Dengue Treatment: डेंगू के गंभीर संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है समय पर टेस्ट और इलाज
Dengue Treatment देश के कई इलाकों में इस वक्त डेंगू बुखार फैला हुआ है जिसमें दिल्ली-एनसीआर भी शामिल है। इन दिनों अगर बुखार सिरदर्द बदनदर्द की समस्या हो रही है तो डेंगू की जांच करवाकर तुरंत उपचार शुरू कर देने में ही समझदारी है। साथ ही अपने स्तर पर भी सतर्कता और कुछ उपाय शुरू कर देने चाहिए ताकि आप इस बीमारी से बचे रहें।
नई दिल्ली। Dengue Treatment: अनेक इलाकों में बारिश और जलजमाव के कारण मच्छरजनित बीमारियां हो रही हैं। डेंगू के मामले अधिक सामने आने लगे हैं। कुछ जगहों पर गंभीर प्रकार के संक्रमण डेंगू-2 के मामले भी आने की बात कही जा रही है। यह अधिक खतरनाक स्वरूप है। इसमें रक्तचाप बहुत कम हो जाता है और रक्तस्राव की समस्या हो सकती है। हालांकि, बड़े स्तर पर अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है। मैंने अभी तक जिन मरीजों को देखा है कि उनमें गंभीर लक्षण वाले मरीज नहीं हैं। सब में सामान्य तरह के ही लक्षण उभर रहे हैं जैसे कि बुखार, बदन दर्द, सिरदर्द, दस्त आदि।
प्लेटलेट्स कम होने पर घबराएं नहीं
डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं। कुछ मरीजों को इसे अलग से देने की भी जरूरत पड़ती है। अगर प्लेटलेट्स कम हो रहे हैं, तो उपचार और सतर्कता बढ़ाकर उसका भी समाधान किया जा सकता है।
दवाओं के सेवन में सावधानी
यदि आपके शहर में डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं या आसपास लोगों को बुखार हो रहा है, तो आब्रूफेन या वोवेरान जैसी दवाओं के सेवन से परहेज करना है। बुखार तेज रहे, तो ठंडे पानी की पट्टी रखनी चाहिए। बायोसिटामोल की गोली का इस्तेमाल करना चाहिए। बुखार होने की स्थिति में डेंगू की जांच अवश्य कराएं। शुरुआत में एंटीजन टेस्ट होता है, उसके बाद एंटीबाडीज टेस्ट होता है।
आइजीएम टेस्ट आवश्यक
आइजीएम एंटीबॉडीज टेस्ट होता है। इसमें आइजीजी टेस्ट का कोई महत्व नहीं होता है। सही जानकारी आइजीएम टेस्ट से ही होती है। इस समय पानी की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए, ताकि खून गाढ़ा न हो। पीसीवी टेस्ट भी जरूरी होता है। यदि पीसीवी बढ़ा हुआ है, तो खून उतना ही गाढ़ा होता है। इससे प्लेटलेट्स का नुकसान होता है।
डॉक्टर से कब करें संपर्क
- यदि उल्टियां हो रही हैं और पर्याप्त पानी नहीं पी पा रहे हैं, तो अस्पताल में जाने की जरूरत पड़ेगी।
- यदि प्लेटलेट्स ठीक है और खाने-पीने में तकलीफ और उल्टियां हो रही हैं, तो तुरंत अस्पताल जाएं।
- यदि दूसरे-तीसरे दिन स्वास्थ्य में सुधार नहीं होता है, तो फिजिशियन या पीडियाट्रिशन से जरूर परामर्श करें।
डॉक्टर की निगरानी में दवा लें
- निमुस्लाइड, वोवेरान, ब्रूफेन आदि दवाओं से बुखार को खत्म करने की कोशिश न करें। यदि बुखार 101-102 डिग्री भी है, तो पैरासिटामाल छह-छह घंटे के अंतराल पर ले सकते हैं।
- द्रव का सेवन बढ़ा दें। यदि हार्ट, किडनी आदि की समस्या है, तो चिकित्सक की निगरानी में ही कोई भी दवा लें।
- प्लेटलेट्स 50 हजार से कम हो गया है, ब्लीडिंग, लो बीपी की समस्या हो रही है, तो अस्पताल में भर्ती होना ही उचित होगा।
- बच्चों को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत होती है।
खानपान का ध्यान
- घर का बना सामान्य भोजन करें और मसालेदार व डिब्बाबंद भोजन के प्रयोग से बचें।
- ध्यान रखें भोजन सुपाच्य हो, ताकि शरीर में इससे कोई परेशानी न हो।
- स्वच्छ और शुद्ध पेयजल का ही प्रयोग करें।
डॉ. सुरनजीत चटर्जी, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली