मेनोपॉज के दौरान परेशानी का सबब बन सकती है Thyroid की समस्या, एक्सपर्ट की बताई इन बातों से करें इसे मैनेज
मेनोपॉज महिलाओं में औसतन 51 साल की उम्र में होता है। इस समय हार्मोन असंतुलन की वजह से शरीर में कई बदलाव होते हैं और काफी परेशानियां भी। ऐसे में अगर महिला को Hypothyroidism भी है तो यह समस्या और बढ़ सकती है। इसलिए मेनोपॉज के दौरान इसे मैनेज करना बेहद जरूरी होता है। आइए एक्सपर्ट से जानें कैसे इसे मैनेज कर सकते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Hypothyroidism एक ऐसी कंडिशन है, जिसमें थायरॉइड ग्लैंड सही मात्रा में हार्मोन रिलीज नहीं करता है। हार्मोन्स में इस असंतुलन की वजह से शरीर में कई बदलाव होते हैं, जिनमें वजन बढ़ना, थकान और मूड स्विंग्स जैसे लक्षण शामिल हैं। आपको बता दें कि थायरॉइड हार्मोन हमारे शरीर के कई फंक्शन को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है, लेकिन इनमें सबसे प्रमुख है मेटाबॉलिज्म। इसलिए इस कंडिशन को मैनेज करना बेहद जरूरी है। हालांकि, Menopause के भी कुछ आम लक्षण Thyroid जैसे ही हैं, जिनकी वजह से कई बार 45-51 साल की उम्र की महिलाओं में, इनके बीच अंतर करना मुश्किल हो जाता है।
इसके कारण Menopause और Thyroid, दोनों के ही लक्षण गंभीर हो सकते हैं और काफी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए जिन महिलाओं की उम्र मेनोपॉज की उम्र के आस-पास है और उन्हें थायरॉइड भी है, उन्हें खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। इस बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए हमने डॉ. अंजली कुमार (सी.के. बिरला अस्पताल, गुरुग्राम के स्त्री रोग एवं प्रसुति विभाग की निदेशक) से बातचीत की। आइए जानते हैं इस बारे में उन्होंने क्या बताया।
डॉ. कुमार कहती हैं कि मेनोपॉज के दौरान हाइपोथायरॉइडिज्म को मैनेज करने के लिए जरूरी है कि हार्मोनल असंतुलन का सेहत पर होने वाले प्रभावों को कम करने पर ध्यान दिया जाए। इसके लिए नियमित चेकअप, लाइफस्टाइल में सुधार और सही इलाज जरूरी हैं। इन बातों का खास ख्याल रखकर ही, मेनोपॉज के दौरान हाइपोथायरॉइडिज्म को मैनेज किया जा सकता है।
नियमित चेकअप
सबसे पहले तो जरूरी है कि जिन महिलाओं को मेनोपॉज हुआ है, वे निमित रूप से अपना थायरॉइड चेकअप कराएं। ऐसा करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि हाइपोथायरॉइडिज्म के कुछ लक्षण, जैसे- मूड स्विंग्स, वजन बढ़ना और थकान मेनोपॉज के लक्षणों में भी शामिल होते हैं। इतना ही नहीं, नियमित ब्लड टेस्ट की मदद से थायरॉइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (TSH) के लेवल की जांच जरूरी है, ताकि थायरॉइड हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के डोज को उस हिसाब से नियंत्रित किया जा सके।
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हेल्दी डाइट
इसके आगे डॉ. कुमार बताती हैं कि नियमित चेकअप के अलावा, थायरॉइड हेल्थ को बेहतर रखने के लिए डाइट में सुधार करना भी बेहद जरूरी है। इसके लिए अपने खान-पान में सेलेनियम, आयोडिन और जिंक से भरपूर फूड्स को शामिल करें। जैसे- मछली, डेयरी प्रोडक्ट्स, नट्स और साबुत अनाज। ये थायरॉइड मैनेज करने में मददगार साबित हो सकते हैं। साथ ही, सोया प्रोडक्ट्स और क्रुसिफेरस सब्जियों को अपनी डाइट में अधिक शामिल न करें। इनकी वजह से थायरॉइड फंक्शन में व्यवधान आ सकता है। हेल्दी डाइट इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि मेनोपॉज के समय हाइपोथायरॉइडिज्म की वजह से वजन बढ़ने की समस्या और गंभीर हो सकती है। ऐसे में हेल्दी डाइट सही वजन मेंटेन करने के लिए काफी जरूरी है।
एक्सरसाइज
डाइट के साथ एक्सरसाइज भी हाइपोथायरॉइडिज्म को मैनेज करने के लिए जरूरी है। नियमित रूप से एरोबिक एक्सरसाइज और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करने से वजन मेंटेन करने, मेटाबॉलिज्म बढ़ाने और मूड बेहतर करने में मदद मिलती है। साथ ही, एक्सरसाइज ओस्टियोपोरोसिस का खतरा भी कम करती है, जो मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजेन लेवल कम होने की वजह से हो सकता है।
स्ट्रेस मैनेजमेंट
स्ट्रेस की वजह से मेनोपॉज और हाइपोथायरॉइडिज्म की समस्या गंभीर हो सकती है। इसलिए इस दौरान स्ट्रेस मैनेजमेंट के तरीके, जैसे- योग, मेडिटेशन और माइंडफुलनेस अपनाएं, ताकि मेनोपॉज और थायरॉइड की वजह से होने वाली समस्याओं को कम किया जा सके।
भरपूर नींद
तनाव कम करने के लिए सही मात्रा में और बेहतर नींद लेना भी जरूरी है। साथ ही, नींद की कमी के कारण भी मेनोपॉज और थायरॉइड की समस्याएं गंभीर हो सकती हैं
डॉ. कुमार बताती हैं कि कुछ महिलाएं मेनोपॉज के लक्षण कम करने के लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी करवाती हैं। वैसे तो यह काफी मददगार साबित हो सकता है, लेकिन इस समय थायरॉइड डिजीज को ध्यान में रखना बेहद जरूरी होता है।
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