतरिक चिकित्सा विभाग में एचओडी डॉ. एम के सिंह से बातचीत की। डॉक्टर ने बताया कि स्वाइन फ्लू के मामलों में वृद्धि के लिए कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं, जिनमें मौसमी बदलाव, तापमान में अचानक गिरावट, कम टीकाकरण दर, संक्रमण को लेकर जागरूकता की कमी और अपर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल जैसे कारक शामिल हो सकते हैं।

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क्या है स्वाइन फ्लू?

H1N1 फ्लू, जिसे कभी-कभी स्वाइन फ्लू भी कहा जाता है, एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा A वायरस है। साल 2009-10 के फ्लू सीजन के दौरान, एक नया H1N1 वायरस इंसानों में बीमारी पैदा करने लगा, जिसे अक्सर स्वाइन फ्लू कहा जाता था और यह इन्फ्लूएंजा वायरस का एक नया संयोजन था जो सूअरों, पक्षियों और मनुष्यों को संक्रमित करता है।

स्वाइन फ्लू के लक्षण

स्वाइन फ्लू के लक्षणों के बारे में डॉक्टर बताते हैं कि स्वाइन फ्लू (H1N1 इन्फ्लूएंजा) के लक्षणों में बुखार, खांसी, गले में खराश, बहती या बंद नाक, शरीर में दर्द, सिरदर्द, थकान और कभी-कभी उल्टी या दस्त शामिल हैं। गंभीर मामलों में, इससे निमोनिया और रेस्पिरेटरी फेलियर भी हो सकता है।

स्वाइन फ्लू के रिस्क फैक्टर्स

स्वाइन फ्लू के जोखिम कारकों में संक्रमित व्यक्तियों के निकट संपर्क में रहना, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, कुछ पुरानी स्वास्थ्य स्थितियां जैसे अस्थमा,डायबिटीज, हार्ट डिजीज और गर्भावस्था आदि शामिल हैं।

कब करें डॉक्टर से संपर्क

अगर आप अपने अंदर फ्लू जैसे लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो डॉक्टर से मिलने की सलाह दी जाती है। खासकर अगर आपने हाल के दिनों में स्वाइन फ्लू के प्रकोप वाले क्षेत्र की यात्रा की है या स्वाइन फ्लू से पीड़ित किसी व्यक्ति के संपर्क में रहे हैं।

स्वाइन फ्लू से सुरक्षित रहने के लिए अपनाएं ये उपाय-

  • स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए सबसे जरूरी H1N1 स्ट्रेन सहित मौसमी इन्फ्लूएंजा के खिलाफ वैक्सीन लगवाना है। खासकर हाई रिस्क वाले व्यक्तियों के लिए यह ज्यादा जरूरी है।
  • इसके अलावा अच्छी स्वच्छता का पालन करना भी बेहद जरूरी है।
  • साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना, खासकर खांसने या छींकने के बाद और अल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइजर की मदद से वायरस को रोक सकते हैं।
  • खांसते या छींकते समय अपने मुंह और नाक को टिशू या अपनी कोहनी से जरूर ढंकें।
  • बीमार व्यक्तियों के निकट संपर्क से बचें और अस्वस्थ महसूस होने पर घर पर रहें।
  • बार-बार छुई जाने वाली सतहों और वस्तुओं जैसे दरवाजे के हैंडल और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइज को नियमित रूप से सैनिटाइज करें।
  • गंदे हाथों से बार-बार अपनी आंखों,नाक और त्वचा को छूने से बचें।

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Picture Courtesy: Freepik