Mental Health के लिए खतरा बन सकती है दिल की बात दबाने की आदत, भुगतने पड़ सकते हैं कई गंभीर नुकसान
कभी ऐसा लगा है कि आप अपनी बातों को शब्दों में ढाल नहीं पा रहे? अगर हां तो आप अकेले नहीं हैं। भावनाओं को दबाना (Emotional Suppression) कई बार Mental health से जुड़ी समस्याओं का संकेत होता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि ताजा स्टडी इस बारे में क्या कुछ कहती है और इससे बचाव के लिए शोधकर्ता किन तरीकों को अपनाने की सलाह देते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बातचीत करना इंसानों के लिए उतना ही जरूरी है जितना सांस लेना। जब हम अपने विचारों और भावनाओं को दूसरों के साथ साझा नहीं कर पाते, तो हमारा मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। खासतौर पर जब कोई करीबी व्यक्ति हमारी भावनाओं को समझने में असमर्थ होता है, तो हम अकेलापन और निराशा महसूस कर सकते हैं।
लेकिन क्या ये सिर्फ एक संयोग है? मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि अगर ये संचार समस्याएं बार-बार होती हैं, तो शायद इसका कारण सिर्फ दूसरों की उदासीनता नहीं है। हो सकता है कि हमारी सोचने समझने की क्षमता में कोई बदलाव हो रहा हो। हाल ही में कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय के एक शोध में पाया गया है कि हमारे सामाजिक संबंधों को समझने की क्षमता और हमारी मेंटल हेल्थ के बीच गहरा संबंध है।
सामाजिक संज्ञान को समझना है जरूरी
सामाजिक संज्ञान एक जटिल मानसिक प्रक्रिया है जो हमें दूसरों की भावनाओं, इरादों, विश्वासों और सोचने के तरीकों को समझने में सक्षम बनाती है। यह प्रक्रिया हमें न केवल दूसरों के साथ जुड़ने में मदद करती है बल्कि हमें यह भी समझने में मदद करती है कि वे हमारे व्यवहार पर कैसे प्रतिक्रिया करेंगे। सामाजिक संज्ञान हमें सामाजिक स्थितियों को नेविगेट करने और दूसरों के साथ सार्थक संबंध बनाने में सहायता करती है।
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