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स्टडी- कैंसर कोशिकाओं से अतिरिक्त गुणसूत्रों को हटाकर रोका जा सकता है ट्यूमर का विकास

येल के एक नए अध्ययन के अनुसार अतिरिक्त गुणसूत्र वाली कैंसर कोशिकाएं ट्यूमर के विकास के लिए उन गुणसूत्रों पर निर्भर करती हैं और उन्हें हटाने से कोशिकाएं ट्यूमर बनने से रुक जाती हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार निष्कर्षों से पता चलता है कि विशेष रूप से अतिरिक्त गुणसूत्रों को लक्षित करने से कैंसर के उपचार के लिए एक नया दृष्टिकोण पेश किया जा सकता है।

By Jagran NewsEdited By: Priyanka SinghUpdated: Mon, 10 Jul 2023 04:19 PM (IST)
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कैंसर के नए इलाज की संभावना की जगी आस

कनेक्टिकट (अमेरिका), एएनआइ: ट्यूमर का विकास अतिरिक्त गुणसूत्रों वाली कैंसर कोशिकाओं पर निर्भर करती हैं। उन कोशिकाओं से अतिरिक्त गुणसूत्रों को हटाकर ट्यूमर को बढ़ने से रोका जा सकता है। हाल के एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह निष्कर्ष कैंसर के नए इलाज की संभावनाओं की ओर इशारा करते हैं, जिसमें विशेष रूप से अतिरिक्त गुणसूत्रों को निशाना बनाया जा सके। यह अध्ययन साइंस नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

मानव कोशिकाओं में आमतौर पर 23 जोड़े गुणसूत्र होते हैं। अतिरिक्त गुणसूत्र एक विसंगति है, जिसे एनीयूप्लायड के नाम से जाना जाता है। येल स्कूल आफ मेडिसिन में सर्जरी के सहायक प्रोफेसर और अध्ययन के वरिष्ठ लेखक जेसन शेल्टजर ने बताते हैं कि यदि आप सामान्य त्वचा या सामान्य फेफड़े के ऊतकों को देखें तो 99.9 प्रतिशत कोशिकाओं में गुणसूत्रों की सही संख्या होगी, लेकिन हम दशकों से जानते हैं कि लगभग सभी कैंसर एनीयूप्लायड होते हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि कैंसर में अतिरिक्त गुणसूत्रों की क्या भूमिका होती है। मतलब, वे कैंसर का कारण बनते हैं या इसके कारण होते हैं। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक हम एनीयूप्लायड पर नजर रख सकते थे, लेकिन उसमें हेरफेर नहीं कर सकते थे क्योंकि हमारे पास सही उपकरण नहीं थे।

येल कैंसर सेंटर के शोधकर्ता शेल्टजर ने कहा कि इस अध्ययन में जीनेटिक इंजीनियरिंग तकनीक सीआरआइएसपीआर कैंसर कोशिकाओं से गुणसूत्रों को खत्म करने के लिए इसका उपयोग कर नया दृष्टिकोण विकसित करेगी। यह महत्वपूर्ण तकनीकी प्रगति है। इस तरह से एनीयूप्लायड गुणसूत्रों में हेरफेर करने में सक्षम होने से यह समझने में मदद मिलेगी कि वे कैसे काम करते हैं। शेल्टजर ने कहा कि जब हमने इन कैंसर कोशिकाओं के जीनोम से एनीयूप्लायड को हटा दिया, तो इसने उन कोशिकाओं की घातक क्षमता कम हो गई और उन्होंने ट्यूमर बनाने की अपनी क्षमता खो दी। इस खोज के आधार पर शोधकर्ताओं ने बताया कि कैंसर कोशिकाओं में एनीयूप्लायड की लत हो सकती है। शोध में पता चला था कि एक कोशिका को कैंसर कोशिका में बदलने वाले आन्कोजीन और कैंसर की ट्यूमर बनाने की क्षमताओं को बाधित करता है। इस खोज से कैंसर के विकास का एक माडल तैयार हुआ जिसे ‘आन्कोजीन की लत’ कहा गया। जब यह पता लगाया गया कि गुणसूत्र का एक क्यू की अतिरिक्त प्रतिलिपि कैंसर को कैसे बढ़ावा देती है, तो शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिक प्रतिनिधित्व देने पर कई जीन कैंसर कोशिका के विकास को उत्तेजित करते हैं, क्योंकि वे सामान्य दो के बजाय तीन गुणसूत्रों पर एन्कोड किए गए थे। कुछ जीनों की इस अति अभिव्यक्ति से इसका संकेत मिलता है कि एनीयूप्लायड वाले कैंसर को निशाना बनाया जा सकता है। 

Pic credit- freepik