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Monsoon Diseases Prevention Tips: बारिश के मौसम में नहीं पड़ना चाहते बीमार, तो बरतें ये कुछ जरूरी सावधानियां

Monsoon Diseases Prevention Tips मानसून के इन दिनों में बारिश स्वाभाविक है लेकिन कई इलाकों में बाढ़ व जलजमाव से कई तरह की बीमारियों की भी आशंका रहती है। ऐसे में संक्रमण और अन्य बीमारियों से बचे रहने के लिए कुछ खास तरह की सावधानियां रखना बेहद जरूरी है। जरा-सी भी लापरवाही से आप डायरिया पेचिश टाइफाइड कृमि संक्रमण डेंगू मलेरिया व त्वचा संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं।

By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Mon, 17 Jul 2023 03:42 PM (IST)
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Monsoon Diseases Prevention Tips: बारिश के दौरान बीमारियों से बचे रहने के लिए बरतें ये सावधानियां
नई दिल्ली, Monsoon Diseases Prevention Tips: इन दिनों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार व दिल्ली सहित देश के अधिकतर राज्य बारिश, बाढ़, भूस्खलन व जलजमाव के कहर से बदहाल हैं। साथ ही इनसे संबंधित जलजनित बीमारियां भी लोगों को अपनी चपेट में लेने लगी हैं। आने वाले दिनों में जलजमाव, कीचड़ व गंदगी से होने वाली बीमारियां भी सिर उठा सकती हैं। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि अतिरिक्त सावधानी बरतकर इन बीमारियों को हम अपने पास न फटकने दें।

इस मौसम में पेट, त्वचा आदि से संबंधित संक्रमण होने की आशंका बहुत ज्यादा रहती है। जरा-सी भी लापरवाही से आप डायरिया, पेचिश, टाइफाइड, कृमि संक्रमण, डेंगू, मलेरिया व त्वचा संक्रमण (जीवाणु और कवक) की चपेट में आ सकते हैं। इन सबसे बचने के लिए पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें, मच्छरदानी का उपयोग करें, व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें, नियमित रूप से हाथ धोएं, हाथ मिलाने से बचें।

बाढ़ के दौरान और बाद में रहें सावधान

बाढ़ के दौरान और उसके बाद होने वाली बीमारियों में हैजा, हेपेटाइटिस ए और ई (पीलिया), टाइफाइड, लेप्टोस्पायरोसिस, डेंगू, मलेरिया आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा ऐसे वातावरण में सर्पदंश का भी खतरा बना रहता है। सांप के काटने पर तुरंत डाक्टर या अस्पताल से संपर्क करें।

डेंगू, मलेरिया व फाइलेरिया से बचना जरूरी

वर्षाकाल में जलजमाव, गंदगी, लंबे समय तक कीचड़ रहने और सड़ते पानी की वजह से होने वाली बीमारियों से बचना भी बेहद जरूरी है। ये बीमारियां मच्छर, मक्खी और अन्य कीड़ों के माध्यम से फैलती हैं, जैसे मच्छरों से डेंगू, मलेरिया और फाइलेरिया हो सकता है। मक्खियां और कीड़े बुखार, दस्त, टाइफाइड आदि का कारण बन सकते हैं। इन सभी बीमारियों का प्रसार रोकने के लिए किसी भी स्थिति में अपने आसपास जलजमाव न होने दें। साथ ही अपने पर्यावरण को भी बहुत साफ-सुथरा रखने का ध्यान रखें।

अस्थमा व एलर्जी भी रहता है खतरा

इन दिनों में श्वसन, हृदय रोगियों, वृद्धों, बच्चों, गर्भवती महिलाओं आदि की परेशानियां भी बढ़ जाती हैं। मसलन, वर्षाकाल में बाढ़ से पहले और बाद में बैक्टीरिया, धूल के कण, तिलचट्टे और फफूंद का बढ़ना आम है, जो अस्थमा और एलर्जी को बढ़ा सकते हैं। यहां तक कि इससे गले में घरघराहट, खांसी और एलर्जी संबंधी अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं। इस दौरान वृद्ध लोगों के फिसलकर गिरने से चोट लगने की आशंका भी रहती है। इनमें कूल्हा और कलाई की हड्डी का टूटना बहुत आम चोट है। भारी बारिश और बाढ़ यात्रा में भी खलल डाल सकती है, जो सीधे मायोकार्डियल इंफार्क्शन, आपातकालीन प्रसूति जैसी चिकित्सा और आपातकालीन सेवाओं को प्रभावित कर सकती है।

बरतें ये सावधानियां

- आवासीय स्थान को साफ एवं सूखा रखने का प्रयास करें।

- जहां भी जरूरत हो मास्क का प्रयोग करें।

- हृदय रोग, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस आदि के रोगियों को अपने साथ पर्याप्त मात्रा में दवाएं रखनी चाहिए और कोई भी खुराक नहीं छोड़नी चाहिए।

- बुजुर्गों को गिरने से लगने वाली चोट से बचाने के लिए उनकी देखभाल किए जाने की जरूरत है। खासकर स्वजन को घर और बाथरूम के फर्श को स्वच्छ और सूखा रखने का ध्यान रखना चाहिए। घर और बाथरूम में उचित रौशनी का होना भी जरूरी है।

-किसी भी चिकित्सा या आपातकालीन स्थिति में अस्पताल में इलाज कराएं।

खानपान का रखें विशेष ध्यान

वर्षाकाल में खानपान का भी विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए, जिससे किसी तरह की बीमारी की आशंका को कम किया जा सके। इस दौरान पीने का पानी हमेशा साफ और ढके हुए बर्तन या बाल्टी में ही रखें। पीने के लिए हमेशा फिल्टर, सुरक्षित और साफ पानी लेने का प्रयास करें। उबला हुआ या क्लोरीनयुक्त पानी भी इस्तेमाल किया जा सकता है। स्वच्छ, गर्म और संतुलित आहार लें। स्ट्रीट फूड, ढाबे या होटल में खाना खाने से बचें।

बचें पहाड़ों की यात्रा से

वर्षाकाल के दौरान पहाड़ी इलाकों में यात्रा करने से बचने की कोशिश करें, क्योंकि बरसात के दिनों में पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन व भूधंसाव होना आम बात है। इसलिए वर्षाकाल में पर्वतीय क्षेत्र की यात्रा करने से परहेज करें। 

(डा. अजीत सिंह भदौरिया, एसोसिएट प्रोफेसर, कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन, एम्स, ऋषिकेश से बातचीत पर आधारित)

Pic credit- freepik

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