Thyroid Health: हाइपोथायरायडिज्म से हैं परेशान, तो आज इन फूड आइटम्स से बनाएं दूरी
Thyroid Health हाइपोथायरायडिज्म में थायरायड ग्लैंड अपर्याप्त थायराइड हार्मोन का उत्पादन करती है। हालांकि दवाई के जरिए हाइपोथायरायडिज्म का इलाज किया जा सकता है लेकिन संतुलित आहार और स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखने से भी इस समस्या में मदद मिल सकती है। अगर आप भी हाइपोथायरायडिज्म से परेशान हैं तो आइए जानते हैं इस दौरान किन फूड आइटम्स से दूरी बनानी चाहिए।
By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Mon, 28 Aug 2023 12:37 PM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Thyroid Health: थायराइड दुनिया भर में एक आम बीमारी है, जिसमें आपका थायराइड इन महत्वपूर्ण हार्मोन्स का बहुत अधिक या बहुत कम उत्पादन करता है। हाइपरथायरायडिज्म, हाइपोथायरायडिज्म, थायरायडिटिस और हाशिमोटो थायरायडिटिस थायरायड के विभिन्न प्रकार होते हैं। हाइपोथायरायडिज्म के परिणामस्वरूप आपका मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिसका प्रभाव आपके पूरे शरीर पर पड़ता है।
हाइपोथायरायडिज्म कई खतरनाक बीमारियों और स्थितियों से जुड़ा हुआ है और इसलिए इसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जाना चाहिए। अपनी लाइफस्टाइल और खानपान में कुछ बदलाव कर आप इस समस्या ये राहत आ सकते हैं। साथ ही सही आहार की मदद से ही लोग इसे कंट्रोल कर सकते हैं। आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कुछ ऐसे फूड आइटम्स के बारे में, जिन्हें हाइपोथायरायडिज्म पर बिल्कुल नहीं खाना चाहिए।
सोया फूड आइटम्स
सोया में एस्ट्रोजन और फ्लेवोनोइड्स होते हैं, जिन्हें आइसोफ्लेवोन्स कहा जाता है। यह शरीर की थायराइड हार्मोन का उपयोग करने की क्षमता में बाधा डाल सकते हैं। ऐसे में हाइपोथायरायडिज्म होने पर सोया फूड आइटम्स से परहेज करना चाहिए।गोइट्रोजेन्स फूड आइटम्स
आमतौर पर गोइट्रोजेन्स फूड्स में क्रूसिफेरस सब्जियां होती हैं, जिनमें केल, ब्रोकोली, फूलगोभी, शलजम, पत्तागोभी और पालक शामिल हैं। इन फूड आइटम्स को ठीक से और मध्यम मात्रा में पकाकर खाया जा सकता है। गोइट्रोजेन्स (Goitrogens) एक प्रकार का कंपाउंड है, जो थायराडड ग्लैंड के सामान्य कामकाज में बाधा पैदा करते हैं।
कैफीन
अगर थायराइड की दवा लेने के बाद सुबह सबसे पहले कैफीन का सेवन करते हैं, तो यह दवा के प्रभाव में भी रुकावट बन सकता है।शराब
यह शरीर की थायराइड हार्मोन को अवशोषित करने की क्षमता और यहां तक कि थायराइड हार्मोन के उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।